बांसवाड़ा. जिले में मंगलवार को एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने एक बार फिर ममता को शर्मसार करने का काम किया है. जानकारी के अनुसार एक नवजात बच्ची को उसकी मां ने गोबर के ढेर में दफन कर दिया. लेकिन नवजात बच्ची 12 घंटे बाद भी गोबर के ढेर में जिंदगी की डोर थामे रही.
वहीं, इस दौरान वहां से शिक्षक पीयूष उपाध्याय गुजर रहे थे. जब उन्होंने रास्ते में गोबर के ढेर के पास किसी की रोने की आवाज सुनी तो उनके कदम रुक गए. जब पीयूष ने गोबर को हटा कर देखा तो वहां एक बच्ची रोते हुए मिली. जिसके बाद उन्होंने अपने मित्र को बुलाकर बच्ची को गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.
जहां से प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को गंभीर हालत में बांसवाड़ा रेफर कर दिया गया. वहीं, चिकित्सकों के अनुसार 24 घंटे की प्रीमेच्योर नवजात करीब 10 से 12 घंटे तक गोबर में दबी रही, इसके बावजूद उसका जिंदा रहना आश्चर्यजनक है.
हालांकि, गोबर की गर्मी के कारण उसके शरीर पर फफोले पड़ गए और संक्रमण फैल गया. प्रीमेच्योर होने के कारण उसका वजन सामान्य बच्चे के मुकाबले काफी कम है. इस कारण संक्रमण बढ़ने की आशंका है.
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फिलहाल, बच्ची को एसएनसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. यूनिट प्रभारी डॉ. प्रद्युमन जैन के अनुसार करीब 12 घंटे तक यह बच्ची गोबर में दबी रही. जिसके बाद अब 48 घंटे काफी अहम रहेंगे. डॉ. प्रद्युमन के अनुसार उसे समुचित उपचार दिया जा रहा है.
वहीं, पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ कर दिया है. बता दें कि करीब चार-पांच महीने पहले भी गांव में इसी प्रकार की एक नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया गया था, जो फिलहाल बाल संरक्षण गृह में रखी गई है.