बांसवाड़ा. विधानसभा सत्र में भाजपा द्वारा लोन माफी के मसले पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने के बाद सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में खरीफ सीजन के लिए फसली ऋण वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. लेकिन सरकार ने इसमें एक नया प्रावधान जोड़ दिया. जिसके तहत डिफाल्टर सदस्य ऋण प्रक्रिया से बाहर हो गए. सरकार द्वारा प्रदेश में इस बार फसली ऋण ऑनलाइन वितरित किया जा रहा है. सहकारी बैंकों द्वारा इस फसली ऋण के लिए नया सॉफ्टवेयर डेवलप किया गया है. जिसमें लोन अप्लाई के लिए संबंधित सदस्य को कई स्टेप्स पूरे करने होते हैं. इसके बाद ही लोन प्रक्रिया आगे बढ़ती है.
कुल मिलाकर फसली ऋण वितरण के लिए मैन्युअल प्रोसेस पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए सदस्य जैसे ही अपना सदस्यता क्रमांक डालेगा. बैंक के सामने उसकी पूरी कुंडली आ जाएगी. पहले कितनी बार लोन लिया है. डिफाल्टर तो नहीं रहा. पिछले 2 साल में कितनी बार ऋण माफ हुआ. यह तथ्य सामने आने के साथ ही सिस्टम अपने आप संबंधित सदस्य की लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट कर देगा. इसके बाद आगे के स्टेप भी नहीं भरे जा सकेंगे.
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नए लोन प्रोसेस में और भी संशोधन किए गए हैं. पूर्व में एक बार ही फिंगर प्रिंट की आवश्यकता होती थी और संबंधित के खाते में लोन ट्रांसफर हो जाता था. ऋण माफी में भयंकर गड़बड़ियों के बाद सरकार द्वारा लोन प्रोसेस में तीन बार फिंगर प्रिंट लगाने का प्रावधान कर दिया है. पहली बार रजिस्ट्रेशन के दौरान अंगूठा लगाना होगा. दूसरी बार बैंक द्वारा लोन सेंक्शन और अंतिम बार विड्रोल के समय सदस्य को फिंगर प्रिंट लगाकर अपना वेरिफिकेशन करना होगा.
पिछली बार ऋण माफी में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई. इसमें ग्राम सेवा सहकारी समिति, लार्ज एग्रीकल्चर मल्टीपरपज सोसायटी अर्थात लैंप्स अध्यक्ष और व्यवस्थापक द्वारा व्यापक पैमाने पर मनमानी बरते जाने की बात सामने आई. लोन प्रोसेस में अलग-अलग स्टेप पर सदस्य द्वारा अंगूठा लगाए जाने के प्रावधान से व्यवस्थापक और अध्यक्ष की मनमानी पर लगाम लगेगी. बांसवाड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक ललित मीणा के अनुसार इस खरीफ सीजन में लोन के लिए सरकार द्वारा सॉफ्टवेयर के जरिए नवाचार किया गया है. डिफाल्टर सदस्यों की लोन एप्लीकेशन पहले चरण अर्थात रजिस्ट्रेशन के दौरान ही रिजेक्ट हो जाएगी. बांसवाड़ा जिले में ऐसे 10 हजार सदस्य बाहर किए गए हैं. जिन्हें भविष्य में भी लोन मिलना मुश्किल है. इसके अलावा पूरे लोन प्रोसेस के दौरान सदस्य काश्तकार को तीन बार फिंगर प्रिंट लगाना होगा. इससे व्यवस्थापक और अध्यक्षों की मनमानी पर भी अंकुश लगेगा.