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बांसवाड़ाः शीतला सप्तमी पर की गई विशेष पूजा-अर्चना

प्रति वर्ष की भांति इस बार भी शीतला सप्तमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस दिन महिलाएं तैयार होकर शीतला माता का पूजन कर के ठंडा भोजन ग्रहण करती हैं. बागीदौरा में स्थित शीतला माता के मंदिर परिसर में महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना के बाद कथा सुनी गई. इसके बाद महिलाओं द्वारा एक दिन पूर्व बनाया गया भोजन खाकर व्रत को संपन्न किया गया.

bagidora samptami vrat celebration by women
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Published : Aug 22, 2019, 4:35 PM IST

बागीदौरा (बांसवाड़ा). प्रति वर्ष की भांति इस बार भी शीतला सप्तमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस दिन महिलाएं सज-संवर कर शीतला माता का पूजन करती हैं. इसके बाद वो एक दिन पहले बनाया गया ठंडा भोजन करती है. इस बार भी बागीदौरा में स्थित शीतला माता के मंदिर परिसर में महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई. फिर उसके बाद एक कथा सुनी गई जिसके बाद महिलाओं द्वारा एक दिन पूर्व बनाया गया भोजन खाकर व्रत को संपन्न किया गया.


मान्यता है कि प्राचीन समय में शीतला माता धरती पर अपने पूजा स्थल को ढूंढ रही थीं. तब उन्होंने राजस्थान के डूंगरी गांव, जो कि वर्तमान में जयपुर में स्थित है, में प्रकट हुई. जब वह डूंगरी गांव में साधारण महिला के वेश में घूम रही थी तब उसी समय उनके ऊपर एक महिला ने घर के ऊपर से उबले हुवे चावल का पानी डाला जिसके बाद उनके शरीर पर जलन होने लगी. इस जलन को दूर करने के लिए उन्होंने ठंडा पानी शरीर पर डालने की मदद मांगी. काफी देर घूमने के बाद वह एक कुम्हार के घर पर गई. तब कुम्हारन ने उनकी जलन को देखते हुवे उनके शरीर पर ठंडा पानी डाला और उनकी जलन को कम किया. जिसके बाद कुम्हारन द्वारा एक दिन पूर्व बनाया हुआ ठंडा भोजन उन्हे खिलाया गया. उस भोजन को ग्रहण कर के वो प्रसन्न हो गई. फिर वो महिला अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुई और कुम्हारन को शीतला माता ने अपने असली रुप में दर्शन दिए. जिसके बाद कुम्हारन के वरदान के रूप में माता शीतला उसी गांव में बस गई और आज भी वहां उनका भव्य मंदिर बना हुआ है.

बागीदौरा में शीतला सप्तमी पर महिलाओं द्वारा की गई विशेष पूजा-अर्चना

यह भी पढ़ें: पोषाहार बिल पास करने के एवज में मांगे थे 40 हजार, स्कूल प्रिंसिपल और अध्यापक 7 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार
यही वजह है की इसे एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. जिसमे महिलाएं एक दिन पूर्व का ठंडा भोजन कर इस व्रत को पूरा करती हैं. साथ ही अपने सुहाग और परिवार के सकुशल होने की प्रार्थना माता से करती है.

बागीदौरा (बांसवाड़ा). प्रति वर्ष की भांति इस बार भी शीतला सप्तमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस दिन महिलाएं सज-संवर कर शीतला माता का पूजन करती हैं. इसके बाद वो एक दिन पहले बनाया गया ठंडा भोजन करती है. इस बार भी बागीदौरा में स्थित शीतला माता के मंदिर परिसर में महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई. फिर उसके बाद एक कथा सुनी गई जिसके बाद महिलाओं द्वारा एक दिन पूर्व बनाया गया भोजन खाकर व्रत को संपन्न किया गया.


मान्यता है कि प्राचीन समय में शीतला माता धरती पर अपने पूजा स्थल को ढूंढ रही थीं. तब उन्होंने राजस्थान के डूंगरी गांव, जो कि वर्तमान में जयपुर में स्थित है, में प्रकट हुई. जब वह डूंगरी गांव में साधारण महिला के वेश में घूम रही थी तब उसी समय उनके ऊपर एक महिला ने घर के ऊपर से उबले हुवे चावल का पानी डाला जिसके बाद उनके शरीर पर जलन होने लगी. इस जलन को दूर करने के लिए उन्होंने ठंडा पानी शरीर पर डालने की मदद मांगी. काफी देर घूमने के बाद वह एक कुम्हार के घर पर गई. तब कुम्हारन ने उनकी जलन को देखते हुवे उनके शरीर पर ठंडा पानी डाला और उनकी जलन को कम किया. जिसके बाद कुम्हारन द्वारा एक दिन पूर्व बनाया हुआ ठंडा भोजन उन्हे खिलाया गया. उस भोजन को ग्रहण कर के वो प्रसन्न हो गई. फिर वो महिला अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुई और कुम्हारन को शीतला माता ने अपने असली रुप में दर्शन दिए. जिसके बाद कुम्हारन के वरदान के रूप में माता शीतला उसी गांव में बस गई और आज भी वहां उनका भव्य मंदिर बना हुआ है.

बागीदौरा में शीतला सप्तमी पर महिलाओं द्वारा की गई विशेष पूजा-अर्चना

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यही वजह है की इसे एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. जिसमे महिलाएं एक दिन पूर्व का ठंडा भोजन कर इस व्रत को पूरा करती हैं. साथ ही अपने सुहाग और परिवार के सकुशल होने की प्रार्थना माता से करती है.

Intro:प्रति वर्ष की भांति इस बार भी शीतला सप्तमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया | इस दिन महिलाएं तैयार होकर शीतला माता का पूजन कर ठंडा भोजन करती है | बागीदौरा में स्थित शीतला माता मंदिर परिसर में महिलाओं द्वारा पूजा अर्चना के बाद कथा सुनी गई जिसके बाद महिलाओं द्वारा एक दिन पूर्व बनाया गया भोजन खाकर व्रत को संपन्न किया गया।
Body:प्रति वर्ष की भांति इस बार भी शीतला सप्तमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया | इस दिन महिलाएं तैयार होकर शीतला माता का पूजन कर ठंडा भोजन करती है | बागीदौरा में स्थित शीतला माता मंदिर परिसर में महिलाओं द्वारा पूजा अर्चना के बाद कथा सुनी गई जिसके बाद महिलाओं द्वारा एक दिन पूर्व बनाया गया भोजन खाकर व्रत को संपन्न किया गया।
मान्यता है कि प्राचीन समय में शीतला माता ने धरती पर अपने पूजा स्थल की ढूंढ रही थी। तब उन्होंने राजस्थान के डूंगरी गांव जो कि वर्तमान में जयपुर में स्थित है में प्रकट हुई व अपने पूजा स्थलों के को ढूंढने लगी। जब वह डूंगरी गांव में साधारण महिला के वेश में घूम रही थी इसी समय उनके ऊपर एक महिला द्वारा घर के ऊपर से उबले हुवे चावल का पानी डाला गया। जिसके बाद उनके शरीर पर जलन होने लगी । इस जलन को दूर करने के लिए उन्होंने ठंडा पानी शरीर पर डालने की मदद मांगी। काफी देर घूमने के बाद वह एक कुम्हार के घर पर गई तब कुम्हारन ने उनकी जलन को देखते हुवे उनके शरीर पर ठंडा पानी डाला व उनकी जलन को कम किया गया। जिसके बाद कुम्हारन द्वारा एक दिन पूर्व बनाया गया ठंडा भोजन खिलाया गया। जिससे प्रसन्न होकर उस महिला ने अपना वास्तविक रूप प्रकट किया व कुम्हारन को शीतला माता के दर्शन दिए। जिसके बाद कुम्हारन के वरदान के रूप में माता शीतला उसी गांव में बस गई। जहां आज भी उनका भव्य मंदिर बना हुवा है।
तभी से इसे एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन महिलाएं एक दिन पूर्व का ठंडा भोजन कर इस व्रत को पूरा करती है। साथ ही अपने सुहाग व परिवार के सकुशल होने की प्रार्थना माता से करती है।Conclusion:बागीदौरा के पुजारी सुशील पुरोहित ने बताया कि किस तरह से शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है
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