अलवर. जिले की ऊषा चौमर को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा. ऊषा का कहना है, कि महात्मा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने स्वच्छता की बात की है.
ऊषा कहती हैं, कि मैला ढोने का काम सबसे गंदा काम है. यह काम किसी को नहीं करना चाहिए. यह काम करने वाले लोगों को देश में हीन भावना से देखा जाता है और उनके साथ छुआछूत होती है.
मैला ढोने वाली ऊषा चौमर को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा. उनके नाम की घोषणा 25 जनवरी को की गई. उसके बाद से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. मोहल्ले के लोग उनको बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं. ऊषा ने बताया, कि उनकी तरह उनके परिवार में अन्य लोग भी मैला ढोने का काम करते थे. साल 2003 में उन्होंने इस काम को छोड़ा और उसके बाद अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए हाथ से बने हुए सामान बनाकर बाजार में बेचना शुरू किया. उसके बाद से लगातार मैला ढोने वाली महिलाओं को प्रेरित करके अपने साथ जोड़ रहीं हैं.
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उनकी जैसी करीब 120 महिलाएं उनके साथ जुड़ी हुई हैं, जो पहले मैला ढोने का काम करती थीं. ऊषा ने बताया, कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वो कई बार राखी बांध चुकी हैं. महात्मा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो साफ-सफाई की बात करते हैं.
ऊषा ये भी कहती हैं, कि जब देश के प्रधानमंत्री झाड़ू उठा कर सफाई कर सकते हैं तो हम सभी को मिलकर इस काम में जुड़ना चाहिए. जिससे हमारा देश आगे बढ़ सके.
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ऊषा का कहना है, कि मैला ढोने जैसा काम किसी को नहीं करना चाहिए. यह काम करने वाले लोगों को समाज में हीन भावना से देखा जाता है. उनके साथ छुआछूत जैसा व्यवहार किया जाता है.
ऊषा के मुताबिक 'अगर यह काम करती तो शायद मेरी बेटी और परिवार की अन्य महिलाओं को भी यह काम करना पड़ता'.