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ममता शर्मसार: गोबर के ढेर में नवजात को किया दफन, राहगीर की पड़ गई नजर, SNCU में इलाज जारी - Mother buried newborn girl in cow dung

जिले में मंगलवार को एक अज्ञात मां ने अपनी नवजात बच्ची को गोबर के ढेर में दफन कर दिया. लेकिन 12 घंटे बाद भी बच्ची ने जिंदगी की डोर नहीं छोड़ी. वहीं, इस दौरान वहां से गुजर रहे एक राहगीर ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया. फिलहाल, डॉक्टर के अनुसार 48 घंटे बच्ची के लिए बेहद गंभीर बताए जा रहे हैं.

मां ने नवजात को गोबर के ढेर में दफन कर दिय, Mother buried newborn in dung heap
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Published : Nov 12, 2019, 8:18 PM IST

बांसवाड़ा. जिले में मंगलवार को एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने एक बार फिर ममता को शर्मसार करने का काम किया है. जानकारी के अनुसार एक नवजात बच्ची को उसकी मां ने गोबर के ढेर में दफन कर दिया. लेकिन नवजात बच्ची 12 घंटे बाद भी गोबर के ढेर में जिंदगी की डोर थामे रही.

मां ने नवजात को गोबर के ढेर में दफन कर दिया

वहीं, इस दौरान वहां से शिक्षक पीयूष उपाध्याय गुजर रहे थे. जब उन्होंने रास्ते में गोबर के ढेर के पास किसी की रोने की आवाज सुनी तो उनके कदम रुक गए. जब पीयूष ने गोबर को हटा कर देखा तो वहां एक बच्ची रोते हुए मिली. जिसके बाद उन्होंने अपने मित्र को बुलाकर बच्ची को गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.

जहां से प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को गंभीर हालत में बांसवाड़ा रेफर कर दिया गया. वहीं, चिकित्सकों के अनुसार 24 घंटे की प्रीमेच्योर नवजात करीब 10 से 12 घंटे तक गोबर में दबी रही, इसके बावजूद उसका जिंदा रहना आश्चर्यजनक है.

हालांकि, गोबर की गर्मी के कारण उसके शरीर पर फफोले पड़ गए और संक्रमण फैल गया. प्रीमेच्योर होने के कारण उसका वजन सामान्य बच्चे के मुकाबले काफी कम है. इस कारण संक्रमण बढ़ने की आशंका है.

पढ़ें- डूंगरपुरः दिल में छेद होने से साढ़े 3 माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझता रहा लावारिस नवजात, मौत

फिलहाल, बच्ची को एसएनसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. यूनिट प्रभारी डॉ. प्रद्युमन जैन के अनुसार करीब 12 घंटे तक यह बच्ची गोबर में दबी रही. जिसके बाद अब 48 घंटे काफी अहम रहेंगे. डॉ. प्रद्युमन के अनुसार उसे समुचित उपचार दिया जा रहा है.

वहीं, पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ कर दिया है. बता दें कि करीब चार-पांच महीने पहले भी गांव में इसी प्रकार की एक नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया गया था, जो फिलहाल बाल संरक्षण गृह में रखी गई है.

बांसवाड़ा. जिले में मंगलवार को एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने एक बार फिर ममता को शर्मसार करने का काम किया है. जानकारी के अनुसार एक नवजात बच्ची को उसकी मां ने गोबर के ढेर में दफन कर दिया. लेकिन नवजात बच्ची 12 घंटे बाद भी गोबर के ढेर में जिंदगी की डोर थामे रही.

मां ने नवजात को गोबर के ढेर में दफन कर दिया

वहीं, इस दौरान वहां से शिक्षक पीयूष उपाध्याय गुजर रहे थे. जब उन्होंने रास्ते में गोबर के ढेर के पास किसी की रोने की आवाज सुनी तो उनके कदम रुक गए. जब पीयूष ने गोबर को हटा कर देखा तो वहां एक बच्ची रोते हुए मिली. जिसके बाद उन्होंने अपने मित्र को बुलाकर बच्ची को गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.

जहां से प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को गंभीर हालत में बांसवाड़ा रेफर कर दिया गया. वहीं, चिकित्सकों के अनुसार 24 घंटे की प्रीमेच्योर नवजात करीब 10 से 12 घंटे तक गोबर में दबी रही, इसके बावजूद उसका जिंदा रहना आश्चर्यजनक है.

हालांकि, गोबर की गर्मी के कारण उसके शरीर पर फफोले पड़ गए और संक्रमण फैल गया. प्रीमेच्योर होने के कारण उसका वजन सामान्य बच्चे के मुकाबले काफी कम है. इस कारण संक्रमण बढ़ने की आशंका है.

पढ़ें- डूंगरपुरः दिल में छेद होने से साढ़े 3 माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझता रहा लावारिस नवजात, मौत

फिलहाल, बच्ची को एसएनसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. यूनिट प्रभारी डॉ. प्रद्युमन जैन के अनुसार करीब 12 घंटे तक यह बच्ची गोबर में दबी रही. जिसके बाद अब 48 घंटे काफी अहम रहेंगे. डॉ. प्रद्युमन के अनुसार उसे समुचित उपचार दिया जा रहा है.

वहीं, पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ कर दिया है. बता दें कि करीब चार-पांच महीने पहले भी गांव में इसी प्रकार की एक नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया गया था, जो फिलहाल बाल संरक्षण गृह में रखी गई है.

Intro:बांसवाड़ा। समाज में लिंगभेद के चलते कई सामाजिक विषमताये सामने आ रही है। मां को ममता का प्रतिरूप माना जाता है लेकिन जोलाना मां का एक विभिट्स चेहरा भी सामने आया जहां अज्ञात महिला अपनी नवजात बच्ची को गोबर के ढेर में दफन करने से भी नहीं हिचकीचाईl गनीमत रही कि 12 घंटे गोबर में दबे रहने के बावजूद बच्ची जिंदगी की डोर को थामे रही और किस्मत से वहां से गुजर रहे एक राहगीर की नजर पड़ गईl


Body:नवजात को फिलहाल बांसवाड़ा स्थित महात्मा गांधी चिकित्सालय की स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में रखा गया है जहां उसकी हालत संक्रमण के चलते गंभीर बताई जा रही हैl अगले 48 घंटे उसकी जिंदगी के लिए काफी अहम माने जा रहे हैंl

कराहने की आवाज सुनकर थम गए कदम

प्रतापपुर इलाके में आने वाले जुलाना गांव में शिक्षक पीयूष उपाध्याय घूम कर घर लौट रहे थे कि रास्ते में गोबर के ढेर में किसी के कराहने आवाज सुनकर उनके कदम थम गए और गोबर को हटाया तो उसमें उन्हें एक रोती हुई बच्ची मिली तो उनके भी एक बार होश उड़ गए। उन्होंने तत्काल अपने मित्र बहादुर सिंह को बुलाया और ग्रामीणों की मदद से नवजात को गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहां से प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर हालत में उसे बांसवाड़ा रेफर कर दिया गया।




Conclusion:चिकित्सकों के अनुसार 24 घंटे की प्रीमेच्योर नवजात करीब 10 से 12 घंटे तक गोबर में दबी रही इसके बावजूद उसका जिंदा रहना आश्चर्यजनक है। हालांकि गोबर की गर्मी के कारण उसके शरीर पर फफोले पड़ गए और संक्रमण फैल गया। प्रीमेच्योर होने के कारण उसका वजन सामान्य बच्चे के मुकाबले काफी कम है। इस कारण भी संक्रमण बढ़ने का खतरा और बढ़ने की आशंका है। फिलहाल बच्ची को एसएनसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। यूनिट प्रभारी डॉक्टर प्रद्युमन जैन के अनुसार करीब 12 घंटे तक यह बच्ची गोबर में दबी रही इसके बावजूद उसका बचना आश्चर्यजनक है। गोबर के कारण संक्रमण के चलते उसके लिए अगले 48 घंटे काफी अहम रहेंगे। फिलहाल उसे समुचित उपचार दिया जा रहा है। पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ कर दिया है। आपको बता देगी करीब चार-पांच महीने पहले भी इसी गांव में इसी प्रकार की एक नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया गया था जो फिलहाल बाल संरक्षण गृह में रखी गई है।

बाइट.... डॉक्टर प्रदुमन जैन प्रभारी एसएनसीयू महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा

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