ETV Bharat / state

बांसवाड़ा में जनता के लिए सपना बनकर रह गई कई परियोजनाएं...खुद सुनिए लोगों और नेताओं की जुबानी - रेलवे

पिछले 5 साल में लोकसभा से विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा और कांग्रेस ने डूंगरपुर और बांसवाड़ा के लिए कई घोषणाएं की. इनमें से कुछ योजनाएं तो धरातल पर उतरी, लेकिन कई योजनाएं ऐसी भी हैं, जो जनता के लिए महज सपना ही बनकर रह गई हैं.

बांसवाड़ा में सरकारी परियोजनाओं पर प्रतिक्रियाएं
author img

By

Published : Mar 21, 2019, 11:02 AM IST

बांसवाड़ा. राजस्थान में डूंगरपुर और बांसवाड़ा एक ही लोकसभा क्षेत्र में आता है. चुनाव में जीत के लिए यहां कई योजनाएं शुरू की गईं. कुछ तो पूरी हुई और कुछ बीच में ही बंद हो गई. इस बारे में दोनों ही दल एक दूसरे पर योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाते हैं. उदयपुर संभाग में आने वाले डूंगरपुर बांसवाड़ा लोक सभा क्षेत्र में आदिवासी बहुल इलाका है.


इनमें भाजपा द्वारा की गई राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा करीब करीब धरातल पर उतरने जा रही है. वहीं कांग्रेस की अहम रेल परियोजना रास्ते में ही डी रेल हो गई है. बांसवाड़ा जिला मुख्यालय को रेल से जोड़ने की मांग अरसे से चल रही है. इसी तरह गुजरात और मध्य प्रदेश से जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों के नव निर्माण की मांग भी क्षेत्र की जनता द्वारा की जा रही थी. माही बांध के बैक वाटर क्षेत्र में निवासरत लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या भी लंबे समय से लंबित थी.

अपने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डूंगरपुर से रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना के लिए केंद्र सरकार से एमओयू करते हुए 2200 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया था. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों इस अहम योजना की आधारशिला रखवा दी थी, लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ ही परियोजना ठप हो गई.


इस परियोजना से वसुंधरा राजे सरकार ने अपने हाथ खींच लिए, जबकि इस परियोजना के साथ पावर प्लांट भी आने वाले थे. पावर प्लांट के लिए भी लैंड इक्वेशन का काम करीब करीब पूरा हो गया था. उक्त दोनों ही योजनाएं फिलहाल ठप पड़ी हैं. केंद्र सरकार द्वारा बिछीवाड़ा से रतलाम राजमार्ग काम मंजूर कर दिया गया, जो प्रगति पर है. निंबाहेड़ा से दाहोद वाया बांसवाड़ा 2 लेंथ 2015 में धरातल पर आ गया. वहीं 334 गांव की बांसवाड़ा प्रतापगढ़ बृहद पेयजल योजना अंतिम चरण में पहुंच चुकी है.

रेल और पावर प्लांट कांग्रेस की अहम परियोजनाएं थी, लेकिन सत्ता जाने के साथ ही कांग्रेस के नेता इन्हें भूल गए. हालांकि समय-समय पर इन्हें लेकर पार्टी द्वारा धरना प्रदर्शन भी किए गए, लेकिन बेमन से होने के कारण सरकार द्वारा उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया. पार्टी हाईकमान के निर्देशानुसार होने वाले आंदोलन के दौरान ही इन मांगों को भी रखा गया.


अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में बांसवाड़ा दौरे के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा बांसवाड़ा नगर परिषद क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी. बारिश के कारण शहर की सड़कों का काम शुरू नहीं हो पाया. बारिश के बाद कस्टम रोड से लेकर खाटू श्याम मंदिर और शताब्दी मोड के टर्न को कम करने का काम शुरू किया गया, जो मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के निर्देश पर रिवाइज करते हुए साध्वी निर्माण विभाग द्वारा फिर से काम हाथ में लिया गया है.


इन घोषणाओं को लेकर हमने क्षेत्र के लोगों से बातचीत की. स्थानीय मोहनलाल तंबोली का कहना है कि विकास की योजनाओं का पैमाना अलग अलग होता है. लोकसभा और विधानसभा के मुद्दे अलग-अलग होते हैं और हमें उसी के अनुरूप अपना निर्णय करना होता है.


वहीं, पदमचंद का कहना है कि रेल और पावर प्लांट बांसवाड़ा के प्रमुख मुद्दे हैं. इनसे रोजगार मिल सकता है और पलायन पर काफी हद तक लगाम लग सकती है. पार्टी कोई भी हो, इन दोनों मसलों पर काम जरूरी है.
कांग्रेस के प्रदेश सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी का मानना है कि भाजपा ने केवल घोषणा ही की है. रेल परियोजना से इसलिए हाथ खींच लिए हैं कि कांग्रेस ने आधारशिला रखी थी.


वहीं, भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हकरू मईड़ा का कहना है कि हमने बिछीवाड़ा से रतलाम राजमार्ग का काम शुरू करवा दिया है और प्रतापगढ़ बांसवाड़ा 2 लेंथ भाजपा सरकार की देन है.
वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र जोशी कहते हैं कि आज भी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. रेल और पावर प्रोजेक्ट बांसवाड़ा जिले की प्रमुख मांग है, लेकिन राजनीतिक खींचतान के कारण दोनों को डंप कर दिया गया, घोषणाओं में तो अधिकांश आज भी कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है.

बांसवाड़ा. राजस्थान में डूंगरपुर और बांसवाड़ा एक ही लोकसभा क्षेत्र में आता है. चुनाव में जीत के लिए यहां कई योजनाएं शुरू की गईं. कुछ तो पूरी हुई और कुछ बीच में ही बंद हो गई. इस बारे में दोनों ही दल एक दूसरे पर योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाते हैं. उदयपुर संभाग में आने वाले डूंगरपुर बांसवाड़ा लोक सभा क्षेत्र में आदिवासी बहुल इलाका है.


इनमें भाजपा द्वारा की गई राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा करीब करीब धरातल पर उतरने जा रही है. वहीं कांग्रेस की अहम रेल परियोजना रास्ते में ही डी रेल हो गई है. बांसवाड़ा जिला मुख्यालय को रेल से जोड़ने की मांग अरसे से चल रही है. इसी तरह गुजरात और मध्य प्रदेश से जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों के नव निर्माण की मांग भी क्षेत्र की जनता द्वारा की जा रही थी. माही बांध के बैक वाटर क्षेत्र में निवासरत लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या भी लंबे समय से लंबित थी.

अपने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डूंगरपुर से रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना के लिए केंद्र सरकार से एमओयू करते हुए 2200 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया था. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों इस अहम योजना की आधारशिला रखवा दी थी, लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ ही परियोजना ठप हो गई.


इस परियोजना से वसुंधरा राजे सरकार ने अपने हाथ खींच लिए, जबकि इस परियोजना के साथ पावर प्लांट भी आने वाले थे. पावर प्लांट के लिए भी लैंड इक्वेशन का काम करीब करीब पूरा हो गया था. उक्त दोनों ही योजनाएं फिलहाल ठप पड़ी हैं. केंद्र सरकार द्वारा बिछीवाड़ा से रतलाम राजमार्ग काम मंजूर कर दिया गया, जो प्रगति पर है. निंबाहेड़ा से दाहोद वाया बांसवाड़ा 2 लेंथ 2015 में धरातल पर आ गया. वहीं 334 गांव की बांसवाड़ा प्रतापगढ़ बृहद पेयजल योजना अंतिम चरण में पहुंच चुकी है.

रेल और पावर प्लांट कांग्रेस की अहम परियोजनाएं थी, लेकिन सत्ता जाने के साथ ही कांग्रेस के नेता इन्हें भूल गए. हालांकि समय-समय पर इन्हें लेकर पार्टी द्वारा धरना प्रदर्शन भी किए गए, लेकिन बेमन से होने के कारण सरकार द्वारा उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया. पार्टी हाईकमान के निर्देशानुसार होने वाले आंदोलन के दौरान ही इन मांगों को भी रखा गया.


अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में बांसवाड़ा दौरे के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा बांसवाड़ा नगर परिषद क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी. बारिश के कारण शहर की सड़कों का काम शुरू नहीं हो पाया. बारिश के बाद कस्टम रोड से लेकर खाटू श्याम मंदिर और शताब्दी मोड के टर्न को कम करने का काम शुरू किया गया, जो मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के निर्देश पर रिवाइज करते हुए साध्वी निर्माण विभाग द्वारा फिर से काम हाथ में लिया गया है.


इन घोषणाओं को लेकर हमने क्षेत्र के लोगों से बातचीत की. स्थानीय मोहनलाल तंबोली का कहना है कि विकास की योजनाओं का पैमाना अलग अलग होता है. लोकसभा और विधानसभा के मुद्दे अलग-अलग होते हैं और हमें उसी के अनुरूप अपना निर्णय करना होता है.


वहीं, पदमचंद का कहना है कि रेल और पावर प्लांट बांसवाड़ा के प्रमुख मुद्दे हैं. इनसे रोजगार मिल सकता है और पलायन पर काफी हद तक लगाम लग सकती है. पार्टी कोई भी हो, इन दोनों मसलों पर काम जरूरी है.
कांग्रेस के प्रदेश सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी का मानना है कि भाजपा ने केवल घोषणा ही की है. रेल परियोजना से इसलिए हाथ खींच लिए हैं कि कांग्रेस ने आधारशिला रखी थी.


वहीं, भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हकरू मईड़ा का कहना है कि हमने बिछीवाड़ा से रतलाम राजमार्ग का काम शुरू करवा दिया है और प्रतापगढ़ बांसवाड़ा 2 लेंथ भाजपा सरकार की देन है.
वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र जोशी कहते हैं कि आज भी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. रेल और पावर प्रोजेक्ट बांसवाड़ा जिले की प्रमुख मांग है, लेकिन राजनीतिक खींचतान के कारण दोनों को डंप कर दिया गया, घोषणाओं में तो अधिकांश आज भी कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है.

Intro:बांसवाड़ा। पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस द्वारा डूंगरपुर बांसवाड़ा के लिए कई घोषणाएं की गई थी। इनमें भाजपा द्वारा की गई राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा करीब करीब धरातल पर उतरने जा रही है वहीं कांग्रेस की अहम रेल परियोजना रास्ते में ही डी रेल हो गई। चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली अधिकांश घोषणाएं जनता के लिए महज सपना ही बन कर रह गयी। इस बारे में दोनों ही दल एक दूसरे पर अपनी योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाते हैं। उदयपुर संभाग में आने वाले डूंगरपुर बांसवाड़ा लोक सभा क्षेत्र में आदिवासी बहुल


Body:बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में बांसवाड़ा के साथ डूंगरपुर जिला में शामिल हैl बांसवाड़ा जिला मुख्यालय को रेल से जोड़ने की मांग अरसै से चल रही हैl इसी प्रकार गुजरात और मध्य प्रदेश से जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों के नव निर्माण की मांग भी क्षेत्र की जनता द्वारा की जा रही थीl माही बांध के बैक वाटर क्षेत्र में निवासरत लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या भी लंबे समय से लंबित थीl
कांग्रेस ने रेल तो भाजपा ने रोड को संभाला
दोनों ही पार्टियों के वर्ष 2013 से लेकर अब तक के कामकाज को देखे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डूंगरपुर से रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना के लिए केंद्र सरकार से एमओयू करते हुए 2200 करोड रुपए इस परियोजना के लिए 200 करोड रुपए आवंटित कर दिया और जमीन अवाप्ति के साथ यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों इस अहम योजना की आधारशिला रखवा दी लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ ही परियोजना ठप हो गई। वसुंधरा राजे सरकार ने अपने हाथ खींच लिए जबकि इस परियोजना के साथ पावर प्लांट भी आने वाले थे। पावर प्लांट के लिए भी लैंड इक्वेशन का काम करीब करीब पूरा हो गया था। उक्त दोनों ही योजनाएं फिलहाल ठप पड़ी है। केंद्र सरकार द्वारा बिछीवाड़ा से रतलाम राजमार्ग काम मंजूर कर दिया गया जो प्रगति रत है। निंबाहेड़ा से दाहोद वाया बांसवाड़ा 2 लेंथ 2015 में धरातल पर आ गया। वहीं 334 गांव की बांसवाड़ा प्रतापगढ़ बृहद पेयजल योजना अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।
भूल गई कांग्रेस
रेल और पावर प्लांट कांग्रेस की अहम परियोजनाएं थी लेकिन सत्ता जाने के साथ ही पार्टी नेता इन्हें भूल गए। हालांकि समय-समय पर इन्हें लेकर पार्टी द्वारा धरना प्रदर्शन भी किए गए लेकिन बेमन से होने के कारण सरकार द्वारा उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। पार्टी हाईकमान के निर्देशानुसार होने वाले आंदोलन के दौरान ही इन मांगों को भी रखा गया।
वसुंधरा की घोषणा पर काम
अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में बांसवाड़ा दौरे के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा बांसवाड़ा नगर परिषद क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड रुपए की योजना को मंजूरी दी थी। बारिश के कारण शहर की सड़कों का काम शुरू नहीं हो पाया। बारिश के बाद कस्टम रोड से लेकर खाटू श्याम मंदिर तथा शताब्दी मोड के टर्न को कम करने का काम शुरू किया गया जो स्थानीय मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के निर्देश पर रिवाइज करते हुए साध्वी निर्माण विभाग द्वारा फिर से काम हाथ में लिया गया है।
इन घोषणाओं को लेकर क्षेत्र के मतदाताओं से बातचीत की गई तो मोहनलाल तंबोली का कहना था कि विकास की योजनाओं का पैमाना अलग अलग होता है। लोकसभा और विधानसभा के मुद्दे अलग-अलग होते हैं और हमें उसी के अनुरूप अपना निर्णय करना होता है। श्रीमती परनामी का कहना था कि 334 गांव की पेयजल परियोजना का काम करीब करीब पूर्ण हो चुका है। वसुंधरा सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की थी जो पूरी कर दी गई है। इधर पदमचंद का कहना था कि रेल और पावर प्लांट बांसवाड़ा के प्रमुख मुद्दे हैं। इनसे रोजगार मिल सकता है और पलायन पर काफी हद तक लगाम लगाइए सकती है। पार्टी कोई भी हो इन दोनों मसलों पर काम जरूरी है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी का मानना है कि भाजपा ने केवल घोषणा ही ही की है। रेल परियोजना से इसलिए हाथ खींच लिए की कांग्रेस ने आधारशिला रखी थी। भाजपा सरकार के दौरान कोई भी घोषणा फलीभूत नहीं हो पाई वहीं भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हकरू मईड़ा का कहना था कि हमने बिछीवाड़ा से रतलाम राजमार्ग का काम शुरू करवा दिया है और प्रतापगढ़ बांसवाड़ा 2 लेंथ भाजपा सरकार की देन हैl वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र जोशी कहते हैं कि आज भी समस्याओं का अंबार लगा हुआ हैl रेल और पावर प्रोजेक्ट बांसवाड़ा जिले की प्रमुख मांग है लेकिन राजनीतिक खींचतान के कारण दोनों को डंप कर दिया गयाl घोषणाओं में तो अधिकांश का आज भी कागजों से ही बाहर नहीं निकल पाईl


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.