भिवाड़ी (अलवर). जिला नगर परिषद चुनाव की बात करें तो इस समय भाजपा और कांग्रेस में काटे की टक्कर नजर आ रही है. वहीं कांग्रेस अलग-अलग धड़े में बटी हुई नजर आ रही है. तो वहीं बीजेपी anti-incumbency के चलते कई सारी समस्याओं से जूझ रही है. कांग्रेस विधायक संदीप यादव अपने सत्ताधारी दल से होने के नाते सभी से सियासी समीकरण साधने में जुटे हुए हैं.
वहीं बात करें अभी तक के जोड़-तोड़ की तो कांग्रेस के पक्ष में कुछ हद तक पाला मजबूत नजर आ रहा है. भिवाड़ी निकाय चुनाव में 2 वार्डों में दो पार्षदों को अभी तक निर्विरोध चुन लिया गया है. जिनमें एक कांग्रेस पार्टी का पार्षद है तो दूसरा बीजेपी का. वहीं, एक वार्ड में भाजपा के प्रत्याशी ने कांग्रेस के प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन करते हुए अपना नामांकन आखिरी मौके पर वापस ले लिया. जिससे कहा जा रहा है कि भाजपा को बड़ा झटका लगा है.
एक बसपा के प्रत्याशी ने वार्ड नंबर 47 से अपना समर्थन कांग्रेस को देते हुए अपना पर्चा वापस ले लिया. दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपना समर्थन दिया है. अगर बात करें तो कांग्रेस पहली बार अपना वार्ड बनाने की जुगत में जुटा हुआ है. वहीं बात करें भारतीय जनता पार्टी की तो वह 10 साल से नगर परिषद सभापति के पद पर काबिज है.
भिवाड़ी नगर परिषद में बात करें मुद्दों की तो मूलभूत सुविधाओं को लेकर जो मुद्दे नगर पालिका चुनाव वर्ष 2010 में सामने खड़े थे वहीं 2014 में भी सामने खड़े दिखाई दे रहे थे. लोगों का आरोप है कि पिछले 10 सालों में कोई काम नहीं हो पाया तो उसी तरह की कुछ समस्याएं और मुद्दे 2019 में भी आम जनता के सामने खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं.
बात करें भिवाड़ी में पीने के पानी की सबसे ज्यादा किल्लत है. कई वार्डों में तो लोग पानी स्वयं खरीदकर पीने को मजबूर है. इस संबंध में हमने सभापति संदीप दायमा से बात की तो उन्होंने कहा कि वह भिवाड़ी को अपने कार्यकाल में करीब 10 साल आगे ले गए हैं. तिजारा विधायक संदीप यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि अब कुशासन और भ्रष्टाचार आदि को समाप्त करने के बाद सुशासन देने की कोशिश जारी है.
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देखना यह रहेगा कि आखिर 16 तारीख को जनता किसके पक्ष में अपना मतदान करती है और किसको इस सभापति की कुर्सी पर काबिज होगा, जो अपने आप में एक बड़ा देखने वाला रोचक विषय रहेगा. क्योंकि भिवाड़ी राजस्थान की आर्थिक राजधानी मानी जाती है और आज समस्याओं की बात करें तो भिवाड़ी में बेहद गंदगी का आलम है. सड़के टूटी हुई है.
प्रदूषण से भी से अपने आप से दो-चार होती रहती है और पीने के पानी की किल्लत बहुत बड़े स्तर पर है. भिवाड़ी शहर में तब्दील हो गया. लेकिन, भिवाड़ी नगर परिषद में विस्तृत इलाका गांव का भी आता है. जिससे ग्रामीण पूरी तरह से मूलभूत सुविधाओं को लेकर परेशानियां भुगत रहे हैं. देखना यह रहेगा कि 16 तारीख को आखिर जनता किसके पक्ष में अपना फैसला देती है.