रामगढ़ (अलवर). पूर्वक देवलोक गमन पर जैन समाज ने सन्मति सदन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. प्रवक्ता अजीत जैन ने बताया कि चिन्मय सागर जी महाराज को जंगल वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि, इन्होंने अधिकतर चातुर्मास जंगलों में ही किए. इस कारण चिन्मय सागर जी महाराज को जंगल वाले बाबा से प्रसिद्ध हुए.
बता दें कि सागर जी परम पूज्य आचार्य विद्यासागर जी के परम शिष्य थे. पूज्य मुनि राज के समाधिकरण के समय काफी संख्या में पिच्छीधारी संत उपस्थित थे. जैन समाज अध्यक्ष कौशल किशोर और मनोज जैन ने बताया कि मुनिराज बाल ब्रह्मचारी विद्वान एवं ओजस्वी वक्ता थे.
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साथ ही उन्होंने मांसाहार और शराबबंदी पर समाज को काफी मार्गदर्शन किया था. जैन समाज की ओर से णमोकार मंत्र का जाप किया. इस उपलक्ष पर जैन समाज के काफी श्रद्धालु उपस्थित थे.