ETV Bharat / state

अलवर के जंगल और अरावली की पहाड़ियों को हराभरा करेगी 'सीड बॉल' - rajasthan

अलवर में सूख रहे जंगल व बंजर हो रहे पहाड़ों को सीड बॉल से हरा भरा किया जाएगा. अलवर में पहली बार वन विभाग नया प्रयोग करने जा रहा है. इसके तहत वन विभाग के कर्मचारी और वॉलिंटियर्स मिलकर वन विभाग की नर्सरी में सीट बॉल बनाने का काम कर रहे हैं.

पहाड़ियों को हराभरा करेगी 'सीड बॉल'
author img

By

Published : Jul 2, 2019, 8:07 AM IST

अलवर. राजस्थान के अलवर में सरिस्का नेशनल पार्क और अलवर बफर जोन है. जो 886 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ. सरिस्का देश का सबसे बड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से टाइगर रिजर्व है.लेकिन बीते कुछ सालों से अलवर में तेजी से जंगल कम हो रहा है, तो वहीं अरावली की पहाड़ी भी बंजर हो रही है. ऐसे में हर साल पेड़ लगाने के बाद भी वन विभाग को सफलता हाथ नहीं लग रही. लाखों पेड़ में से आधे पेड़ सूख जाते हैं या खराब हो जाते है.

पहाड़ियों को हराभरा करेगी 'सीड बॉल'

इसलिए वन विभाग ने अलवर को हरा-भरा करने के लिए नई योजना तैयार की है. इसके तहत अलवर में पहली बार सीड बॉल डाली जाएंगी. वन विभाग की नर्सरी में सीड बॉल बनाने का काम चल रहा है. प्रतिदिन सुबह 8 से 12 बजे तक वन विभाग के कर्मचारी व वन प्रेमी वॉलिंटियर्स सीड बॉल बनाने का काम कर रहे हैं.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में बेर के करीब चार हजार बॉल, लांज के 10 हजार, कुंडा की 10 हजार, चुड़ैल के 10 हजार, शीला 10 हजार व कट करंज के 5000 सीड बोल बनाई जा रही हैं.वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि एक बारिश के बाद अलवर में इन बॉल को खाली जगह व बंजर पहाड़ों पर फेंका जाएगा.

इस बॉल को बनाने में चिकनी मिट्टी, खाध और बीज का उपयोग किया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि अलवर में पहली बार इस तकनीक को काम में लिया जाएगा. तो वहीं इसके परिणाम भी बेहतर होने की उम्मीद है.क्योंकि एक बातिश के बाद मिट्टी व खाद में बीज अंकुरित जल्दी होता है। कई बार जो काम पौधे नहीं कर पाते है. वो काम एक छोटा सा सीड बोल कर जाता है. इसलिए विभाग की तरफ से अलवर में इसका उपयोग किया जाएगा.

अलवर. राजस्थान के अलवर में सरिस्का नेशनल पार्क और अलवर बफर जोन है. जो 886 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ. सरिस्का देश का सबसे बड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से टाइगर रिजर्व है.लेकिन बीते कुछ सालों से अलवर में तेजी से जंगल कम हो रहा है, तो वहीं अरावली की पहाड़ी भी बंजर हो रही है. ऐसे में हर साल पेड़ लगाने के बाद भी वन विभाग को सफलता हाथ नहीं लग रही. लाखों पेड़ में से आधे पेड़ सूख जाते हैं या खराब हो जाते है.

पहाड़ियों को हराभरा करेगी 'सीड बॉल'

इसलिए वन विभाग ने अलवर को हरा-भरा करने के लिए नई योजना तैयार की है. इसके तहत अलवर में पहली बार सीड बॉल डाली जाएंगी. वन विभाग की नर्सरी में सीड बॉल बनाने का काम चल रहा है. प्रतिदिन सुबह 8 से 12 बजे तक वन विभाग के कर्मचारी व वन प्रेमी वॉलिंटियर्स सीड बॉल बनाने का काम कर रहे हैं.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में बेर के करीब चार हजार बॉल, लांज के 10 हजार, कुंडा की 10 हजार, चुड़ैल के 10 हजार, शीला 10 हजार व कट करंज के 5000 सीड बोल बनाई जा रही हैं.वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि एक बारिश के बाद अलवर में इन बॉल को खाली जगह व बंजर पहाड़ों पर फेंका जाएगा.

इस बॉल को बनाने में चिकनी मिट्टी, खाध और बीज का उपयोग किया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि अलवर में पहली बार इस तकनीक को काम में लिया जाएगा. तो वहीं इसके परिणाम भी बेहतर होने की उम्मीद है.क्योंकि एक बातिश के बाद मिट्टी व खाद में बीज अंकुरित जल्दी होता है। कई बार जो काम पौधे नहीं कर पाते है. वो काम एक छोटा सा सीड बोल कर जाता है. इसलिए विभाग की तरफ से अलवर में इसका उपयोग किया जाएगा.

Intro:
अलवर।
अलवर में सूख रहे जंगल व बंजर हो रहे पहाड़ों को सीड बॉल से हरा भरा किया जाएगा। अलवर में पहली बार वन विभाग नया प्रयोग करने जा रहा है। तेजी से खत्म होते जंगल व बंजर होते पहाड़ों को बचाने के लिए वन विभाग ने सीड बॉल अलवर क्षेत्र में डलवाने का फैसला लिया है। इसके तहत वन विभाग के कर्मचारी व वॉलिंटियर्स मिलकर वन विभाग की नर्सरी में सीट बॉल बनाने का काम कर रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो पूरे जिले में करीब एक लाख सीड बॉल बना कर डाली जाएंगी।


Body:अलवर जंगल के लिए जाना जाता है। अलवर में सरिस्का नेशनल पार्क व अलवर बफर जोन है। 886 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ सरिस्का देश का सबसे बड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से टाइगर रिजर्व है। ऐसे में अलवर की खास पहचान है।

लेकिन बीते कुछ सालों से अलवर में तेजी से जंगल कम हो रहा है। तो वहीं अरावली की पहाड़ी भी बंजर हो रही है। ऐसे में हर साल पेड़ लगाने के बाद भी वन विभाग को सफलता हाथ नहीं लग रही। लाखों पेड़ में से आधे पेड़ सूख जाते हैं या खराब हो जाते हैं।

इसलिए वन विभाग ने अलवर को हरा-भरा करने के लिए नई योजना तैयार की है। इसके तहत अलवर में पहली बार सीड बॉल डाली जाएंगी। वन विभाग की नर्सरी में सीड बॉल बनाने का काम चल रहा है।

प्रतिदिन सुबह 8 से 12 बजे तक वन विभाग के कर्मचारी व वन प्रेमी वॉलिंटियर्स सीड बॉल बनाने का काम कर रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में बेर के करीब चार हजार बॉल, लांज के 10 हजार, कुंडा की 10 हजार, चुड़ैल के 10 हजार, शीला 10 हजार व कट करंज के 5000 सीड बोल बनाई जा रही हैं।


Conclusion:वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि एक बारिश के बाद अलवर में इन बॉल को खाली जगह व बंजर पहाड़ों पर फेंका जाएगा। इस बॉल को बनाने में चिकनी मिट्टी, खाध और बीज का उपयोग किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि अलवर में पहली बार इस तकनीक को काम में लिया जाएगा। तो वहीं इसके परिणाम भी बेहतर होने की उम्मीद है। क्योंकि एक बातिश के बाद मिट्टी व खाद में बीज अंकुरित जल्दी होता है। कई बार जो काम पौधे नहीं कर पाते है। वो काम एक छोटा सा सीड बोल कर जाता है। इसलिए विभाग की तरफ से अलवर में इसका उपयोग किया जाएगा।

बाइट-आलोक गुप्ता, डीएफओ, वन विभाग
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.