बांसवाड़ा. जिले में इस बार अतिवृष्टि के चलते बड़े पैमाने पर फसलें खराब हुई है. जिला प्रशासन द्वारा गिरदावरी रिपोर्ट में फसल लगभग 63 प्रतिशत खराब माना गया है. वहीं 25 अक्टूबर तक सभी जिलों की गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद ही अब सरकार द्वारा राहत संबंधी कदम उठाए जाने की संभावना है.
बता दें कि जिले में मानसून के दौरान अगस्त और सितंबर में भारी बारिश हुई थी. वहीं इस तूफान भरी बारिश से सभी नदी-नालों उफान पर आ गए थे. जिससे खरीफ की फसल पूरी तरह डूब गई थी. अधिकांश क्षेत्रों में कई दिनों तक फसलें पानी में डूबी रही. जिससे सारी फसलें गल गई.
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गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार औसत रूप से जिलेभर में 63 प्रतिशत फसलें खराब होने का अनुमान लगाया गया है. वैसे तो जिलेभर में फसलों को नुकसान पहुंचा है, वहीं बागीदौरा तहसील क्षेत्र में 71 प्रतिशत फसलें खराब होने की बात सामने आई है.
अब सरकार पर नजर
बांसवाड़ा से गिरदावरी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास पहुंच गई है. नियमानुसार 33 प्रतिशत खराबे के साथ ही सरकारी राहत की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. सभी जिला मुख्यालयों से गिरदावरी रिपोर्ट 25 अक्टूबर तक पहुंचने की उम्मीद है. उसके बाद ही सरकार पॉलिसी तय करेगी. देखने वाली बात यह होगी कि सरकार आखिर कितना खराब मानती है. उसी के अनुरूप बजट जारी होगा.
2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में की गई थी बुवाई
कृषि विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में खरीफ फसल के दौरान 2 लाख 16 हजार 940 हैक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की फसलों की बुवाई की गई थी. वहीं लगभग 1 लाख हैक्टेयर में मक्का की बुवाई की गई थी. 17 हजार 250 हैक्टेयर में धान बोया गया था.
जिले में मक्का के बाद सबसे अधिक से अधिक हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई थी. कुल मिलाकर 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र से अधिक भू-भाग में खरीफ की फसल बोई गई थी. गिरदावरी रिपोर्ट में 63 प्रतिशत खराब का आकलन किया गया है. इस प्रकार करीब 1 लाख 30 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में फसल खराब माना गया है.
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कार्यवाहक अतिरिक्त जिला कलेक्टर पर्वत सिंह चुंडावत के अनुसार फसल खराबे को देखते हुए हमने पहले ही गिरदावरी के निर्देश जारी कर दिए थे. 25 अक्टूबर तक गिरदावरी रिपोर्ट आनी थी. विभिन्न तहसीलों से गिरदावरी आने के बाद जिले की रिपोर्ट तैयार की गई है. जिसमें औसत रूप से 63 प्रतिशत फसल खराबा माना गया है. हमने गिरदावरी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है. अब प्रभावित किसानों को किस प्रकार राहत दी जानी हैं, इस संबंध में सरकार के अगले आदेश का इंतजार है.