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अलवर: बानसूर में टिड्डियों का हमला, किसानों ने थाली बजाकर किया भगाने का प्रयास - How to prevent locusts

अलवर जिले के बानसूर में शुक्रवार को टिड्डियों ने हमला कर दिया. जिसके बाद किसान थाली लेकर खेतों में टिड्डियों को भगाते नजर आए. गुरुवार शाम को भी टिड्डियों ने बानसूर उपखण्ड में हमला कर दिया था. जिसके बाद कृषि विभाग ने कीटनाशक का छिड़काव करवाया था. 3 दिन पहले भी क्षेत्र में टिड्डियां देखी गईं थी.

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बानसूर में तीसरी बार टिड्डियों का हमला
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Published : Jul 3, 2020, 5:43 PM IST

बानसूर (अलवर). बानसूर में शुक्रवार को टि्ड्डियों ने हमला कर दिया. टिड्डी दल बानसूर के गांव लोयतो बुटेरी, नई सड़क होते हुए बानसूर कस्बे से रतनपुरा बालावास की ओर निकल गया. काफी संख्या में टि्ड्डियों को देखकर ग्रामीण थाली और पटाखे लेकर खेतों की तरफ दौड़े. ग्रामीणों ने शोर करके टि्ड्डियों को भगाने का प्रयास किया.

टिड्डी अटैक

बानसूर में गुरुवार शाम को भी टि्ड्डियों ने हमला कर दिया था, जिसकी सूचना मिलने पर कृषि अधिकारी मौके पर पहुंचे और कीटनाशक का छिड़काव करवाया था. जिससे टिड्डियों पर नियंत्रण पाने में कुछ हद तक कामयाबी मिली. वहीं, कांग्रेस विधायक शकुंतला रावत भी ग्रामीणों के साथ थाली बजाकर टिड्डी उड़ाती नजर आई. 3 दिन पहले भी बानसूर क्षेत्र में टिड्डियों ने हमला किया था.

पढ़ें: जयपुर : 30 साल बाद टिड्डियों ने कोटपूतली पर बोला धावा, ग्रामीण परेशान

टिड्डी दलों के हमले में कितना नुकसान हुआ है इसके लिए तहसीलदार ने पटवारियों से अपने क्षेत्र की रिपोर्ट बनाकर देने को कहा है. टिड्डियों के हमले में बाजरे की फसल को भारी नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है.

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ग्रामीणों ने शोर करके टि्ड्डियों को भगाया

टिड्डी दल दो प्रकार का होता है, गुलाबी और पीले रंग का. पीले रंग की टिड्डियां अंडे देने में सक्षम होती हैं. पड़ाव डालने के बाद पीले रंग की टिड्डियां अंडे देना शुरू कर देती हैं और इसके लिए वो एक जगह 3 से 4 दिन तक पड़ाव डाले रखती हैं. ऐसी स्थिति में कीटनाशक का छिड़काव करके टिड्डियों के प्रजनन को रोका जा सकता है. वहीं, गुलाबी रंग की टिड्डी एक जगह ज्यादा देर नहीं ठहरती हैं. गुलाबी रंग की टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ज्यादा तत्परता दिखाने की जरूरत होती है. टिड्डी दल दिन में झुंड में उड़ते हैं. शाम होने पर टिड्डियां पेड़ों पर और फसल के पत्तों पर बैठ जाती हैं. रात भर ठहरने के बाद टिड्डियां सुबह में उड़ जाती हैं.

बानसूर (अलवर). बानसूर में शुक्रवार को टि्ड्डियों ने हमला कर दिया. टिड्डी दल बानसूर के गांव लोयतो बुटेरी, नई सड़क होते हुए बानसूर कस्बे से रतनपुरा बालावास की ओर निकल गया. काफी संख्या में टि्ड्डियों को देखकर ग्रामीण थाली और पटाखे लेकर खेतों की तरफ दौड़े. ग्रामीणों ने शोर करके टि्ड्डियों को भगाने का प्रयास किया.

टिड्डी अटैक

बानसूर में गुरुवार शाम को भी टि्ड्डियों ने हमला कर दिया था, जिसकी सूचना मिलने पर कृषि अधिकारी मौके पर पहुंचे और कीटनाशक का छिड़काव करवाया था. जिससे टिड्डियों पर नियंत्रण पाने में कुछ हद तक कामयाबी मिली. वहीं, कांग्रेस विधायक शकुंतला रावत भी ग्रामीणों के साथ थाली बजाकर टिड्डी उड़ाती नजर आई. 3 दिन पहले भी बानसूर क्षेत्र में टिड्डियों ने हमला किया था.

पढ़ें: जयपुर : 30 साल बाद टिड्डियों ने कोटपूतली पर बोला धावा, ग्रामीण परेशान

टिड्डी दलों के हमले में कितना नुकसान हुआ है इसके लिए तहसीलदार ने पटवारियों से अपने क्षेत्र की रिपोर्ट बनाकर देने को कहा है. टिड्डियों के हमले में बाजरे की फसल को भारी नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है.

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ग्रामीणों ने शोर करके टि्ड्डियों को भगाया

टिड्डी दल दो प्रकार का होता है, गुलाबी और पीले रंग का. पीले रंग की टिड्डियां अंडे देने में सक्षम होती हैं. पड़ाव डालने के बाद पीले रंग की टिड्डियां अंडे देना शुरू कर देती हैं और इसके लिए वो एक जगह 3 से 4 दिन तक पड़ाव डाले रखती हैं. ऐसी स्थिति में कीटनाशक का छिड़काव करके टिड्डियों के प्रजनन को रोका जा सकता है. वहीं, गुलाबी रंग की टिड्डी एक जगह ज्यादा देर नहीं ठहरती हैं. गुलाबी रंग की टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ज्यादा तत्परता दिखाने की जरूरत होती है. टिड्डी दल दिन में झुंड में उड़ते हैं. शाम होने पर टिड्डियां पेड़ों पर और फसल के पत्तों पर बैठ जाती हैं. रात भर ठहरने के बाद टिड्डियां सुबह में उड़ जाती हैं.

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