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मोदी सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है...आम जनता के हाथ में कुछ नहीं आताः टीकाराम जूली

राजस्थान के श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने श्रमिकों को रोजगार, पलायन जैसे तमाम मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत से बात की. इस दौरान जूली ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. जूली ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है, इससे आम जनता के हाथ में कुछ नहीं आता.

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श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत
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Published : May 28, 2020, 12:04 PM IST

अलवर. श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि कोरोना एक त्रासदी ही इसके जख्म तो भर जाएंगे लेकिन श्रमिकों के जख्म भी कोई कम नहीं हैं. जहां ये श्रमिक रह रहे थे की सालों के अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे थे वहां से उन्हें अचानक निकलना पड़ा. उनका पूरा काम धंधा बंद हो गया. जो कुछ भी उनका लेन देन था वो भी छोड़ दिया. यहां तक की अपना समान भी छोड़कर उन्हें अपने घर लौटना पड़ा है. हजारों किलोमीटर पैदल चले. श्रम मंत्री ने कहा की हर राज्यों की सरकारें अपने स्तर पर काम कर रही हैं लेकिन अगर राजस्थान की बात करें तो गहलोत सरकार के निर्णय समय पर लिए गए है जिसका असर भी दिखा है.

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 01

उन्होंने कहा कि हमने एक महीने पहले से ही श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए बसें चलाना शुरु कर दिया था. लेकिन जब केंद्र सरकरार ने राज्यों में ही रहने के लिए कहा तो हमने इन श्रमिकों को बॉर्डर पर ही रोक दिया, वहीं पर उनके लिए सारी सुविधाएं दी. खाना, पानी, चाय और सभी जरूरी समान.

टीकाराम ने कहा कि श्रमिक परेशान हैं उन्हें हर संभव मदद करने की हमारी सरकार कोशिश कर रही है. हमारी सरकार ने उन्हें उनके घर तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन भी चलवाई है. हमने केंद्र सरकार से इसकी मांग रखी थी और केंद्र ने इसकी व्यवस्था भी की. टीकाराम ने कहा कि लॉकडाउन से पहले केद्र ने ऐसी तैयारियां नहीं की थी की लॉकडाउन के बाद हमारे सामने कौन-कौन सी परिस्थितियां बन सकती हैं.

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 02

केंद्र के 20 लाख के पैकेज से राजस्थान को राहत नहीं:

श्रम मंत्री ने कहा कि राजस्थान को क्या कुछ मिला वो सब के सामने हैं. प्रधानमंत्री और फिर उसके बाद वित्तमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विस्तार से चर्चा की लेकिन उसके कई दिन गुजरने के बाद परिणाम क्या हैं हर कोई जानता है. जूली ने कहा प्रधामंत्री ने बिहार में भी जाकर पैकेज की घोषण कर चुके हैं लेकिन मुझे नहीं लगता की बिहार तक पैकेज पहुंचा होगा. उन्होंने कहा घोषणा कितनी भी कर लो लेकिन आम जनता के हाथ कुछ आना चाहिए. उन्होंने कहा केंद्र सरकार कहती है कि हमारी अर्थव्यवस्था सुधर रही है, जीडीपी बढ़ रही है लेकिन जो रिपोर्ट आ रही हैं वो बिलकुल इससे अलग हैं.

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 03

टीकाराम ने कहा हमारे मुख्यमंत्री गहलोत ने भी प्रधानमंत्री से कह चुके हैं कि जब तक मजदूर, किसान, श्रमिकों की आय नहीं बढ़ेगी तब तक देश की अर्थव्यवस्था नहीं चलेगी, क्योंकि पैसा वहीं से आता है. उन्होंने कहा कि हमने इसी को ध्यान में रखते हुए मनरेगा की अधिक से अधिक काम देने की कोशिश की है. केंद्र सरकार ने जो फंड जारी किया है वो लोगों तक कैसे पहुंचेगा ये तो समय ही बताएगा...

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 04

यूपी के जो हालात थे किसी से छुपे नहीं हैं. सबसे ज्यादा लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में ही हादसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी खुद श्रमिकों से मिल हैं. उन्होंने कहा कि हम बस श्रमिकों के लिए बस उपलब्ध कराना चाहते थे. उन्होंने हमसे बसों की लिस्ट मांगी हमने उन्हें दे दी. अगर गलती से भी कुछ नंबर इधर से उधर हो गए किसी कारण की वजह से तो भी करीब 900 बसों के नंबर सही थे उन्हें जाने की परमिशन क्यों नहीं दी गई.

ये भी पढ़ें: 'कांग्रेस के घोड़ों ने दौड़ना बंद कर दिया है, अब ये अलग बात है कि वो अपने घोड़ों की हैसियत और ताकत समझ न पाएं'

जूली ने कहा उन्होने ऐसे वक्त में बसों की फिटनेस और इंश्योरेंस चेक कर रहे थे जब सरकार ने कोरोना वायरस की वजह से जून महीने तक के लिए छूट दी है. ये आदेश भारत सरकार ने दिए हैं फिर हमने अपनी गलती मान ली लेकिन सारी कमियां निकालने के बाद जो सही बसें थी उन्हें तो जाने की परमिशन मिलनी चाहिए थी.

उन्होने कहा कि हमने कोई राजनीति नहीं की. इससे तो गरीब लोगों को ही मदद मिल रही थी. गरीब परेशान थे पैदल चल रहे थे ऐसे में अगर कोई समझता है कि ये राजनीति है तो वो गलत है. श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान में हमने विपक्ष के नेताओं से भी मिलकर बात की है और उनसे राय लेकर लोगों की मदद करने का काम किया है.

अलवर. श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि कोरोना एक त्रासदी ही इसके जख्म तो भर जाएंगे लेकिन श्रमिकों के जख्म भी कोई कम नहीं हैं. जहां ये श्रमिक रह रहे थे की सालों के अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे थे वहां से उन्हें अचानक निकलना पड़ा. उनका पूरा काम धंधा बंद हो गया. जो कुछ भी उनका लेन देन था वो भी छोड़ दिया. यहां तक की अपना समान भी छोड़कर उन्हें अपने घर लौटना पड़ा है. हजारों किलोमीटर पैदल चले. श्रम मंत्री ने कहा की हर राज्यों की सरकारें अपने स्तर पर काम कर रही हैं लेकिन अगर राजस्थान की बात करें तो गहलोत सरकार के निर्णय समय पर लिए गए है जिसका असर भी दिखा है.

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 01

उन्होंने कहा कि हमने एक महीने पहले से ही श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए बसें चलाना शुरु कर दिया था. लेकिन जब केंद्र सरकरार ने राज्यों में ही रहने के लिए कहा तो हमने इन श्रमिकों को बॉर्डर पर ही रोक दिया, वहीं पर उनके लिए सारी सुविधाएं दी. खाना, पानी, चाय और सभी जरूरी समान.

टीकाराम ने कहा कि श्रमिक परेशान हैं उन्हें हर संभव मदद करने की हमारी सरकार कोशिश कर रही है. हमारी सरकार ने उन्हें उनके घर तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन भी चलवाई है. हमने केंद्र सरकार से इसकी मांग रखी थी और केंद्र ने इसकी व्यवस्था भी की. टीकाराम ने कहा कि लॉकडाउन से पहले केद्र ने ऐसी तैयारियां नहीं की थी की लॉकडाउन के बाद हमारे सामने कौन-कौन सी परिस्थितियां बन सकती हैं.

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 02

केंद्र के 20 लाख के पैकेज से राजस्थान को राहत नहीं:

श्रम मंत्री ने कहा कि राजस्थान को क्या कुछ मिला वो सब के सामने हैं. प्रधानमंत्री और फिर उसके बाद वित्तमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विस्तार से चर्चा की लेकिन उसके कई दिन गुजरने के बाद परिणाम क्या हैं हर कोई जानता है. जूली ने कहा प्रधामंत्री ने बिहार में भी जाकर पैकेज की घोषण कर चुके हैं लेकिन मुझे नहीं लगता की बिहार तक पैकेज पहुंचा होगा. उन्होंने कहा घोषणा कितनी भी कर लो लेकिन आम जनता के हाथ कुछ आना चाहिए. उन्होंने कहा केंद्र सरकार कहती है कि हमारी अर्थव्यवस्था सुधर रही है, जीडीपी बढ़ रही है लेकिन जो रिपोर्ट आ रही हैं वो बिलकुल इससे अलग हैं.

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 03

टीकाराम ने कहा हमारे मुख्यमंत्री गहलोत ने भी प्रधानमंत्री से कह चुके हैं कि जब तक मजदूर, किसान, श्रमिकों की आय नहीं बढ़ेगी तब तक देश की अर्थव्यवस्था नहीं चलेगी, क्योंकि पैसा वहीं से आता है. उन्होंने कहा कि हमने इसी को ध्यान में रखते हुए मनरेगा की अधिक से अधिक काम देने की कोशिश की है. केंद्र सरकार ने जो फंड जारी किया है वो लोगों तक कैसे पहुंचेगा ये तो समय ही बताएगा...

श्रम मंत्री टीकाराम जूली से बातचीत पार्ट: 04

यूपी के जो हालात थे किसी से छुपे नहीं हैं. सबसे ज्यादा लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में ही हादसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी खुद श्रमिकों से मिल हैं. उन्होंने कहा कि हम बस श्रमिकों के लिए बस उपलब्ध कराना चाहते थे. उन्होंने हमसे बसों की लिस्ट मांगी हमने उन्हें दे दी. अगर गलती से भी कुछ नंबर इधर से उधर हो गए किसी कारण की वजह से तो भी करीब 900 बसों के नंबर सही थे उन्हें जाने की परमिशन क्यों नहीं दी गई.

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जूली ने कहा उन्होने ऐसे वक्त में बसों की फिटनेस और इंश्योरेंस चेक कर रहे थे जब सरकार ने कोरोना वायरस की वजह से जून महीने तक के लिए छूट दी है. ये आदेश भारत सरकार ने दिए हैं फिर हमने अपनी गलती मान ली लेकिन सारी कमियां निकालने के बाद जो सही बसें थी उन्हें तो जाने की परमिशन मिलनी चाहिए थी.

उन्होने कहा कि हमने कोई राजनीति नहीं की. इससे तो गरीब लोगों को ही मदद मिल रही थी. गरीब परेशान थे पैदल चल रहे थे ऐसे में अगर कोई समझता है कि ये राजनीति है तो वो गलत है. श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान में हमने विपक्ष के नेताओं से भी मिलकर बात की है और उनसे राय लेकर लोगों की मदद करने का काम किया है.

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