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कोरोना की मार: मौत के कुएं में बाइक दौड़ाने वाली रीना अब बकरियां चराने को मजबूर

कोरोना के प्रकोप ने हजारों लोगों का रोजगार छीन लिया है. लोगों का अच्छा खासा धंधा महामारी की भेंट चढ़ गया है. कुछ ऐसा ही हुआ है बांसवाड़ा स्थित माही डैम के पास रहने वाली रीना के साथ. मौत के कुएं में बाइक पर स्टंट दिखाने वाली रीना कोरोना काल में सभी आयोजनों पर रोक के चलते बकरियां चराने को मजबूर हो गई है.

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Published : Aug 31, 2020, 3:19 PM IST

Reena, who ran a bike in the well of death, now grazing goats
मौत के कुएं में बाइक दौड़ाने वाली रीना, अब चरा रही बकरियां

बांसवाड़ा. 'मौत का कुआं' नाम सामने आते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन बांसवाड़ा स्थित माही डैम के पास रहने वाली 23 वर्षीय आदिवासी युवती रीना निनामा उसमें फर्राटे से बाइक चलाती है. 3 साल से अपने हैरतअंगेज कारनामे के जरिए वह अपने भाई-बहनों का पेट पाल रही थी, लेकिन कोरोना के चलते सारे आयोजनाें पर रोक लगने से उसके काम पर भी ब्रेक लग गया. घर की स्थिति ठीक न होने के कारण बाइक पर स्टंट दिखाने वाली रीना बकरियां चराने को मजबूर है.

बाइक पर स्टंट दिखाने में माहिर रीना

रीना ने बताया कि कुछ दिन तो बचत से काम चला, लेकिन अब हालात बदतर हो गए हैं. परिवार चलाने के लिए वह खेतों में काम करने के साथ ही बकरियां चराती है. हालांकि उसके भाई भी मजदूरी करते हैं लेकिन परिवार बड़ा होने के कारण उनकी कमाई से घर चलना मुश्किल है. रीना अब तक देश के कई इलाकों में अपने हैरतअंगेज करतब दिखा चुकी है. इनमें ग्वालियर, कोटा, दिल्ली, मध्य प्रदेश के कुछ शहर, जयपुर, उदयपुर आदि शामिल हैं. यहां तक कि बांसवाड़ा में हर वर्ष लगने वाले नवरात्र मेले में भी बाइक पर करतब दिखाकर वह स्थानीय लोगों का दिल जीत चुकी है.

Reena rides a bike in the well of death
मौत के कुएं में बाइक चलाती रीना

यह भी पढ़ें: SPECIAL: कोरोना के चलते 'अक्षय पात्र योजना' को करीब 42 लाख का नुकसान, महिलाओं का भी छिना रोजगार

बचपन में पिता छोड़ गए दुनिया

रीना अपने चार भाई-बहनों में से तीसरे नंबर पर आती है. जब वह तीन-चार साल की थी तभी माही परियोजना में बतौर ड्राइवर कार्यरत उसके पिता की नाकूड़ा की कैनाल में गिरने से मौत हो गई थी. उसके बाद उसकी मां ईतरी ने परिवार को संभाला और खेती-बाड़ी के जरिए गुजारा किया, लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि अपने चारों बच्चों को उच्च प्राथमिक शिक्षा से ज्यादा पढ़ा नहीं पाई. रीना भी नवीं कक्षा तक ही पढ़ी है.

Reena specializes in performing stunts on bikes
बाइक पर स्टंट दिखाने में माहिर रीना

यह भी पढ़ें: Special : पाली के कपड़ा उद्योग का रंग हुआ फीका, लॉकडाउन की मार से उबर नहीं पा रहा कारोबार

मेले में गई और रास आ गया स्टंट

वर्ष 2017 में वह बांसवाड़ा में आयोजित मेला देखने गई थी, जहां मौत के कुएं में लड़की सुमन को बाइक चलाते देखकर वह काफी प्रभावित हुई. उसने सुमन से दोस्ती कर ली. सुमन ने उसे इस काम के लिए ऑफर किया तो रीना ने हां कर दी. पहले रीना को अमरावती, महाराष्ट्र भेजा गया जहां 3 महीने तक उसे ट्रेनिंग दी गई. उसके बाद सहयोगी कुशल भाई के साथ मौत के कुएं में बाइक चलाने लगी. धीरे-धीरे वह इतना परफेक्ट हो गई की दिल्ली सहित विभिन्न स्थानों पर मौत के कुएं में बाइक पर स्टंट दिखाने के लिए जाने लगी.

ट्रेनिंग के बाद माता का निधन

ट्रेनिंग के बाद वह अमरावती में काम कर रही थी कि माता का निधन हो गया. इसके बाद वह लगातार 9 महीने तक अपने घर पर ही रही और परिवार को संभाला. कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते उसने फिर से मौत के कुएं में बाइक चलाने का काम शुरू किया तो स्थिति संभली. यहां 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह वह कमाने लगी थी, लेकिन मार्च में जैसे ही लॉकडाउन हुआ कामकाज भी बंद हो गया और वह फिर घर आ गई.

रीना की माने तो लॉकडाउन के कारण भाइयों की मजदूरी छूट गई तो दूसरी ओर उसका भी कामकाज बंद हो गया है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है. खेती-बाड़ी के साथ बकरी चराकर परिवार का हाथ बंटा रही हूं. हालांकि अब भाई काम पर जाने लगे हैं परंतु उसका कामकाज बंद है जिससे घर में आर्थिक तंगी बनी हुई है.

बांसवाड़ा. 'मौत का कुआं' नाम सामने आते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन बांसवाड़ा स्थित माही डैम के पास रहने वाली 23 वर्षीय आदिवासी युवती रीना निनामा उसमें फर्राटे से बाइक चलाती है. 3 साल से अपने हैरतअंगेज कारनामे के जरिए वह अपने भाई-बहनों का पेट पाल रही थी, लेकिन कोरोना के चलते सारे आयोजनाें पर रोक लगने से उसके काम पर भी ब्रेक लग गया. घर की स्थिति ठीक न होने के कारण बाइक पर स्टंट दिखाने वाली रीना बकरियां चराने को मजबूर है.

बाइक पर स्टंट दिखाने में माहिर रीना

रीना ने बताया कि कुछ दिन तो बचत से काम चला, लेकिन अब हालात बदतर हो गए हैं. परिवार चलाने के लिए वह खेतों में काम करने के साथ ही बकरियां चराती है. हालांकि उसके भाई भी मजदूरी करते हैं लेकिन परिवार बड़ा होने के कारण उनकी कमाई से घर चलना मुश्किल है. रीना अब तक देश के कई इलाकों में अपने हैरतअंगेज करतब दिखा चुकी है. इनमें ग्वालियर, कोटा, दिल्ली, मध्य प्रदेश के कुछ शहर, जयपुर, उदयपुर आदि शामिल हैं. यहां तक कि बांसवाड़ा में हर वर्ष लगने वाले नवरात्र मेले में भी बाइक पर करतब दिखाकर वह स्थानीय लोगों का दिल जीत चुकी है.

Reena rides a bike in the well of death
मौत के कुएं में बाइक चलाती रीना

यह भी पढ़ें: SPECIAL: कोरोना के चलते 'अक्षय पात्र योजना' को करीब 42 लाख का नुकसान, महिलाओं का भी छिना रोजगार

बचपन में पिता छोड़ गए दुनिया

रीना अपने चार भाई-बहनों में से तीसरे नंबर पर आती है. जब वह तीन-चार साल की थी तभी माही परियोजना में बतौर ड्राइवर कार्यरत उसके पिता की नाकूड़ा की कैनाल में गिरने से मौत हो गई थी. उसके बाद उसकी मां ईतरी ने परिवार को संभाला और खेती-बाड़ी के जरिए गुजारा किया, लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि अपने चारों बच्चों को उच्च प्राथमिक शिक्षा से ज्यादा पढ़ा नहीं पाई. रीना भी नवीं कक्षा तक ही पढ़ी है.

Reena specializes in performing stunts on bikes
बाइक पर स्टंट दिखाने में माहिर रीना

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मेले में गई और रास आ गया स्टंट

वर्ष 2017 में वह बांसवाड़ा में आयोजित मेला देखने गई थी, जहां मौत के कुएं में लड़की सुमन को बाइक चलाते देखकर वह काफी प्रभावित हुई. उसने सुमन से दोस्ती कर ली. सुमन ने उसे इस काम के लिए ऑफर किया तो रीना ने हां कर दी. पहले रीना को अमरावती, महाराष्ट्र भेजा गया जहां 3 महीने तक उसे ट्रेनिंग दी गई. उसके बाद सहयोगी कुशल भाई के साथ मौत के कुएं में बाइक चलाने लगी. धीरे-धीरे वह इतना परफेक्ट हो गई की दिल्ली सहित विभिन्न स्थानों पर मौत के कुएं में बाइक पर स्टंट दिखाने के लिए जाने लगी.

ट्रेनिंग के बाद माता का निधन

ट्रेनिंग के बाद वह अमरावती में काम कर रही थी कि माता का निधन हो गया. इसके बाद वह लगातार 9 महीने तक अपने घर पर ही रही और परिवार को संभाला. कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते उसने फिर से मौत के कुएं में बाइक चलाने का काम शुरू किया तो स्थिति संभली. यहां 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह वह कमाने लगी थी, लेकिन मार्च में जैसे ही लॉकडाउन हुआ कामकाज भी बंद हो गया और वह फिर घर आ गई.

रीना की माने तो लॉकडाउन के कारण भाइयों की मजदूरी छूट गई तो दूसरी ओर उसका भी कामकाज बंद हो गया है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है. खेती-बाड़ी के साथ बकरी चराकर परिवार का हाथ बंटा रही हूं. हालांकि अब भाई काम पर जाने लगे हैं परंतु उसका कामकाज बंद है जिससे घर में आर्थिक तंगी बनी हुई है.

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