बांसवाड़ा. अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में गोलमेज सेमिनार रखी गई. नई शिक्षा नीति और आदिवासी विषय पर आयोजित गोष्ठी के मुख्य अतिथि नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी थे. वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति को बेहतर बताते हुए अलग-अलग क्षेत्र की प्रथाओं को भी महत्व दिए जाने की जरूरत बताई.
विशेषज्ञों ने कहा कि वागड़ अंचल की नोतरा जैसी सामाजिक प्रथाओं को अनुसंधान के दायरे को बैंकिंग सिस्टम में अपनाया जा सकता है. प्रारंभ में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. लक्ष्मण लाल परमार ने कार्यक्रम का उद्देश्य और प्रतिवेदन अतिथियों के समक्ष रखा. मुख्य अतिथि नगर सभापति त्रिवेदी ने नई शिक्षा नीति को बेहतर बताते हुए कहा कि शिक्षा का निजीकरण बंद किया जाना चाहिए और इसके स्थान पर सार्वजनिक शिक्षा को मजबूती दी जा सकती है.
उन्होंने वागड़ अंचल की नोतरा प्रथा को क्षेत्र की एक मजबूत बैंकिंग व्यवस्था बताते हुए कहा कि नई शिक्षा पद्धति में इसे शामिल किया जाना चाहिए. विश्वविद्यालय के जनजातीय अध्ययन केंद्र के प्रभारी डॉ. महेंद्र मीणा ने नई शिक्षा नीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि यह अपने लक्ष्य पर मौन है और प्रतीकात्मक शिक्षा को बढ़ावा देने वाली है. उन्होंने स्थानीय भाषा को संरक्षित किए जाने की आवश्यकता बताई.
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गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सरला पांड्या ने नई शिक्षा पद्धति को तकनीकी ज्ञान बढ़ाने वाली नीति बताया. वहीं, हरिदेव जोशी कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सर्वजीत दुबे ने जिसे दर्शन और मूल्य से परिपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे उच्च शिक्षा में वैज्ञानिकता को बल मिलेगा.