बांसवाड़ा. फलों का 'राजा' आम यूं तो हमेशा 'खास' ही रहता है, लेकिन लॉकडाउन में ये खास से 'विशेष' हो गया है. आम के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं, जिसके चलते इसे खरीद पाना आम आदमी के लिए भारी पड़ रहा है. हालात ये हो गए है कि बाजारों में इठलाते हुए आम नजर तो आ रहे हैं, लेकिन इन्हें खरीदना जेब गवारा नहीं कर रही है. कुछ ऐसी ही तस्वीर इन दिनों बांसवाड़ा में भी देखी जा रही है.
इस बार आम के दामों में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, प्रकृति की मार के चलते आम की पैदावार इस बार कम हुई. ऊपर से लॉकडाउन के चलते काम-धंधे चौपट हो चुके हैं, जिसके चलते लोगों के पास पैसे भी नहीं है. यही कारण है कि इस बार खरीददारों से ज्यादा यहां बेचने वाले नजर आ रहे हैं. ऐसे में बढ़े दाम के चलते फलों के राजा 'आम' के प्रति आमजन की बेरुखी साफतौर पर देखी जा सकती है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार का धंधा आधा भी नहीं है.
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बता दें कि बांसवाड़ा की पहचान नैसर्गिक सौंदर्य के साथ-साथ देसी आम को लेकर भी है. यहां 46 प्रकार के आम की पैदावार की जाती है, जिनमें से 20 वैरायटी देसी आम की है. इनमें आम्रपाली, लंगड़ा, दशहरी आदि किस्म शामिल है. बांसवाड़ा जिले में करीब 3,480 हेक्टेयर क्षेत्र में आम के बागान हैं, जिनमें से एक-एक बीघा के लगभग 150 बगीचे हैं.
वैसे आम के पेड़ों से आदिवासी किसानों को भी आर्थिक संबल मिलता है. लेकिन इस बार पैदावार में कमी ने भी किसानों की चिंता बढ़ा दी है. इस बार देसी आम की पैदावार 50 प्रतिशत भी नहीं रही. वहीं, उन्नत वैरायटी वाले आम का उत्पादन भी कमोबेश 60 से 70 प्रतिशत ही रहा. इस कारण आम के दामों में पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले इस बार काफी तेजी देखने को मिल रही है. खासकर देसी आम की कीमत 30 से 40 प्रतिशत तक अधिक हो गई है. इसके चलते इस बार आमजन आम के स्वाद से महरूम ही नजर आ रहा है.
इस संबंध में फल विक्रेताओं का कहना था कि इस बार देसी और उन्नत किस्में दोनों ही प्रकार के आम की सप्लाई अपेक्षाकृत कम रही. गांव से जो माल आता था, वह भी इस बार बहुत कम रहा. ऐसे में आम की कीमतें भी बढ़कर आई. बीते साल जो माल 25 से 30 रुपए प्रति किलो का आ रहा था. वहीं, माल इस बार 40 से 50 प्रति किलो तक आ रहा है. इसी के चलते 60 रुपए से लेकर 100 तक की फुटकर बिक्री करनी पड़ रही है.
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व्यापारियों का कहना है कि यही कारण है कि इस बार पहले जैसा बाजार नहीं चल रहा है. कोरोना वायरस से हुए लॉकडाउन के चलते एक तो लोगों के पास पैसा नहीं है, ऊपर से कीमतें भी बढ़ी हुई है. इस कारण कोई भी ग्राहक आम खरीदने में रुचि भी नहीं दिखा रहा. पहले तो लोग हर रोज आम की खरीददारी करते थे. लेकिन इस बार आर्थिक तंगी के चलते खरीदना तो दूर, लोग देखना तक पसंद नहीं कर रहे हैं.
बांसवाड़ा के कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ. पीके रोकड़िया के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण आम की पैदावार में कमी आई है. इसी कारण कीमतें पिछले वर्षों के मुकाबले कुछ तेज हुई है. हालांकि, देसी आम की पैदावार थोड़ी कम हुई है. वहीं, उन्नत किस्म के आम की पैदावार अपेक्षाकृत अच्छी रही. यहां के आम को प्रमोट करने के लिए पिछले साल 'मैंगो फेस्टिवल' आयोजित किया गया था, लेकिन इस बार कोरोना के कारण फेस्टिवल का आयोजन भी नहीं हो पाया.