बांसवाड़ा. अखबार में छोटा सा विज्ञापन देकर सैकड़ों युवाओं को खुलेआम ठगे जाने का मामला सामने आया है. जिला परिषद में भर्ती के नाम पर काफी राशि वसूली गई, लेकिन भर्ती से पहले ही जिला प्रशासन तक शिकायत पहुंच गई और फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हो गया. ऐसे में पुलिस मौके पर पहुंची और भर्ती करने वाली संस्था के संचालक को थाने ले गई.
दरअसल, एक समाचार पत्र में पिछले महीने एक संस्था के नाम पर क्लासीफाइड एड देते हुए ग्राम पंचायतों में 446 पंचायत सहायक पद की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे. बाकायदा इसके लिए जिला परिषद में इंटरव्यू होने का भी उल्लेख किया गया. यह देखते हुए बड़ी संख्या में बेरोजगार युवकों ने आवेदन कर दिया. बाद में को ऐड देते हुए आवेदन की तिथि 2 दिन और बढ़ा दी गई. इसके लिए संस्था द्वारा प्रोसेसिंग फीस के नाम पर प्रति आवेदन कर्ता से ₹525 लिए गए, लेकिन इसकी कोई रिसीप्ट नहीं दी गई. वहीं, आवेदनकर्ताओं को एक जुलाई को अप्वॉइटमेंट देने की बात कही गई थी.
डॉक्टर्स से ट्रेनिंग
संचालक अरविंद डोडियार द्वारा बाकायदा आवेदकों के लिए ट्रेनिंग की भी व्यवस्था की गई. पहले इंटरव्यू के नाम पर यह ट्रेनिंग जिला परिषद में करवाए जाने की बात कही गई थी. लेकिन, अचानक उदयपुर रोड स्थित त्रिपुरा सुंदरी नर्सिंग स्कूल डांग पाड़ा में रख दी गई. ट्रेनिंग सुरपुर के डॉक्टर अशोक डामोर और छोटी श्रवण के डॉक्टर गणेश द्वारा दी गई. कथित रूप से प्रोसेसिंग फीस इसी ट्रेनिंग के नाम पर वसूली गई थी.
नहीं मिला अप्वॉइंटमेंट लेटर
एक जुलाई को बड़ी संख्या में आवेदनकर्ता नर्सिंग स्कूल पहुंचे. लेकिन, बहानेबाजी करते हुए 15 जुलाई को आने को कहा गया. इस बीच कुछ लोगों ने इस भर्ती की तह में गए तो संस्था का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं मिला. वहीं, कोई एनजीओ भी नहीं था. आवेदन कर्ता महेंद्र सिंह सोलंकी मेतवाला ने गड़बड़ी की आशंका में जिला कलेक्टर को शिकायत की और अतिरिक्त जिला कलेक्टर से भी मुलाकात कर उन्हें सूचना दी. वहीं, बड़ी संख्या में सोमवार को भी आवेदनकर्ता नर्सिंग स्कूल पहुंचे. ऐसे में वहां नोटिस बोर्ड पर चस्पा एक नोटिस को देख कर आवेदन कर्ता भड़क गए. नोटिस में इंटरव्यू दिए जाने की सूचना थी. इससे गुस्साए आवेदन कर्ताओं ने संचालक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
प्रारंभिक जांच में फर्जीवाड़ा
जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता के निर्देश पर जिला परिषद सीईओ गोविंद सिंह राणावत द्वारा जांच के लिए पंचायत प्रसार अधिकारी हरिश्चंद्र पाटीदार को मौके पर भेजा. आवेदनकर्ताओं से बातचीत में उनसे प्रति आवेदन ₹525 लिए जाने की पुष्टि हुई. वहीं, संचालक अरविंद डोडियार पंचायत सहायक भर्ती के संबंध में अपनी संस्था और ऑथराइजेशन के दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाया. पाटीदार के अनुसार यह पूरा काम फर्जी है. जिला परिषद द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं निकाली गई है. वे जांच रिपोर्ट सीईओ को सौंपेंगे.
संचालक को पुलिस ले गई
उधर, मामला बढ़ते देख सदर सीआई बाबूलाल मुरारिया मौके पर पहुंचे और आवेदनकर्ताओं की शिकायत सुनी. अरविंद डोडियार इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाया. इस पर पुलिस उसे थाना ले गई. डोडियार का कहना था कि सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह भर्ती की जा रही है. किसी अन्य संस्था के जरिए वह यह भर्ती कर रहा है. वहीं, महेंद्र सिंह सोलंकी का कहना था कि संस्था का बड़ा गेम प्लान था. प्रत्येक पंचायत पर दो सहायक बनाए जाने थे, जिन्हें हर दिन पंचायत के 25 लोगों से 150 -150 रुपए लाने थे. यह प्रति दिन का कलेक्शन संस्था वाले को शाम 4:00 बजे तक सौंपे कर जाने क्या प्रावधान किया गया था. इस प्रकार प्रतिदिन लाखों रुपए वसूले जाने का गेम था.