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SPECIAL: त्योहारी सीजन में व्यापारियों की उम्मीदों पर भी 'बैरिकेडिंग'

दिवाली और त्योहारी सीजन में अब बाजारों में रौनक धीरे-धीरे लौटने लगी है. लॉकडाउन के बाद व्यापारियों को भी इस सीजन से काफी उम्मीदें हैं लेकिन प्रशासन की सख्ती अब व्यापारी और ग्राहकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है. कोरोना को देखते हुए कई तरह की बंदिशों के कारण कारोबारियों की उम्मीदों पर भी प्रशासन ने 'बैरिकेडिंग' कर दी है.

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त्यौहारी सीजन में बाजारों में पुलिस की बैरिकेडिंग से व्यपारी नाराज
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Published : Oct 21, 2020, 10:51 PM IST

अलवर. पूरे देश में लगातार कोरोना वायरस का प्रभाव बढ़ रहा है. अलवर राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है. यहां 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं जिसमें लाखों लोग काम करते हैं. NCR का हिस्सा होने के कारण अलवर देश में खास पहचान भी रखता है. यही वजह है कि राजस्थान सरकार को अलवर से करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है.

त्यौहारी सीजन में बाजारों में पुलिस की बैरिकेडिंग से व्यपारी नाराज

औद्योगिक दृष्टि से प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व अलवर से ही सरकार को मिलता है. प्रदेश सरकार और मंत्रियों की सीधी निगाहें अलवर पर रहती है. इसके अलावा केंद्र सरकार की भी कई महत्वकांक्षी योजनाएं अलवर में चल रही हैं. लेकिन कोरोना काल में 6 महीनों तक अलवर सहित पूरा देश लॉकडाउन रहा. अब हालात सामान्य होने लगे हैं और अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है. लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों को खासा नुकसान हुआ था, लेकिन अब लंबे इंतजार के बाद बाजार में कामकाज शुरू हो चुका है. दिवाली और दशहरे के त्योहारों को लेकर एक बार फिर से रौनक लौटने लगी है लेकिन प्रशासन की सख्ती के कारण व्यापारियों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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दिवाली के मौके पर मिट्टी के बर्तन बेचते युवक

प्रशासन द्वारा जगह-जगह लगाई गई बैरिकेडिंग
त्योहारी सीजन के दौरान कोरोना वायरस न फैले इसके लिए अलवर प्रशासन की तरफ से जगह-जगह बाजारों में बैरिकेडिंग कर दी गई है. यही नहीं, उल्लंघन करने पर प्रशासन अपने डंडे का उपयोग भी करता है. नो एंट्री जोन में जाने वाले वाहनों के पुलिस चालान काट रही है. वहीं स्थिति बिगड़ते देख कई जगह पर मार्केट भी बंद करा दी जा रही है. पुलिस की इस सख्ती से जहां एक तरह ग्राहकों को परेशानी हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ व्यापारी को भी नुकसान हो रहा है.

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अलवर के मुख्य बाजार पर पुलिस की बैरिकेडिंग

व्यापारियों का कहना है कि अगर व्यापार सुचारू रूप से चलेगा तो हमारी इनकम से हम टैक्स दे पाएंगे . पिछले 3 महीने से बंद व्यापार को अब त्योहारी सीजन की ही सहारा है. व्यापारियों का कहना है कि कोरोना वायरस से बचना जरूरी है लेकिन कारोबार भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में सरकार को कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे बाजार जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और व्यापारियों का धंधा भी न प्रभावित हो.

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अलवर बाजार की एक और तस्वीर

ये भी पढ़ें: SPECIAL : नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने आधी आबादी पर जताया भरोसा, जयपुर हेरिटेज और ग्रेटर में 39 फीसदी महिलाओं को मिले टिकट

कुछ व्यापारियों का कहना है कि सरकार को कारोबारियों के लिए कुछ राहत योजनाएं शुरू करनी चाहिए. वहीं कुछ को सरकार से बिजली के बिल और टैक्स में छूट मिलने की उम्मीद है. व्यापारियों का कहना है कि लगातार कोरोना काल में उनको नुकसान झेलना पड़ा है जिसकी भरपाई होने में अभी कई साल लग सकता है. लेकिन सरकार इसके बाद भी व्यापारियों पर दबाव बना रही है. इस साल अलवर के व्यापारियों का उम्मीद है कि सरकार उनके लिए कुछ राहत की खबर लेकर आएगी जिससे दिवाली की रौशनी के साथ बाजार की रौनक लौटेगी और बढ़िया कारोबार होगा.

कोरोना का प्रभाव बढ़ रहा...
अगर कोरोना वायरस की बात करें तो इन दिनों राजस्थान में ज्यादा कोरोना प्रभावित शहरों में अलवर का नाम भी शामिल है. जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 15,000 के पार पहुंच चुका है जो कि चिंताजनक है. वहीं 51 से ज्यादा लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है. ऐसे में जिला प्रशासन भी सख्त नजर आ रहा है.

ये भी पढ़ें: Special : कैसे बुझेगी पाली की प्यास...जवाई बांध में भरपूर पानी, लेकिन ये है बड़ी चुनौती

हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली ही माना जाता है. दिवाली के बाद शादियों का दौर भी शुरू हो जाता है. त्योहार और लगन के इस सीजन में व्यापारियों को कारोबार भी बढ़िया होता है. इस सीजन का व्यापारी साल भर इंतजार करते हैं और पहले से ही तैयारियां भी शुरू कर देते हैं. इस बार भी काफी मात्रा में स्टॉक एकत्र कर लिया है. लेकिन व्यापरियों के लिए पुलिस की सख्ती इस बार परेशान खड़ी कर रही है. जिला प्रशासन के लिए कोरोना पर काबू पाना भी बड़ी चुनौती है. ऐसे में कोरोना पर नियंत्रण के साथ बाजार को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार को कोई बीच का रास्ता निकलने पर विचार करना होगा.

अलवर. पूरे देश में लगातार कोरोना वायरस का प्रभाव बढ़ रहा है. अलवर राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है. यहां 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं जिसमें लाखों लोग काम करते हैं. NCR का हिस्सा होने के कारण अलवर देश में खास पहचान भी रखता है. यही वजह है कि राजस्थान सरकार को अलवर से करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है.

त्यौहारी सीजन में बाजारों में पुलिस की बैरिकेडिंग से व्यपारी नाराज

औद्योगिक दृष्टि से प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व अलवर से ही सरकार को मिलता है. प्रदेश सरकार और मंत्रियों की सीधी निगाहें अलवर पर रहती है. इसके अलावा केंद्र सरकार की भी कई महत्वकांक्षी योजनाएं अलवर में चल रही हैं. लेकिन कोरोना काल में 6 महीनों तक अलवर सहित पूरा देश लॉकडाउन रहा. अब हालात सामान्य होने लगे हैं और अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है. लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों को खासा नुकसान हुआ था, लेकिन अब लंबे इंतजार के बाद बाजार में कामकाज शुरू हो चुका है. दिवाली और दशहरे के त्योहारों को लेकर एक बार फिर से रौनक लौटने लगी है लेकिन प्रशासन की सख्ती के कारण व्यापारियों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है.

police Barricading, festival of Diwali, Diwali shopping, Traders upset in lockdown, Corona effect in Rajasthan, Corona virus in alwar
दिवाली के मौके पर मिट्टी के बर्तन बेचते युवक

प्रशासन द्वारा जगह-जगह लगाई गई बैरिकेडिंग
त्योहारी सीजन के दौरान कोरोना वायरस न फैले इसके लिए अलवर प्रशासन की तरफ से जगह-जगह बाजारों में बैरिकेडिंग कर दी गई है. यही नहीं, उल्लंघन करने पर प्रशासन अपने डंडे का उपयोग भी करता है. नो एंट्री जोन में जाने वाले वाहनों के पुलिस चालान काट रही है. वहीं स्थिति बिगड़ते देख कई जगह पर मार्केट भी बंद करा दी जा रही है. पुलिस की इस सख्ती से जहां एक तरह ग्राहकों को परेशानी हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ व्यापारी को भी नुकसान हो रहा है.

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अलवर के मुख्य बाजार पर पुलिस की बैरिकेडिंग

व्यापारियों का कहना है कि अगर व्यापार सुचारू रूप से चलेगा तो हमारी इनकम से हम टैक्स दे पाएंगे . पिछले 3 महीने से बंद व्यापार को अब त्योहारी सीजन की ही सहारा है. व्यापारियों का कहना है कि कोरोना वायरस से बचना जरूरी है लेकिन कारोबार भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में सरकार को कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे बाजार जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और व्यापारियों का धंधा भी न प्रभावित हो.

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अलवर बाजार की एक और तस्वीर

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कुछ व्यापारियों का कहना है कि सरकार को कारोबारियों के लिए कुछ राहत योजनाएं शुरू करनी चाहिए. वहीं कुछ को सरकार से बिजली के बिल और टैक्स में छूट मिलने की उम्मीद है. व्यापारियों का कहना है कि लगातार कोरोना काल में उनको नुकसान झेलना पड़ा है जिसकी भरपाई होने में अभी कई साल लग सकता है. लेकिन सरकार इसके बाद भी व्यापारियों पर दबाव बना रही है. इस साल अलवर के व्यापारियों का उम्मीद है कि सरकार उनके लिए कुछ राहत की खबर लेकर आएगी जिससे दिवाली की रौशनी के साथ बाजार की रौनक लौटेगी और बढ़िया कारोबार होगा.

कोरोना का प्रभाव बढ़ रहा...
अगर कोरोना वायरस की बात करें तो इन दिनों राजस्थान में ज्यादा कोरोना प्रभावित शहरों में अलवर का नाम भी शामिल है. जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 15,000 के पार पहुंच चुका है जो कि चिंताजनक है. वहीं 51 से ज्यादा लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है. ऐसे में जिला प्रशासन भी सख्त नजर आ रहा है.

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हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली ही माना जाता है. दिवाली के बाद शादियों का दौर भी शुरू हो जाता है. त्योहार और लगन के इस सीजन में व्यापारियों को कारोबार भी बढ़िया होता है. इस सीजन का व्यापारी साल भर इंतजार करते हैं और पहले से ही तैयारियां भी शुरू कर देते हैं. इस बार भी काफी मात्रा में स्टॉक एकत्र कर लिया है. लेकिन व्यापरियों के लिए पुलिस की सख्ती इस बार परेशान खड़ी कर रही है. जिला प्रशासन के लिए कोरोना पर काबू पाना भी बड़ी चुनौती है. ऐसे में कोरोना पर नियंत्रण के साथ बाजार को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार को कोई बीच का रास्ता निकलने पर विचार करना होगा.

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