बांसवाड़ा. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए शराब की दुकानों की लॉटरी प्रक्रिया बदल दी हैं. प्रदेश में अब शराब की दुकानों की लॉटरी नहीं निकलेगी. वहीं दुकानों की ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत नीलामी होगी. नीलामी की प्रक्रिया 23 से 24 फरवरी तक चलेगी. वहीं इसमें एक व्यक्ति 1 जिले में केवल दो दुकानों के लिए ही आवेदन कर सकेगा. इसके साथ ही पूरे प्रदेश के लिए अधिकतम 5 आवेदन पत्र भर सकेगा. वहीं राज्य सरकार में ऑनलाइन नीलामी के लिए भारत सरकार के उपक्रम एमएसटीसी को अधिकृत किया है.
उसके पोर्टल पर 12 फरवरी से ही निशुल्क पंजीयन की सुविधा शुरू हो गई है. साथ ही नीलामी में भाग लेने के लिए आवेदक को सर्वप्रथम एमएसीटी की वेबसाइट पर अपना पंजीयन करा आईडी और पासवर्ड प्राप्त करना होगा. जिसके आधार पर वह शराब की दुकान के लिए आवेदन भर सकेगा. ऑनलाइन नीलामी का आबकारी विभाग को सबसे बड़ा फायदा यह होगा, कि अब शराब व्यवसायी ही इस प्रक्रिया में शामिल होंगे.
बता दें कि नीलामी प्रक्रिया में हर रोज सुबह 11 से शाम 4 बजे तक रोजाना कम से कम पांच घंटे तक बोली लगेगी. उसके बाद भी जब तक बोली लगती रहेगी, तब तक 10 मिनट के अंतराल के बाद वापस जारी रहेगी. वहीं बोलीदाता को पिछली बोली की राशि बढ़ाकर कम से कम 5 हजार रुपए बढ़ा कर बोली लगानी होगी. लेकिन पिछली बोली की राशि से पांच प्रतिशत से अधिक की राशि की बोली नहीं लगाई जा सकेगी. प्रत्येक चरण के लिए निर्धारित नीलामी की दिनांक से एक दिन पूर्व रात 11 बजकर 58 मिनट पर बंद हो जाएगी.
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बता दें कि राज्य सरकार ने शराब बिक्री के लिए होटल और बार लाइसेंस के लिए नियमों में शिथिलता दी है. अब शहरी क्षेत्रों में जहां भू रूपांतरण पर रोक है और वहां होटल चल रहा है और नगरीय विकास विभाग या स्वायत्त शासन विभाग से टिन नंबर ले रखा है तो आबकारी विभाग उसे शराब बिक्री का लाइसेंस दे देगा. वहां होटल की भूमि का व्यवसायिक प्रयोजनार्थ रूपांतरण आवश्यक नहीं होगा. वहीं होटल और बार के लिए शराब बिक्री का लाइसेंस जारी करने के लिए सरकार ने प्रक्रिया सरल कर दी है. पूर्व में संभाग स्तरीय कमेटी के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बाद आबकारी विभाग लाइसेंस जारी करता था.
उस कमेटी के मुखिया अतिरिक्त आबकारी आयुक्त होते थे. वहीं सदस्य के रूप में जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम, जिला आबकारी अधिकारी और आरटीडीसी के प्रतिनिधि होते थे. वही यह कमेटी मौके पर जाकर निरीक्षण करती थी. उसके अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर लाइसेंस जारी होता था. अब सरकार ने यह कमेटी ही समाप्त कर दी है. वहीं अब जिला आबकारी अधिकारी की रिपोर्ट पर आबकारी आयुक्त सीधे लाइसेंस जारी कर सकेंगे.