अलवर. सरिस्का में पहुंच रहे सैलानी निराश लौट रहे हैं. बाघों ने अपनी टेरिटरी बदल ली है. वहीं पिछले एक साल में सरिस्का आने वाले पर्यटकों में कमी की बात कही जा रही है.
दरअसल सरिस्का में पर्यटकों को सबसे अधिक साइटिंग बाघ एसटी 6 और एसटी 4 की होती थी. दिसंबर माह में बाघ एसटी-4 की मौत हो गई. वहीं उससे एक माह पहले दो बाघों के संघर्ष के दौरान बाघ एसटी 6 घायल हो गया था. जिसके बाद से एसटी-6 किसी को नजर नहीं आया.
इसके अलावा सरिस्का में सबसे अधिक साइटिंग एसटी-9 की होती थी. उसने भी अपनी टेरिटरी बदल ली है. इसलिए अब उसकी भी साइटिंग पर्यटकों को देखने को नहीं मिलती है. यही वजह है कि सरिस्का में घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को निराश लौटना पड़ रहा है. सरिस्का का क्षेत्र में इस समय 11 बाघ व बाघिन हैं. इसके अलावा आठ शावक हैं. इन शावकों में से 3 शावक एसटी-10 के हैं, जो लंबे समय से नजर नहीं आ रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि एसटी-13 एसटी-10 के तीनों शावकों का शिकार कर लिया है. अब तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. वहीं बड़ी संख्या में टाइगर ने अपनी टेरिटरी चेंच की है. जिसमें बाकी के बाघ एसटी-9 शामिल हैं.
वहीं अलवर के सरिस्का में प्रतिदिन देश भर से पर्यटक टाइगर देखने के लिए आते हैं. इससे पहले प्रतिदिन पर्यटकों के लिए टाइगर की साइटिंग की जाती थी. लेकिन पिछले एक साल में सरिस्का में टाइगर की मौत आंकड़ा बढ़ने के बाद साइटिंग कम कर दी गई. जिसका असर अब सरिस्का में आने वाले पर्यटकों की संख्या पर नजर आने लगा है. पिछले तीन साल की तुलना में इस साल पर्यटकों की संख्या में कमी दर्ज की गई है.
माना जा रहा है कि बाघों की घटती संख्या पर अगर सरिस्का प्रशासन गंभीर नहीं हुआ तो यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में भारी कमी हो सकती है. फिलहाल अब देखना ये होगा की पर्यटकों की घटती संख्या को लेकर अब प्रशासन क्या जवाबा देता है. साथ ही स्थिति में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं.