बांसवाड़ा. लॉकडाउन के तीसरे चरण में सोमवार को शराब के ठेके खुल गए. इसके लिए सरकार ने सोशल डिस्टेंस का प्रावधान किया था, लेकिन मौके पर इसकी धज्जियां उड़ती दिखाई दी. सुबह और शाम ठेकों पर भारी भीड़ रही.
हैरानी की बात यह है कि विभाग ने इस दौरान अपने कर्मचारी भी लगाए, उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. विभाग के कार्मिकों की देखरेख में न ही ठेकेदार और न खरीददार नियम कायदों का पालन करते दिखे. खासकर सुबह दुकान खुले और शाम को बंद होने के दौरान भीड़ अधिक दिखाई दी. दिन में इक्का-दुक्का लोग दुकानों पर आते नजर आए.
वहीं एक महिला की कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि के बाद शहर के वार्ड नंबर 5 कंटेनमेंट जोन में रखा गया है. ऐसे में प्रताप सर्कल के पास स्थित ठेकों पर ताले ही रहे. इसका लोड शहर के अन्य इलाकों में स्थित दुकानों पर बढ़ गया.
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हालत यह थी कि सुबह 10 बजे ठेके खुलने का समय निर्धारित था. इससे पहले ही बड़ी संख्या में लोग ठेकों पर पहुंच गए और कतार में खड़े हो गए. इसी प्रकार के अधिकांश दुकानों के बाहर हालात रहे. दोपहर 12 बजे बाद भीड़ छठ गई. वहीं शाम 5:30 बजे बाद फिर से लोगों के कदम ठेकों की ओर बढ़ गए.
इस दौरान जल्दी शराब लेने के चक्कर में लोग सोशल डिस्टेंस के प्रावधान को भी भूल गए. जबकि सरकार द्वारा आबकारी विभाग को इसकी पालना कराने के लिए पाबंद किया गया था. ईटीवी भारत की टीम शाम को डूंगरपुर रोड स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान पर पहुंची, तो वहां का दृश्य देखकर हतप्रभ रह गई.
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विभागीय वाहन दुकान के बाहर ही खड़ा था और उसमें 2 कर्मचारी सवार थे, लेकिन वे वाहन से नीचे तक नहीं उतरे. जबकि सामने खरीदारों की भीड़ स्पष्ट दिखाई दे रही थी. जैसे ही टीम का कैमरा दुकान की ओर मुड़ा, विभागीय कर्मचारी अपना वाहन लेकर वहां से निकल पड़े. कुल मिलाकर लॉकडाउन थर्ड के पहले दिन शराब की दुकानों पर इस प्रकार की भीड़ शहर के लिए घातक साबित हो सकती है.