ETV Bharat / state

रोडवेज आगार की अनुबंधित बसे हो चुकी है कंडम

बाड़मेर में रोडवेज आगार की अनुबंधित बसों में सफर करना आपकी जान के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है. इन बसों में से अधिकांश कंडम हो चुकी हैं. समय-समय पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कई बसों के ब्रेक फेल हो रहे है.

रोडवेज आगार की अनुबंधित बसे हो चुकी है कंडम
author img

By

Published : May 14, 2019, 8:37 PM IST

बांसवाड़ा. रोडवेज आगार की अनुबंधित बसों में सफर करना आपकी जान के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है. इन बसों में से अधिकांश कंडम हो चुकी है. समय-समय पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कई बसों के ब्रेक फेल हो रहे है. तो किसी का प्रेशर काम नहीं कर रहा है.

टायरों की हालत यह है की रबड़ पूरी तरह से उतर गया है. और तार निकल आया है. ऐसे में भीषण गर्मी के दौरान टायर फटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अनुबंधित बसों में ही प्रतिदिन 3 से 4 हजार आदमी सफर करते हैं. बसों के प्रति मेंटेनेंस की लापरवाही यात्रियों की जान पर भारी पड़ सकती है.

रोडवेज आगार की अनुबंधित बसे हो चुकी है कंडम

बांसवाड़ा रोडवेज आगार से अनुबंध के तौर पर बठिंडा पंजाब की एक कंपनी द्वारा 20 बसों का संचालन हो रहा है. समझौते के तहत बस मालिक को प्रति किलोमीटर एक निश्चित राशि दिए जाने का प्रावधान है. बस का मेंटेनेंस, ड्राइवर, क्लीनर आदि का खर्चा कंपनी के जिम्मे है. लेकिन प्रतिदिन हजारों यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का जिम्मा उठाने वाली कंपनी यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रही है.

रोडवेज नियमों के तहत प्रत्येक गाड़ी का 40,000 किलोमीटर चलने के बाद मेंटेनेंस होना जरूरी है. जबकि अनुबंधित बसों का एक एक लाख किलोमीटर चलने के बाद भी मेंटेनेंस नहीं किया गया है. इसके चलते बस का बैलेंस बनाने वाली कमानियां टेढ़ी-मेढ़ी होकर काम करना बंद कर चुकी है. वहीं बसों का प्रेशर सिस्टम भी खराब हो चुका है. सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश बसों के टायर ग्रिप लेस हो चुके है. और उनके तार निकल चुके हैं. ऐसे में छोटा-मोटा कंकड़ भी इस भीषण गर्मी में टायर फटने का कारण बन सकते हैं.


जब से इन बसों का संचालन शुरू हुआ तब से ऑयल तक नहीं बदला गया है. मेंटेनेंस के अभाव में आए दिन यह बसें रास्ते में ही धोखा दे जाती है. बस चालक अकरम खान का कहना है कि लंबे समय से इन बसों का मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कभी भी दुर्घटना हो सकती है. हमने इस संबंध में कंपनी प्रबंधन को भी अवगत कराया है. लेकिन उनकी अब तक नींद नहीं टूटी है. जबकि यह यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है.


बस कंपनी के प्रतिनिधि विजय कुमार राठौड़ ने भी माना की मेंटेनेंस नहीं होने के कारण टायर ट्यूब जवाब दे चुके है. वहीं ब्रेक भी ढंग से काम नहीं कर रहे है. ऐसे में कभी भी यह बसें यात्रियों की जान जोखिम में डाल सकती है. वहीं रोडवेज आगार के मुख्य प्रबंधक रवि मेहरा के अनुसार हमने इस ओर बस मालिक का ध्यान खींचा है. और उसे मेंटेनेंस कराने के लिए पाबंद कर दिया है. इसी महीने बसों का मेंटेनेंस करवाए जाने का आश्वासन दिया गया है.

बांसवाड़ा. रोडवेज आगार की अनुबंधित बसों में सफर करना आपकी जान के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है. इन बसों में से अधिकांश कंडम हो चुकी है. समय-समय पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कई बसों के ब्रेक फेल हो रहे है. तो किसी का प्रेशर काम नहीं कर रहा है.

टायरों की हालत यह है की रबड़ पूरी तरह से उतर गया है. और तार निकल आया है. ऐसे में भीषण गर्मी के दौरान टायर फटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अनुबंधित बसों में ही प्रतिदिन 3 से 4 हजार आदमी सफर करते हैं. बसों के प्रति मेंटेनेंस की लापरवाही यात्रियों की जान पर भारी पड़ सकती है.

रोडवेज आगार की अनुबंधित बसे हो चुकी है कंडम

बांसवाड़ा रोडवेज आगार से अनुबंध के तौर पर बठिंडा पंजाब की एक कंपनी द्वारा 20 बसों का संचालन हो रहा है. समझौते के तहत बस मालिक को प्रति किलोमीटर एक निश्चित राशि दिए जाने का प्रावधान है. बस का मेंटेनेंस, ड्राइवर, क्लीनर आदि का खर्चा कंपनी के जिम्मे है. लेकिन प्रतिदिन हजारों यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का जिम्मा उठाने वाली कंपनी यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रही है.

रोडवेज नियमों के तहत प्रत्येक गाड़ी का 40,000 किलोमीटर चलने के बाद मेंटेनेंस होना जरूरी है. जबकि अनुबंधित बसों का एक एक लाख किलोमीटर चलने के बाद भी मेंटेनेंस नहीं किया गया है. इसके चलते बस का बैलेंस बनाने वाली कमानियां टेढ़ी-मेढ़ी होकर काम करना बंद कर चुकी है. वहीं बसों का प्रेशर सिस्टम भी खराब हो चुका है. सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश बसों के टायर ग्रिप लेस हो चुके है. और उनके तार निकल चुके हैं. ऐसे में छोटा-मोटा कंकड़ भी इस भीषण गर्मी में टायर फटने का कारण बन सकते हैं.


जब से इन बसों का संचालन शुरू हुआ तब से ऑयल तक नहीं बदला गया है. मेंटेनेंस के अभाव में आए दिन यह बसें रास्ते में ही धोखा दे जाती है. बस चालक अकरम खान का कहना है कि लंबे समय से इन बसों का मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कभी भी दुर्घटना हो सकती है. हमने इस संबंध में कंपनी प्रबंधन को भी अवगत कराया है. लेकिन उनकी अब तक नींद नहीं टूटी है. जबकि यह यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है.


बस कंपनी के प्रतिनिधि विजय कुमार राठौड़ ने भी माना की मेंटेनेंस नहीं होने के कारण टायर ट्यूब जवाब दे चुके है. वहीं ब्रेक भी ढंग से काम नहीं कर रहे है. ऐसे में कभी भी यह बसें यात्रियों की जान जोखिम में डाल सकती है. वहीं रोडवेज आगार के मुख्य प्रबंधक रवि मेहरा के अनुसार हमने इस ओर बस मालिक का ध्यान खींचा है. और उसे मेंटेनेंस कराने के लिए पाबंद कर दिया है. इसी महीने बसों का मेंटेनेंस करवाए जाने का आश्वासन दिया गया है.

Intro:बाइट फर्स्ट अकरम खा, सेकंड विजय कुमार राठौड़ , थर्ड रवि मेहरा
............।।।।..............
बांसवाड़ा। बांसवाड़ा रोडवेज आगार की अनुबंधित बसों में सफर करना आपकी जान के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है। इन बसों में से अधिकांश कंडम हो चुकी है। समय-समय पर मेंटेनेंस नहीं कराने के कारण किसी बस के ब्रेक फेल हो रहे हैं तो किसी का प्रेशर काम नहीं कर रहा है। टायरों की हालत यह है कि रबड़ पूरी तरह से उतर गया है और तार निकल आया है ऐसे में भीषण गर्मी के दौरान टायर फटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अनुबंधित बसों में ही प्रतिदिन 3 से 4 हजार आदमी सफर करते हैं। बसों के प्रति मेंटेनेंस की लापरवाही यात्रियों की


Body:जान लील सकती है। बांसवाड़ा रोडवेज आगार से अनुबंध के तौर पर बठिंडा पंजाब की मान बस सर्विसेज नामक कंपनी द्वारा 20 बसों का संचालन हो रहा है। समझौते के तहत बस मालिक को पर किलोमीटर एक निश्चित राशि दिए जाने का प्रावधान है। बस का मेंटेनेंस ड्राइवर क्लीनर आदि का खर्चा कंपनी के जिम्मे हैं। प्रतिदिन हजारों यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का जिम्मा उठाने वाली कंपनी यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रही है। रोडवेज नियमों के तहत प्रत्येक गाड़ी का 40000 किलोमीटर चलने के बाद मेंटेनेंस होना जरूरी है जबकि


Conclusion:अनुबंधित बसों का एक एक लाख किलोमीटर चलने के बाद भी मेंटेनेंस नहीं किया गया है। इसके चलते बस का बैलेंस बनाने वाली कमानिया आडी टेडी होकर काम करना बंद कर चुकी है वहीं बसों का प्रेशर सिस्टम भी खराब हो चुका है। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश बसों के टायर ग्रिप लेस हो चुके हैं और उनके तार निकल चुके हैं। ऐसे में छोटा-मोटा कंकड़ भी इस भीषण गर्मी में टायर फटने का कारण बन सकते हैं। रोडवेज के लिए मां को अनुसार अधिकतम 60000 किलोमीटर चलने के बाद टायर चेंज करना होता है लेकिन बांसवाड़ा रोडवेज आगार से संचालित अधिकांश बसें डेढ़ डेढ़ लाख किलोमीटर चल चुकी है। इनमें से अधिकांश का ग्रिप लेवल खत्म हो चुका है। जब से इन बसों का संचालन शुरू हुआ तब से आयल तक नहीं बदला गया है। मेंटेनेंस के अभाव में आए दिन यह बसे रास्ते में ही धोखा दे जाती है। बस चालक अकरम खान का कहना है कि लंबे समय से इन बसों का मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कभी भी दुर्घटना हो सकती है। हमने इस संबंध में कंपनी प्रबंधन को भी अवगत कराया लेकिन उनकी अब तक नींद नहीं टूटी है जबकि यह यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। बस कंपनी के प्रतिनिधि विजय कुमार राठौड़ ने भी माना कि मेंटेनेंस नहीं होने के कारण टायर ट्यूब जवाब दे चुके हैं तो ब्रेक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी यह बसें यात्रियों की जान जोखिम में डाल सकती है। वहीं रोडवेज आगार के मुख्य प्रबंधक रवि मेहरा के अनुसार हमने इस ओर बस मालिक का ध्यान खींचा है और उसे मेंटेनेंस कराने के लिए पाबंद कर दिया है। इसी महीने बसों का मेंटेनेंस करवाए जाने का आश्वासन दिया गया है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.