अलवर. उत्तर प्रदेश की योगी पुलिस के साथ अब अलवर में भी बढ़ते क्राइम को देखते हुए अलवर पुलिस भी एक्शन में नजर आ रही है. क्राइम के ग्राफ को कम करने व लोगों में विश्वास बनाने के लिए अलवर पुलिस ने गश्त प्रणाली से लेकर अपने कामकाज के तरीके में बदलाव किया है.
पुलिस के अधिकारियों की मानें तो इस दिशा में काम भी शुरू हो चुका है.ऐसे में देखना होगा कि इन बदलावों का अलवर में बढ़ते हुए क्राइम के ग्राफ पर क्या प्रभाव पड़ता है व आम जनता में पुलिस को लेकर कितना विश्वास बढ़ता है.एनसीआर प्लानिंग बोर्ड बनने से लेकर आज तक अलवर उसमें शामिल है.
अलवर को छोड़कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा व दिल्ली के सभी जिलों में हाईटेक पुलिसिंग व्यवस्था है.सभी जगह पर पीसीआर प्रणाली काम करती है.तो वही पुलिस के पास सभी संसाधन है,लेकिन अलवर पुलिस आज भी सालों पुराने तरीके पर काम कर रही है.ऐसे में अलवर में खास बदलाव की आवश्यकता है.
वहीं अलवर जिले में 18000 मामले दर्ज होते हैं.जबकि राजस्थान के सभी जिलों में मिलाकर कुल 16000 मामले दर्ज होते हैं. ऐसे में साफ है कि अलवर में क्राइम का ग्राफ सबसे ज्यादा है. ऐसे में अलवर की पुलिस व्यवस्था में खास बदलाव की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है.इन हालातों में सुधार के लिए अलवर पुलिस ने गश्त प्रणाली सहित पूरी वर्किंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है.
अलवर पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने बताया कि अलवर में प्रत्येक जगह पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा काम करने लगे हैं। तो वही गस्त प्रणाली में खास बदलाव किया गया है.पुलिस के वाहनों की विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए उनमें लाइट व सायरन की व्यवस्था की गई है.इसके अलावा चोरी और लूटपाट के घटनास्थल पर विशेष नजर रखने सहित सीमित संसाधनों में बेहतर काम करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
अलवर में लूटपाट चोरी रेप गैंगरेप मारपीट सहित प्रतिदिन दर्जनों घटनाएं होती है. जिले में सबसे ज्यादा मामले बहरोड़, भिवाड़ी, नीमराणा, खुशखेड़ा सहित आसपास के थानों में दर्ज होते हैं. एनसीआर में आने के बाद भी अलवर में आज भी पुलिस 30 साल पुराने ढर्रे पर चल रही है.