अलवर. प्रदेश सरकार के द्वारा राइट टू हेल्थ बिल (RTH) पास करने के विरोध में बानसूर के निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की बैठक आयोजित हुई. बैठक में चिकित्सकों ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से इस बिल को चिकित्सकों पर थोपा जा रहा है. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. मरीजों को इलाज के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर राजस्थान के सभी निजी चिकित्सक हड़ताल पर हैं. जिससे बानसूर, कोटपूतली तथा बहरोड़ के मरीजों को नजदीक सीमावर्ती हरियाणा में जाकर इलाज करवा रहे हैं.
चिकित्सकों ने बताया कि राज्य सरकार को इस बिल को वापस लेना होगा. बिल असंवैधानिक है जिससे आए दिन मरीज तथा चिकित्सकों के बीच में झगड़े होने की संभावना अधिक होगी. चिकित्सकों ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अगर राइट टू हेल्थ बिल को वापस नहीं लेती है, तो चिकित्सकों की ओर से उग्र आंदोलन किया जाएगा. बता दें कि बैठक के दौरान बड़ी संख्या में निजी अस्पताल चिकित्सकों ने भाग लिया.
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डॉक्टरों ने बैठक के दौरान कहा कि इस बिल के चलते मरीज और डॉक्टरों में तकरार पैदा होगी. जिससे आए दिन लड़ाई-झगड़े होंगे. क्योंकि बिल में इमरजेंसी को लेकर तीन बिंदुओं को दर्शाया गया है. सर्पदंश, दुर्घटना एवं एनिमल्स के द्वारा घायलों का इलाज इमरजेंसी में दर्शाया गया है, जबकि डॉक्टर मानते हैं कि इमरजेंसी केस तो हर उस व्यक्ति का होगा, जिसकी अचानक हृदय गति संबंधित बीमारी या अचानक किसी कारणवश तबीयत खराब हो गई हो. उसको भी इमरजेंसी ही बोला जाएगा. ऐसे में डॉक्टर खर्चे की बात करेंगे, तो उस वक्त भी मरीज और डॉक्टर में विवाद पैदा होगा. क्योंकि मरीज इस बात को नहीं समझ पाता कि सरकार द्वारा लाया गया बिल किस बीमारी से संबंधित है.
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डॉक्टरों का मानना है कि अपने निजी खर्चे से मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने के दौरान भी एंबुलेंस की व्यवस्था करना भी बड़ा मुश्किल होगा. मरीजों तथा निजी चिकित्सकों के बीच झगड़े पैदा होंगे. कोटपूतली से पहुंचे सभी चिकित्सकों ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह बिल सोच समझकर थोपा गया है. इस बिल का हम तब तक घोर विरोध करेंगे, जब तक इस बिल को सरकार वापस नहीं लेती. इस दौरान डॉ डीआर यादव, डॉ मनोज जांगीड़, डॉ आरआर यादव, डॉ सुभाष अग्रवाल, डॉ महावीर प्रसाद, डॉ मनफूल चौधरी सहित निजी अस्पताल चिकित्सक बड़ी संख्या में मौजूद रहे.