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स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में शिक्षकों की कमी, 18 में 15 बच्चे फेल - rajasthan

स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में शिक्षकों की कमी से 18 में से 15 विद्यार्थी फेल हो गए. सरकार ने यह मॉडल स्कूल करोड़ों रुपए खर्च करके बनवाया था ताकि हर वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके. पर शिक्षकों की कमी से यह योजना सफल नहीं होती दिख रही.

शिक्षको की कमी से बच्चों का भविष्य हुआ खराब
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Published : May 3, 2019, 9:28 PM IST

बांसवाड़ा. पौराणिक कथाओं में आपने एकलव्य के बारे में पढ़ा व सुना होगा. एकलव्य ने गुरू द्रोणाचार्य को अपना गुरू मान उनकी प्रतिमा के सामने धनुष विद्या प्राप्त की थी. आज के इस आधुनिक युग में भी ऐसे एकलव्य के बार में आपको जानकर हैरानी होगी.
आपको एक नहीं बल्कि18 एकलव्य मिलेंगे जो बिना गुरू के शिक्षा अर्जित कर रहे हैं. यह एकलव्य घाटोल के स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. लेकिन आज के कलयुग में इन 18 एकलव्यों में से मात्र 3 एकलव्य ही गुरु द्रोणाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए.

शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य हुआ खराब

आपको बता दें कि सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा रूपये खर्च कर निजी स्कूलों को मात देने वाला सरकारी स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल खोला. जहां पर सीबीएसई पैटर्न से शिक्षा दी जाती है. इस स्कूल पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी यहां बच्चों को एकलव्य की तरह बिना गुरू के शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है.


सत्र 17-18 में कक्षा 11 में 42 छात्रों ने प्रवेश लिया था. जिन्होंने ने बिना व्याख्याताओं के परीक्षा उत्तीर्ण की. जिसके बाद मॉडल स्कूल की कक्षा 12वी में 42 में से 24 विद्यार्थियों ने व्याख्याताओं की कमी के चलते निजी विद्यालयों में प्रवेश ले लिया. कक्षा 12वी में शेष बचे 18 विद्यार्थियों को व्याख्याता नहीं मिले. जिस कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी और 18 में से 15 विद्यार्थियों को फेल हो गए.
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो की पढ़ई अवरुद्ध हो गई है. बच्चों के अभिभावकों ने भी व्याख्याताओं की मांग को लेकर कई बार स्कूल के सामने प्रदर्शन व आन्दोलन किये और जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत भी कराया लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और ध्यान अभी तक ध्यान नहीं दिया है.

बांसवाड़ा. पौराणिक कथाओं में आपने एकलव्य के बारे में पढ़ा व सुना होगा. एकलव्य ने गुरू द्रोणाचार्य को अपना गुरू मान उनकी प्रतिमा के सामने धनुष विद्या प्राप्त की थी. आज के इस आधुनिक युग में भी ऐसे एकलव्य के बार में आपको जानकर हैरानी होगी.
आपको एक नहीं बल्कि18 एकलव्य मिलेंगे जो बिना गुरू के शिक्षा अर्जित कर रहे हैं. यह एकलव्य घाटोल के स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. लेकिन आज के कलयुग में इन 18 एकलव्यों में से मात्र 3 एकलव्य ही गुरु द्रोणाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए.

शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य हुआ खराब

आपको बता दें कि सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा रूपये खर्च कर निजी स्कूलों को मात देने वाला सरकारी स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल खोला. जहां पर सीबीएसई पैटर्न से शिक्षा दी जाती है. इस स्कूल पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी यहां बच्चों को एकलव्य की तरह बिना गुरू के शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है.


सत्र 17-18 में कक्षा 11 में 42 छात्रों ने प्रवेश लिया था. जिन्होंने ने बिना व्याख्याताओं के परीक्षा उत्तीर्ण की. जिसके बाद मॉडल स्कूल की कक्षा 12वी में 42 में से 24 विद्यार्थियों ने व्याख्याताओं की कमी के चलते निजी विद्यालयों में प्रवेश ले लिया. कक्षा 12वी में शेष बचे 18 विद्यार्थियों को व्याख्याता नहीं मिले. जिस कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी और 18 में से 15 विद्यार्थियों को फेल हो गए.
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो की पढ़ई अवरुद्ध हो गई है. बच्चों के अभिभावकों ने भी व्याख्याताओं की मांग को लेकर कई बार स्कूल के सामने प्रदर्शन व आन्दोलन किये और जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत भी कराया लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और ध्यान अभी तक ध्यान नहीं दिया है.

Intro:15 एकलव्य कलयुग में होनहार बच्चो का भविष्य हुआ खराब, जिम्मेदार कोन

घाटोल – पौराणिक कथाओं में आपने एकलव्य के बारे में पढा व सुना होगा।एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा के सामने अपनी धनुष विद्या प्राप्त की थी। आज के इस आधुनिक युग मे भी ऐसे एकलव्य के बार में आपको जानकर हैरानी होगी।ऐसे ही आपको एक नही 18 एकलव्य मिलेंगे जो बिना गुरु के शिक्षा अर्जित कर रहे है। यह एकलव्य घाटोल के स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे है। लेकिन आज के कलयुग में इन 18 एकलव्यों में से मात्र 3 एकलव्य ही गुरु द्रोणाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए।

Body:      आपको बता दे कि सरकार ने 2 करोड़ 82 लाख 60 हजार रूपये खर्च कर सरकार ने निजी स्कुलो को मात देने वाला सरकारी स्वामी विवेकानद मॉडल स्कुल खोला। जहा पर सीबी एस ई पेटर्न से सभी वर्ग के होनहार बच्चो को निजी स्कुलो से भी बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सके। लेकिन इस स्कूल पर करोड़ो खर्च होने के बाद भी यहां बच्चो को एकलव्य की तरह बिना गुरु के शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है। घाटोल के मॉडल स्कुल में कक्षा 11 व 12 ने पढने वाले बच्चो के लिए व्याख्याता उपलब्ध नही करवा पायी। जिस कारण इस स्कुल में पढने वाले होनहार बच्चो की पढाई अवरुद्ध हो गई। बच्चो के अभिभावकों ने भी व्याख्याताओ की मांग को लेकर कई बार स्कूल के पदर्शन व आन्दोलन किये और जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत भी कराया लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और ध्यान नही दिया। सत्र 17-18 में कक्षा 11 वी ने 42 छात्रों ने प्रवेश लिया। जिन्होंने ने बिना व्याख्याताओं के परीक्षा उत्तीर्ण की।जिसके बाद मॉडल स्कूल की कक्षा 12 वी में 42 में से 24 विद्यार्थियों ने व्याख्याताओ की कमी के चलते निजी स्कुलो में प्रवेश ले लिया।कक्षा 12 वी में शेष बचे 18 विद्यार्थियों को व्याख्याता नही मिले। जिस कारण बच्चो की पढ़ाई पूरी नही हो सकी और 18 में से 15 विद्यार्थियों को फेल होकर अपना भविष्य का एक वर्ष बिगाड़ना पड़ा।Conclusion:
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