अलवर. देश में समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. वहीं, इस मामले में राजस्थान समेत तीन राज्यों ने असहमति जाहिर की है. इस मुद्दे पर समाज कल्याण विभाग के मंत्री टीकाराम जूली ने कहा समाज की स्थिति को देखते हुए सरकार ने अपना पक्ष रखा है.
समलैंगिक विवाह के मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर सात राज्यों से जवाब मिला है. इनमें से तीन राज्य राजस्थान, असम और आंध्र प्रदेश ने याचिका का विरोध किया है, जबकि चार राज्यों सिक्किम, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मणिपुर ने इस मामले में और समय मांगा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से समलैंगिक विवाहों को वैध बनाने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने के बाद केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विचार मांगे थे.
जरूरी नहीं कि सभी चीजों को मिले मान्यता : केंद्र सरकार ने राज्यों को 18 अप्रैल को पत्र लिखा था. अभी तक सात राज्यों मणिपुर, आंध्रप्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम और राजस्थान से जवाब मिले हैं. राजस्थान सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि राज्य में जनता का मूड समलैंगिक विवाह के खिलाफ प्रतीत होता है. सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्य ने कहा कि समलैंगिक विवाह सामाजिक ताने-बाने में असंतुलन पैदा करेगा, जिसके सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था पर दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं. इस मुद्दे पर सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि समाज की स्थिति देखते हुए ही सरकार ने अपना पक्ष रखा है, जरूरी नहीं कि सभी चीजों को मान्यता दी जाए.