अजमेर: महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यवर्धन सिंह परमार ने दावा किया है कि अजमेर की प्रसिद्ध दरगाह में हिंदू मंदिर था. उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही कोर्ट में आवश्यक दस्तावेजों के साथ वाद दायर करेंगे. उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें कहा है कि वे अजमेर की कोर्ट में सोमवार को वाद प्रस्तुत करते, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देकर सुरक्षा एजेंसियों ने जाने से रोक दिया. परमार ने कहा कि वे निश्चित तौर पर अजमेर के कोर्ट में जाएंगे, लेकिन फिलहाल महाराणा प्रताप सेना के प्रदेश अध्यक्ष उदय लाल बंजारा वाद पेश करेंगे.
महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष परमार ने सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में कहा कि अजमेर की दरगाह नहीं, बल्कि पवित्र हिंदू मंदिर है. इस मुद्दे पर महाराणा प्रताप सेना कई वर्षों से प्रयास करती आई है. 7800 किलोमीटर जनजागरण यात्राएं भी की है.
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उन्होंने वीडियो में कहा कि महाराणा प्रताप सेना देश और दुनिया से पूछना चाहती है कि सर्वे करवाना क्या अपराध है. उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलेगा और हम संविधान के तहत ही चाहते हैं कि अजमेर की दरगाह में सरकार या सर्वे एजेंसियां जांच करें. इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं और कोर्ट में भी इस याचिका को दाखिल करने जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में दरगाह वाद प्रकरण में दायर याचिका में अजमेर की सिविल कोर्ट ने 20 दिसंबर को अगली सुनवाई रखी है. इस मामले में एक और वाद महाराणा प्रताप सेना की ओर से पेश किया जाएगा. महाराणा प्रताप सेना के प्रदेश अध्यक्ष उदयलाल बंजारा को इसके लिए अधिकृत किया गया है. बंजारा अजमेर कोर्ट में वाद पेश करेंगे.
राष्ट्रपति को भी दिया था ज्ञापन: महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष परमार ने कहा कि अजमेर दरगाह के कविषय में 31 जनवरी 2024 को राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया था. इस ज्ञापन के माध्यम से परमार ने अजमेर का नाम बदलकर पुष्कर सिटी रखने, पुष्कर में भव्य कॉरिडोर बनाने और अजमेर स्थित दरगाह में मंदिर होने की पुष्टि के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जांच करवाने की मांग की थी, साथ ही ढाई दिन के झोंपड़े का नाम बदलकर संस्कृत महाविद्यालय करने की बात भी कही थी.