अलवर. प्याज के बाद अब अलवर का मशरूम भी अपनी खास पहचान रखने लगा है. अब किसान पारंपरिक खेती के तरीकों से अलग हटकर काम करने में रुचि ले रहे हैं. किसान नई तकनीक की मदद से अब मशरूम की खेती कर रहे हैं. मशरूम की खेती से हर महीने लाखों रुपए कमा रहे हैं. अलवर में पैदा होने वाला मशरूम राजस्थान के अलावा दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सप्लाई हो रहा है.
अलवर के मशरूम की अलग पहचान: अलवर जिले के बिजवाड़ नरूका गांव का मशरूम देशभर में अपनी पहचान बना रहा है. जिले में 10 किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं. इस काम से करीब 200 से ज्यादा लोगों को जोड़कर उन्हें भी आत्मनिर्भर बनाया गया है. बिजवाड़ के रहने वाले हजारी लाल सैनी ने 600 रुपए प्रति महीने से किराए के कमरे में मशरूम की खेती शुरू की थी. उसके बाद नई तकनीक का सहारा लिया और बांस के चार घर तैयार किए. देखते ही देखते मशरूम की खेती का आकार बढ़ने लगा. लोग जुड़ने लगे तो मशरूम की खेती से होने वाली कमाई लाखों में पहुंच गई. किसान ने खुद की जमीन खरीदी. मशरूम की पैकिंग के लिए कई अन्य काम भी शुरू किए.
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हजारीलाल का कहना है कि मशरूम की खेती पारंपरिक गेहूं, सरसों जैसी फसलों से अलग है. इसमें लागत कम लगती है तो नुकसान भी कम होता है. इसका सीधा फायदा किसान को मिलता है. किसान की आय ज्यादा होती है, तो किसान आर्थिक रूप से मजबूत होता है. उन्होंने कहा, हरियाणा, पंजाब, जयपुर, भरतपुर में भी इसके प्लांट स्थापित किए गए हैं. साथ ही मशरूम की उपज से 200 से अधिक लोगों को जोड़ा गया है. किसान ने बताया कि पहले वह बांस के घर बनाकर मशरूम की खेती करते थे, लेकिन अब उन्होंने 2 मंजिला नया घर तैयार किया है. उसमें वह मशरूम की फसल की पैदावार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 2015 में मशरूम की खेती का व्यवसाय 10 हजार रुपए की लागत से शुरू किया था, लेकिन आज इस खेती को बढ़ाकर 10 गुना कर लिया है. आज 10 क्विंटल मशरूम की प्रतिदिन पैदावार होती है. मशरूम की खेती करने से वह आर्थिक रूप से मजबूत हुए. उनके पास खेती के लिए ट्रैक्टर, पिकअप गाड़ी है. किसान हजारीलाल ने बताया कि मशरूम की खेती करने के लिए 31 फीट चौड़ी और 60 फीट लंबी जगह होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए कम पानी की जरूरत होती है.
ट्रेनिंग के लिए आते हैं किसान: हजारी लाल ने बताया कि मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेने के लिए आसपास के जिलों के अलावा कई राज्यों के किसान भी आते हैं. किसान मशरूम की खेती को खासा पसंद करने लगे हैं. उन्होंने कहा, मालाखेड़ा क्षेत्र में मशरूम की खेती की शुरुआत मैने की थी, लेकिन कुछ ही सालों में देखते ही देखते अलवर जिले के कई क्षेत्रों में सैकड़ों किसान मशरूम की खेती करने लगे हैं.