बांसवाड़ा. टिकट नहीं मिलने से खफा होकर निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल करने वाले हकरू मईडा ने गुरुवार को अपना नामांकन वापस ले लिया है. हकरू के खास लोगों का कहना है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह के कहने पर उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया है.
बांसवाड़ा कलेक्ट्रेट में गुरुवार को भाजपा जिला अध्यक्ष लाभचंद पटेल, निर्दलीय प्रत्याशी हकरू मईडा व अन्य लोग पहुंचे. सीधे एसडीएम कार्यालय पहुंच कर उन्होंने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया. मीडिया ने उनसे कारण जानने की कोशिश कि तो उन्होंने पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉफ्रेंस कर जानकारी देने की बात कही. इस सीट पर विधानसभा चुनाव 2018 की कहानी की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए देश के गृहमंत्री ने सीधी एंट्री की है. गुरुवार सुबह पार्टी के जिला अध्यक्ष लाभचंद पटेल बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे जयपुर रोड स्थित हकरू मईडा के घर पहुंचे.
कुछ सामान्य सी बातचीत के बाद उन्होंने देश के गृहमंत्री से अपने मोबाइल के जरिए हकरू की बात कराई. बस 2 मिनट की बातचीत और नामांकन वापस लेने का रास्ता साफ हो गया. अब हकरू के मन में वेदना नहीं है, लेकिन वे भाजपा के प्रत्याशी धन सिंह को गले लगाएंगे यह जरूरी नहीं है. हकरू के पर्चा वापस लेने से धन सिंह लॉबी खुश नजर आ रही है, लेकिन अभी भी बांसवाड़ा शहर और आसपास के क्षेत्र में धन सिंह को जनमत के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, क्योंकि पहले भी उन्हें बांसवाड़ा शहर और आसपास के क्षेत्रों से पर्याप्त वोट नहीं मिले हैं.
धन सिंह से कार्यकर्ता नाराज : धन सिंह अधिवक्ता होने के साथ ही एक बार सांसद और मंत्री भी रह चुके हैं. वसुंधरा कार्यकाल में मंत्री रहने के दौरान उन्होंने कई ऐसे काम किए हैं, जिनके कारण आम कार्यकर्ता उनसे दूर हो गए. अभी भी बांसवाड़ा शहर के भाजपा कार्यकर्ताओं का पार्टी के नाते तो धन सिंह के पास आना-जाना है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से कार्यकर्ताओं के दिल में नाराजगी है. वे कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव में नुकसान होने की संभावना नजर आती है.
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दिल से साथ देना अभी भी मुश्किल : टिकट कटते ही आंसू बहाने वाले हकरू ने भले ही अपना नामांकन वापस ले लिया हो, लेकिन पार्टी और प्रत्याशी का वे साथ देंगे ये कहना बड़ा मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब पार्टी ने उनको टिकट दिया था तो धन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर उनकी हार सुनिश्चित कर दी थी. अब हकरू ने नामांकन तो वापस ले लिया है, लेकिन धन सिंह से समझौता करना शायद उनको स्वाभिमान के खिलाफ लगे. ऐसा कहना बिल्कुल लाजमी है कि वे अभी पार्टी के तो साथ हैं, लेकिन प्रत्याशी धन सिंह को शायद ही गले लगा पाएंगे.
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कार्यकर्ताओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया : जैसे ही हकरू के नामांकन लेने की बात उनके समर्थकों को पता चली तो उन्होंने भी अपने गुस्से का इजहार किया और उनके चुनाव लड़ने को लेकर बनाए गए तमाम ग्रुप में मौजूद लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी. लोगों ने यहां पर अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा कि पार्टी को ऐसा नहीं करना चाहिए था. हालांकि, कुछ लोगों ने इसका समर्थन भी किया है.