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अलवर: श्रम मंत्री ने शिशु अस्पताल का किया निरीक्षण, कहा बढ़ाई जाएंगी मरीजों के लिए सुविधाएं - rajasthan news

अलवर के श्रम मंत्री टीकाराम जूली (Labor Minister Tikaram Julie) और अलवर के जिला कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया (Alwar District Collector Nannu Mal Paharia) ने शनिवार रात को अचानक अलवर के गीतानंद शिशु अस्पताल (Geetanand Shishu Hospital) का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली व्यवस्थाएं देखी और मरीज के परिजनों से बातचीत की.

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अलवर में श्रम मंत्री ने शिशु अस्पताल का किया निरीक्षण
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Published : Jun 13, 2021, 8:38 AM IST

अलवर. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली (Labor Minister Tikaram Julie) और अलवर के जिला कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया (Alwar District Collector Nannu Mal Paharia) ने शनिवार रात को अचानक अलवर के गीतानंद शिशु अस्पताल (Geetanand Shishu Hospital) का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली व्यवस्थाएं देखी. मरीज के परिजनों से बातचीत की. साथ ही डॉक्टरों से विचार विमर्श किया.

श्रम मंत्री (Labor Minister) ने कहा हॉस्पिटल में काफी संभावनाएं हैं. मरीजों को बेहतर इलाज मिले, इसके लिए हॉस्पिटल (hospital) ने कई नई सुविधाएं उपलब्ध कराई. साथ ही नए सिरे से हॉस्पिटल को विकसित करने की योजना बनेगी.

अलवर में श्रम मंत्री ने शिशु अस्पताल का किया निरीक्षण

श्रम मंत्री ने मरीज व उनके परिजनों को मिलने वाली सुविधाएं जानी. और आगामी भविष्य के लिए जरूरतों के हिसाब से डॉक्टरों से चर्चा की. श्रम मंत्री ने कहा अस्पताल के वार्डों में ऐसी की सुविधा की जाएगी मरीज के परिजनों के बैठने के बेहतर इंतजाम किए जाएंगे. अस्पताल में इलाज के लिए बच्चे आते हैं. ऐसे में बच्चों के खेलने के लिए अलग से जगह बनाई जाएगी. डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाएगी. और साथ ही जांच की सुविधा और नए उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे.

पढ़ें: कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों और विधवा हुई महिलाओं के लिए सरकार का बड़ा एलान

इसके अलावा आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी. श्रम मंत्री ने कहा कि हॉस्पिटल में काफी संभावनाएं हैं. नए सिरे से हॉस्पिटल को विकसित करने और जरूरत के हिसाब से यहां सुविधाएं बढ़ाने पर जल्द काम शुरू होगा.

दरअसल अलवर का गीतानंद शिशु अस्पताल अभी तक एक वार्ड था. इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति होती थी. कुछ साल पहले इस वार्ड को अस्पताल का दर्जा दिया गया. लेकिन सुविधाएं आज भी यहां वार्ड जैसी हैं. मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाना पड़ता है. हॉस्पिटल में केवल जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक के बच्चों के इलाज की सरकारी अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में प्रशासन की तरफ से शिशु अस्पताल पर खास ध्यान दिया जा रहा है.

अलवर. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली (Labor Minister Tikaram Julie) और अलवर के जिला कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया (Alwar District Collector Nannu Mal Paharia) ने शनिवार रात को अचानक अलवर के गीतानंद शिशु अस्पताल (Geetanand Shishu Hospital) का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली व्यवस्थाएं देखी. मरीज के परिजनों से बातचीत की. साथ ही डॉक्टरों से विचार विमर्श किया.

श्रम मंत्री (Labor Minister) ने कहा हॉस्पिटल में काफी संभावनाएं हैं. मरीजों को बेहतर इलाज मिले, इसके लिए हॉस्पिटल (hospital) ने कई नई सुविधाएं उपलब्ध कराई. साथ ही नए सिरे से हॉस्पिटल को विकसित करने की योजना बनेगी.

अलवर में श्रम मंत्री ने शिशु अस्पताल का किया निरीक्षण

श्रम मंत्री ने मरीज व उनके परिजनों को मिलने वाली सुविधाएं जानी. और आगामी भविष्य के लिए जरूरतों के हिसाब से डॉक्टरों से चर्चा की. श्रम मंत्री ने कहा अस्पताल के वार्डों में ऐसी की सुविधा की जाएगी मरीज के परिजनों के बैठने के बेहतर इंतजाम किए जाएंगे. अस्पताल में इलाज के लिए बच्चे आते हैं. ऐसे में बच्चों के खेलने के लिए अलग से जगह बनाई जाएगी. डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाएगी. और साथ ही जांच की सुविधा और नए उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे.

पढ़ें: कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों और विधवा हुई महिलाओं के लिए सरकार का बड़ा एलान

इसके अलावा आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी. श्रम मंत्री ने कहा कि हॉस्पिटल में काफी संभावनाएं हैं. नए सिरे से हॉस्पिटल को विकसित करने और जरूरत के हिसाब से यहां सुविधाएं बढ़ाने पर जल्द काम शुरू होगा.

दरअसल अलवर का गीतानंद शिशु अस्पताल अभी तक एक वार्ड था. इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति होती थी. कुछ साल पहले इस वार्ड को अस्पताल का दर्जा दिया गया. लेकिन सुविधाएं आज भी यहां वार्ड जैसी हैं. मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाना पड़ता है. हॉस्पिटल में केवल जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक के बच्चों के इलाज की सरकारी अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में प्रशासन की तरफ से शिशु अस्पताल पर खास ध्यान दिया जा रहा है.

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