बांसवाड़ा. राजस्थान का दक्षिणी भाग वागड़ अंचल भले सामाजिक परंपराओं के लिहाज से काफी समृद्ध है. यहां आज भी हाट बाजार का चलन है. बांसवाड़ा के कई गांवों में अलग-अलग हाट बाजार लगते हैं.
जहां हर रोज इस्तेमाल होने वाला सामान आसानी से मिल जाता है. यहां के बाजारों की खास बात ये है, कि निश्चित स्थान पर व्यापारी सिर्फ कुछ घंटे के लिए ही दुकान लगाते हैं. इन हाट बाजारों में मसाले, कपड़े, प्लास्टिक आइटम, सौंदर्य के साथ ही अन्य उत्पाद आसानी से मिल जाता है. यहां किसान और पशुपालक अनाज और पशुओं को बेचने के लिए भी आते हैं. हाट बाजार में सुबह से ही लोगों की चहलकदमी शुरू हो जाती है, जो दोपहर बाद तक जारी रहती है.
अधिकांश लोग यहां अपने सामान बेचने के बाद अपनी जरूरत का सामान खरीद कर ले जाते हैं. हाट बाजार में महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वैलरी के साथ ही चूड़ी, बिंदी की खरीददारी करती नजर आती हैं.
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यहां लगते हैं हाट बाजार
इस प्रकार के मार्केट बांसवाड़ा के अलावा डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले में भी हर सप्ताह लगाए जाते हैं. बांसवाड़ा शहर के साथ छोटी सरवन, दानपुर, घोड़ी तेजपुर, आबापुरा, कसारवादी, छोटा डूंगरा, उकाला सहित कई गांवों में सप्ताह के अलग-अलग दिनों में लगते है.
संबंधित ग्राम पंचायतें इसके लिए स्थान उपलब्ध कराती हैं. जिसके बदले में हर दुकानदार से 10-20 रुपए लिए जाते हैं. छोटी सरवण हाट में कपास का व्यापार करने वाले दौलत राम ने बताया, कि लोग कपास सहित अनाज ले आते हैं, जिन्हें बेचने के बाद वो अपनी जरूरत का सामान ले जाते हैं. वहीं मसाले की दुकान लगाने वाले राकेश ने बताया, कि यहां प्रत्येक सप्ताह दुकान लगती है. शांतिलाल बताते हैं, कि हाट बाजार में लोग हरी सब्जियां भी लेकर आते हैं, जिसके उन्हें अच्छे दाम मिल जाते हैं.