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बांसवाड़ा में वन्यजीवों की प्यास बुझा रहा वन विभाग

प्रदेश में तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. जिसके चलते वन्य क्षेत्रों में बने जल स्त्रोतों में पानी सूख रहा है. जिससे वन्यजीवों को खासी परेशानी हो रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग की ओर से वन्यजीवों के आसपास ही पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. ताकि जानवरों को पानी की तलाश में दूर ना जाना पड़े.

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न विभाग टैंकरों से उपलब्ध करवा रहा वन्यजीवों को पानी
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Published : Jun 14, 2020, 7:01 PM IST

बांसवाड़ा. भीषण गर्मी के इस दौर में इंसान ही नहीं, हर जीव पानी को लेकर हलकान है. खासकर जंगलों में वन्यजीवों को अपने हलक तर करने के लिए पानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है. जिसके चलते वे कई बार पानी की तलाश में दूर-दराज तक निकल जाते हैं. कई बार तो रास्ता भी भटक जाते हैं. इस समस्या को देखते हुए वन विभाग की ओर से कुछ स्थानों पर पानी की व्यवस्था की जा रही है. इसके पीछे विभाग की मंशा वन्य जीवों को अपने आसपास ही पानी उपलब्ध कराना है.

न विभाग टैंकरों से उपलब्ध करवा रहा वन्यजीवों को पानी

वन विभाग की ओर से करीब 3 दर्जन स्थानों पर पानी की व्यवस्था की जा रही है, ताकि जानवरों कि प्यास बुझाई जा सके. जिले में वन विभाग आठ खंडों में विभक्त है और सभी खंडों में अलग-अलग किस्म के वन्य जीव चिन्हित हैं. बांसवाड़ा, घाटोल और बागीदौरा वन क्षेत्र में पैंथर की आवाजाही आम है. यहां आए दिन मवेशियों के शिकार की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं. इसी प्रकार लोमड़ी, नीलगाय, बंदर, मोर आदि कई प्रकार के वन्यजीवों के होने के भी संकेत मिलते आए हैं.

बारिश और सर्दी में यह वन्यजीव जंगल में उपलब्ध जल स्त्रोतों से अपनी प्यास बुझा लेते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में पेयजल स्रोत सूखने लगते हैं. इन परिस्थितियों में वन्यजीवों के समक्ष अपने हलक तर करने का संकट खड़ा हो जाता है. पानी की तलाश में वन्य जीव अपना स्थान छोड़कर दूर-दराज तक पहुंच जाते हैं. इस प्रयास में वन जीव कई बार दुर्घटनाओं का शिकार भी हो जाते हैं.

इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग की ओर से वन्यजीवों के आसपास ही पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. विभाग की ओर से करीब तीन दर्जन स्थानों पर टैंकर लगाए गए. हालांकि आधा दर्जन स्थानों को छोड़कर अन्य सभी पेयजल स्त्रोत परंपरागत और नैसर्गिक हैं. कोई तालाब की तलहटी में है, तो कोई नदी-नाले में है. वन विभाग की ओर से यहां पर टैंकरों से पानी सप्लाई करवाया जाता है. इसके लिए विभाग की ओर से सभी रेंजर्स को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: तेल के दामों में जबरदस्त उछाल, अन्य राज्यों की सीमा से सटे प्रदेश के पेट्रोल पंप बंद होने की कगार पर

उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार अप्रैल, मई और जून में वन्यजीवों के समक्ष अपनी प्यास बुझाने का संकट खड़ा हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए जिले भर में करीब 3 दर्जन स्थानों पर पानी उपलब्ध कराया गया है. इससे वन्यजीवों को अपने आसपास ही पानी मोहिया हो जाएगा और उन्हें दूरदराज भटकना नहीं पड़ेगा.

बांसवाड़ा. भीषण गर्मी के इस दौर में इंसान ही नहीं, हर जीव पानी को लेकर हलकान है. खासकर जंगलों में वन्यजीवों को अपने हलक तर करने के लिए पानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है. जिसके चलते वे कई बार पानी की तलाश में दूर-दराज तक निकल जाते हैं. कई बार तो रास्ता भी भटक जाते हैं. इस समस्या को देखते हुए वन विभाग की ओर से कुछ स्थानों पर पानी की व्यवस्था की जा रही है. इसके पीछे विभाग की मंशा वन्य जीवों को अपने आसपास ही पानी उपलब्ध कराना है.

न विभाग टैंकरों से उपलब्ध करवा रहा वन्यजीवों को पानी

वन विभाग की ओर से करीब 3 दर्जन स्थानों पर पानी की व्यवस्था की जा रही है, ताकि जानवरों कि प्यास बुझाई जा सके. जिले में वन विभाग आठ खंडों में विभक्त है और सभी खंडों में अलग-अलग किस्म के वन्य जीव चिन्हित हैं. बांसवाड़ा, घाटोल और बागीदौरा वन क्षेत्र में पैंथर की आवाजाही आम है. यहां आए दिन मवेशियों के शिकार की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं. इसी प्रकार लोमड़ी, नीलगाय, बंदर, मोर आदि कई प्रकार के वन्यजीवों के होने के भी संकेत मिलते आए हैं.

बारिश और सर्दी में यह वन्यजीव जंगल में उपलब्ध जल स्त्रोतों से अपनी प्यास बुझा लेते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में पेयजल स्रोत सूखने लगते हैं. इन परिस्थितियों में वन्यजीवों के समक्ष अपने हलक तर करने का संकट खड़ा हो जाता है. पानी की तलाश में वन्य जीव अपना स्थान छोड़कर दूर-दराज तक पहुंच जाते हैं. इस प्रयास में वन जीव कई बार दुर्घटनाओं का शिकार भी हो जाते हैं.

इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग की ओर से वन्यजीवों के आसपास ही पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. विभाग की ओर से करीब तीन दर्जन स्थानों पर टैंकर लगाए गए. हालांकि आधा दर्जन स्थानों को छोड़कर अन्य सभी पेयजल स्त्रोत परंपरागत और नैसर्गिक हैं. कोई तालाब की तलहटी में है, तो कोई नदी-नाले में है. वन विभाग की ओर से यहां पर टैंकरों से पानी सप्लाई करवाया जाता है. इसके लिए विभाग की ओर से सभी रेंजर्स को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं.

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उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार अप्रैल, मई और जून में वन्यजीवों के समक्ष अपनी प्यास बुझाने का संकट खड़ा हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए जिले भर में करीब 3 दर्जन स्थानों पर पानी उपलब्ध कराया गया है. इससे वन्यजीवों को अपने आसपास ही पानी मोहिया हो जाएगा और उन्हें दूरदराज भटकना नहीं पड़ेगा.

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