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बांसवाड़ा: क्षतिग्रस्त पुलिया को लेकर दो विभाग एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी

बांसवाड़ा शहर को जयपुर हाईवे से जोड़ने वाले लिंक रोड की पुलिया 1 सप्ताह से क्षतिग्रस्त है. जिस कारण इसके ऊपर से आवाजाही पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में लोग दुर्गम रास्ते से बहते हुए नाले को पार करके जा रहे हैं. लेकिन पुलिया की मरम्मत का जिम्मा सार्वजनिक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एक-दूसरे पर डाल रहा है.

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नहीं हो रही क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत
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Published : Jun 7, 2020, 4:20 PM IST

बांसवाड़ा. शहर को जयपुर राजमार्ग से जोड़ने वाली लिंक रोड की पुलिया के क्षतिग्रस्त होने के 1 सप्ताह बाद भी इसकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं दिख रहा है. मरम्मत तो दूर की बात अब तक यह तय नहीं हो पाया कि, यह पुलिया आखिर किस विभाग के अधीन है? फिलहाल यह मामला दो विभागों के बीच फंस गया है और अधिकारी इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोप रहे हैं.

नहीं हो रही क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत

वहीं दो विभागों के बीच फंसे मामले का खामियाजा इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर दुर्गम रास्ते से बहते हुए नाले को पार करने पर मजबूर हैं. आश्चर्य की बात यह है कि, नियम कायदे जनता के लिए बनाए जाते हैं. परंतु यहां पर अधिकारी नियमों की दुहाई देकर लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. जबकि बारिश शुरू होने के बाद इसकी मरम्मत का कार्य मुश्किल में पड़ सकता है.

पुलिया पर आवागमन बंद

बता दें कि, यह लिंक रोड शहर और जयपुर राजमार्ग को जोड़ने वाला प्रमुख सड़क मार्ग है. शहर हो या फिर आसपास के गांव का मामला लोग इसी रास्ते को अपनाते हैं. 1 सप्ताह पहले इसकी एक पुलिया का पिलर दरार आने के साथ गिर पड़ा. हालांकि उसी दिन पुलिया पर आवागमन को रोक दिया गया. परंतु इसकी मरम्मत का कार्य अब भी दूर की कौड़ी बनता दिखाई दे रहा है.

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जान जोखिम में डाल रहे लोग

लोग नाला पार करने पर मजबूर

पुलिया के क्षतिग्रस्त होने पर आस-पास के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोहों के पास कोई और रास्ता नहीं है. ऐसे में पुलिया से आवागमन बंद होने के बाद लोग उबड़-खाबड़ रास्ते से बहते हुए नाले से आने-जाने को मजबूर हैं. रात-दिन अपनी जान को जोखिम में डालकर हजारों लोग इस रास्ते से गुजर रहे हैं. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन और निर्माण विभाग अपना पला झाड़ रहा है.

ये पढ़ें: Exclusive: जयपुर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने विकसित की माइक्रोबायोलॉजी लैब, 1 दिन में होंगे 5 हजार कोरोना सैंपल टेस्ट

दो विभाग एक-दूसरे पर थोप रहा जिम्मेदारी

ईटीवी भारत ने सार्वजनिक निर्माण विभाग पहुंचकर इस मामले में अधीक्षण अभियंता रामहेत मीणा से संपर्क किया. इस पर उन्होंने लिंक रोड राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधीन होना बताया. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, उक्त लिंक रोड राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की ओर से हैंड ओवर किया जा रहा है, जो कि फिलहाल प्रक्रिया में है.

वहीं, जब इस संबंध में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता आरएस बैरवा से संपर्क किया गया तो, उन्होंने खुद को शहर से बाहर होना बताया. संबंधित सहायक अभियंता का कहना था कि, बाईपास का निर्माण होने के बाद लिंक रोड की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग के कंधों पर आ जाती है. इस लिंक रोड को हैंड ओवर करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. ऐसे में इसकी मरम्मत का काम सार्वजनिक निर्माण विभाग के जिम्मे है.

ये पढ़ें: पीपीई किट घोटाले में लीपापोती नहीं दंडात्मक और वसूली की कार्रवाई करे सरकार: पूर्व चिकित्सा मंत्री सराफ

ऐसे में फिलहाल दोनों ही विभागों की टालमटोल का खामियाजा हजारों लोग भुगतने को मजबूर हैं. नाले में पानी बह रहा है. वहीं उबड़-खाबड़ रास्ता होने के साथ चढ़ाव पर फिसलन की समस्या भी आ गई है. इससे दुर्घटनाएं होने का खतरा भी बढ़ गया है. आश्चर्यजनक बात यह है कि, हजारों लोगों की जान संकट पर होने के बावजूद जिला प्रशासन भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है. जबकि मानसून के आने में महज कुछ दिन शेष है. बारिश के दौरान मरम्मत कार्य चलाया जाना मुश्किल हो सकता है.

बांसवाड़ा. शहर को जयपुर राजमार्ग से जोड़ने वाली लिंक रोड की पुलिया के क्षतिग्रस्त होने के 1 सप्ताह बाद भी इसकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं दिख रहा है. मरम्मत तो दूर की बात अब तक यह तय नहीं हो पाया कि, यह पुलिया आखिर किस विभाग के अधीन है? फिलहाल यह मामला दो विभागों के बीच फंस गया है और अधिकारी इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोप रहे हैं.

नहीं हो रही क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत

वहीं दो विभागों के बीच फंसे मामले का खामियाजा इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर दुर्गम रास्ते से बहते हुए नाले को पार करने पर मजबूर हैं. आश्चर्य की बात यह है कि, नियम कायदे जनता के लिए बनाए जाते हैं. परंतु यहां पर अधिकारी नियमों की दुहाई देकर लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. जबकि बारिश शुरू होने के बाद इसकी मरम्मत का कार्य मुश्किल में पड़ सकता है.

पुलिया पर आवागमन बंद

बता दें कि, यह लिंक रोड शहर और जयपुर राजमार्ग को जोड़ने वाला प्रमुख सड़क मार्ग है. शहर हो या फिर आसपास के गांव का मामला लोग इसी रास्ते को अपनाते हैं. 1 सप्ताह पहले इसकी एक पुलिया का पिलर दरार आने के साथ गिर पड़ा. हालांकि उसी दिन पुलिया पर आवागमन को रोक दिया गया. परंतु इसकी मरम्मत का कार्य अब भी दूर की कौड़ी बनता दिखाई दे रहा है.

बांसवाड़ा न्यूज, banswara news, Damaged culvert of link road, link road in Banswara
जान जोखिम में डाल रहे लोग

लोग नाला पार करने पर मजबूर

पुलिया के क्षतिग्रस्त होने पर आस-पास के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोहों के पास कोई और रास्ता नहीं है. ऐसे में पुलिया से आवागमन बंद होने के बाद लोग उबड़-खाबड़ रास्ते से बहते हुए नाले से आने-जाने को मजबूर हैं. रात-दिन अपनी जान को जोखिम में डालकर हजारों लोग इस रास्ते से गुजर रहे हैं. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन और निर्माण विभाग अपना पला झाड़ रहा है.

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दो विभाग एक-दूसरे पर थोप रहा जिम्मेदारी

ईटीवी भारत ने सार्वजनिक निर्माण विभाग पहुंचकर इस मामले में अधीक्षण अभियंता रामहेत मीणा से संपर्क किया. इस पर उन्होंने लिंक रोड राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधीन होना बताया. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, उक्त लिंक रोड राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की ओर से हैंड ओवर किया जा रहा है, जो कि फिलहाल प्रक्रिया में है.

वहीं, जब इस संबंध में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता आरएस बैरवा से संपर्क किया गया तो, उन्होंने खुद को शहर से बाहर होना बताया. संबंधित सहायक अभियंता का कहना था कि, बाईपास का निर्माण होने के बाद लिंक रोड की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग के कंधों पर आ जाती है. इस लिंक रोड को हैंड ओवर करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. ऐसे में इसकी मरम्मत का काम सार्वजनिक निर्माण विभाग के जिम्मे है.

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ऐसे में फिलहाल दोनों ही विभागों की टालमटोल का खामियाजा हजारों लोग भुगतने को मजबूर हैं. नाले में पानी बह रहा है. वहीं उबड़-खाबड़ रास्ता होने के साथ चढ़ाव पर फिसलन की समस्या भी आ गई है. इससे दुर्घटनाएं होने का खतरा भी बढ़ गया है. आश्चर्यजनक बात यह है कि, हजारों लोगों की जान संकट पर होने के बावजूद जिला प्रशासन भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है. जबकि मानसून के आने में महज कुछ दिन शेष है. बारिश के दौरान मरम्मत कार्य चलाया जाना मुश्किल हो सकता है.

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