मुण्डावर (अलवर) . लॉकडाउन के बाद महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली समेत दर्जन भर राज्यों के मजदूरों का पलायन तेज हो गया है. आलम ये है कि बस-ट्रेनें बंद होने की स्थिति में लोग पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने के लिए लाखों की संख्या में निकल पड़े हैं. खास यूपी, बिहार, झारखंड के मजदूर अपने गृहराज्य जाने के लिए सफर पर निकल पड़े हैं. दिल्ली के निकट एनएच-8, दिल्ली-जयपुर रेलवे लाइन के साथ-साथ हजारों की भीड़ सड़कों पर पैदल ही चली जा रही है.
दिल्ली और हरियाणा से पैदल ही यूपी-बिहार के लिए निकले मजदूर-
दिल्ली और हरियाणा में रहने वाले परदेसियों (मजदूरों) ने पैदल ही अपने घरों की ओर पलायन शुरू कर दिया है. सड़कों पर इनका अलग-अलग झुंड देखने को मिला. खासकर शनिवार पूरे दिन से लेकर रात तक हजारों की संख्या में लोग यूपी-बिहार और झारखंड की ओर पलायन करते दिखे.
जगह-जगह ग्रामीण बांट रहे खाना-
इस बीच क्षेत्र के गांव दरबारपुर की ग्राम विकास समिति की ओर से कैम्प लगाकर सोशियल डिस्टेंस के तहत गोले बनाकर इन मजदूरों को रोक कर चाय नाश्ता, खाना भी खिलाया जा रहा है. इन लोगों का कहना है कि काम बंद है, बिना काम के वे इतने दिन कैसे रहेंगे इसलिए अपने घर जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पास खाने-पीने समेत अन्य जरूरी सामान का स्टॉक नहीं है. इतना भी राशन नहीं है कि आने वाला सप्ताह कट जाए. इसलिए उनके पास जो भी राशन है, वो लेकर चल पड़े हैं. उन्हें उम्मीद है कि रास्ते में कोई मदद मिली तो ठीक और न भी मिली तो भी अपने घर तो पहुंच ही जाएंगे.
पलायन का यह भी है कारण-
दरअसल, लोगों को ऐसा लगता है कि लॉकडाउन आगे भी बढ़ सकता है. ऐसे में लोगों को बेरोजगारी की चिंता सता रही है. वहीं, इन लोगों को ये भी चिंता सता रही है कि इस माह तो मकान मालिक भले ही किराया के लिए परेशान न करें, लेकिन अगले माह से ये किराया कैसे देंगे.
साहब, अपनों की छांव में काट लेंगे जिंदगी-
बावल (हरियाणा) औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्ट्री में काम करने वाले राजेन्द्र कुमार ने बताया कि अब बड़े शहरों में नहीं रहना. गांव में अपनों की छांव में रह कर जिंदगी काट लेंगे. राजेन्द्र मूल रूप से उत्तर प्रदेश के एटा के रहने वाले हैं. शनिवार तड़के वे पैदल बावल (हरियाणा) से एटा (यूपी) जाने के लिए निकले हैं. उनका कहना है कि उनके साथ परिवार के ही चार लोग और हैं. सभी यहां पर अपने परिवार को छोड़ कर रोजी-रोटी कमाने आए थे. उन्हीं के साथ गांव जा रहे प्रमोद ने बताया कि इस कठिन परिस्थिति में उनके मां, बाप घर में अकेले हैं उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं है. फैक्ट्री मालिक ने थोड़े पैसे देकर कह दिया कि आप सब अपने गांव चले जाएं जब स्थिति ठीक होगी तब आना.
इन पैदल जाने वाले झांसी निवासीयों का कहना है कि वर्तमान स्थिति में न तो बसें चल रही है और न ही रेलगाडि़यां. हमारी तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है. अपनों की चिंता में बने पैदल मुसाफिर लोगों ने बताया कि इस मुश्किल घड़ी में गांव में रह रहे परिजनों की चिंता हमें पैदल चलने को मजबूर कर रही है. अधिकतर लोग अपने बुजुर्ग मां बाप को छोड़कर यहां आए हैं. ऐसे में इस समय उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. सरकार को हमें, हमारे-अपनों के पास भेजने का इंतजाम करना चाहिए.
यहां गए लोग-
एटा, आगरा, झांसी, रामपुर, लखनऊ, सहारनपुर, कानपुर, गोरखपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, बदायूं, आजमगढ़, चांदपुर, मेरठ, बरेली, बुलंदशहर, इटावा,जौनपुर, अमरोहा, पीलीभीत, संभल आदि.