अलवर. जिले के रामगढ़ में एक नाबालिका के साथ दुष्कर्म और उसके पिता की हत्या के मामले में रामगढ़ थाना प्रभारी सहित चार लोगों को लाइन हाजिर किया गया है. इस पूरे मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आ रही थी, तो वहीं यह मुद्दा राजनीतिक रूप ले रहा था. इस मामले में लगातार भाजपा की तरफ से कांग्रेस सरकार को घेरा जा रहा था और कई तरह की अनियमितताओं के आरोप भी लग रहे थे.
कुछ दिन पहले अलवर के रामगढ़ में एक नाबालिका के साथ दुष्कर्म की घटना हुई. जिसकी शिकायत परिजनों ने पुलिस को दी. इस मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया. लेकिन उसके बाद भी आरोपी लगातार पीड़िता के पिता और परिजनों को धमका रहे थे.
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आरोपी मामला वापस लेने को लेकर दबाव बना रहे थे. परिजनों ने इसकी जानकारी भी पुलिस को दी. लेकिन पुलिस की तरफ से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. जबकि पुलिस पूरे मामले को दबाने में लगी रही. घटना के कुछ दिन बाद ही पीड़िता के पिता का शव घर के पास एक पेड़ पर लटका हुआ मिला. परिजनों ने हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पिता को कुछ लोग घर से लेकर गए थे. जिसके बाद वो लौटकर नहीं आए.
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मृतक के पुत्र ने मामले की लिखित शिकायत पुलिस को दी. लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद इस मामले ने राजनीतिक रूप ले लिया. पूरे प्रदेश में सरकार की किरकिरी हुई और पुलिस पर भी कई गंभीर आरोप लगे. भाजपा की तरफ से इस मामले को राजनीतिक रूप देते हुए लगातार रामगढ़ में प्रदर्शन किया जा रहा था, तो वहीं हिंदू संगठन भी इसमें खासे सक्रिय नजर आए.
वहीं, अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए लंबे समय बाद रामगढ़ थाना प्रभारी वीरेंद्र कुमार, उपनिरीक्षक रामकिशन, सहायक उपनिरीक्षक कमालदीन खा, कांस्टेबल हीरालाल को लाइन हाजिर किया है. अलवर पुलिस अधीक्षक पारिश देशमुख ने यह आदेश निकाला है. वहीं, इस मामले में कई अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है.