बांसवाड़ा. पौराणिक कथाओं में आपने एकलव्य के बारे में पढ़ा व सुना होगा. एकलव्य ने गुरू द्रोणाचार्य को अपना गुरू मान उनकी प्रतिमा के सामने धनुष विद्या प्राप्त की थी. आज के इस आधुनिक युग में भी ऐसे एकलव्य के बार में आपको जानकर हैरानी होगी.
आपको एक नहीं बल्कि18 एकलव्य मिलेंगे जो बिना गुरू के शिक्षा अर्जित कर रहे हैं. यह एकलव्य घाटोल के स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. लेकिन आज के कलयुग में इन 18 एकलव्यों में से मात्र 3 एकलव्य ही गुरु द्रोणाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए.
आपको बता दें कि सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा रूपये खर्च कर निजी स्कूलों को मात देने वाला सरकारी स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल खोला. जहां पर सीबीएसई पैटर्न से शिक्षा दी जाती है. इस स्कूल पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी यहां बच्चों को एकलव्य की तरह बिना गुरू के शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है.
सत्र 17-18 में कक्षा 11 में 42 छात्रों ने प्रवेश लिया था. जिन्होंने ने बिना व्याख्याताओं के परीक्षा उत्तीर्ण की. जिसके बाद मॉडल स्कूल की कक्षा 12वी में 42 में से 24 विद्यार्थियों ने व्याख्याताओं की कमी के चलते निजी विद्यालयों में प्रवेश ले लिया. कक्षा 12वी में शेष बचे 18 विद्यार्थियों को व्याख्याता नहीं मिले. जिस कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी और 18 में से 15 विद्यार्थियों को फेल हो गए.
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो की पढ़ई अवरुद्ध हो गई है. बच्चों के अभिभावकों ने भी व्याख्याताओं की मांग को लेकर कई बार स्कूल के सामने प्रदर्शन व आन्दोलन किये और जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत भी कराया लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और ध्यान अभी तक ध्यान नहीं दिया है.