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अलवर का प्रेरणादायी परिवार, जिसमें हैं पांच जज, बिना कोचिंग के पाया लक्ष्य

राजस्थान के अलवर से एक प्रेरणादायी परिवार की खबर आई है. यहां अलवर में एक ऐसा परिवार है जिसमें 7 बच्चों में से पांच जज हैं. इसमें भी खास बात यह है कि चाहे बेटा हो या बेटी किसी ने भी कभी कोई कोचिंग नहीं ली. आइये जानते हैं न्यायाधीशों के इस परिवार की पूरी कहानी.

judges family in Alwar
अलवर का प्रेरणादायी परिवार, जिसमें हैं पांच जज
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Published : Apr 11, 2023, 10:12 PM IST

अलवर का प्रेरणादायी परिवार, जिसमें हैं पांच जज

अलवर. वैसे तो आप ने युवाओं की कई सक्सेस स्टोरी देखी होंगी और पढ़ी होंगी. आज हम अलवर के एक ऐसी परिवार की स्टोरी आपको दिखाएंगे, जिसमें 5 जज हैं. इनमें भी खास बात यह है कि सभी ने घर में रहकर पढ़ाई की. कभी कोचिंग नहीं गए और लक्ष्य निर्धारित करके सभी ने अपनी मंजिल पाई है. इस परिवार की खूब चर्चा हो रही है. परिवार में बेटा-बेटी को एक समान समझा जाता है. इसलिए सबने अपना लक्ष्य पूरा किया.

गुरु के कहने पर ले लिया वीआरएसः शहर के स्कीम नंबर 8 में रहने वाले भागीरथ मीणा सार्वजनिक उद्योग विभाग में डिप्टी डायरेक्टर थे. गुरु के कहने पर अचानक उन्होंने वीआरएस लेकर समाज की सेवा करनी शुरू कर दी. इसके बाद भागीरथ कभी पीछे नहीं हटे. उन्होंने नौकरी से वीआरएस लिया और लोगों को रोजगार देने के लिए एक पेट्रोल पंप खोला. उसमें कई लोगों को रोजगार दिया और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दी. भागीरथ ने बताया की इनके 7 बच्चों में से 5 बच्चे सिविल जज हैं. एक बेटी बैंक में पीओ पद पर कार्यरत है. भागीरथ ने बताया कि छोटा बेटा लॉ फाइनल ईयर में है. एक लड़का व 2 लड़की दिल्ली न्यायिक सेवा में है. दो लड़की राजस्थान न्यायिक सेवा में कार्यरत हैं. परिवार में लड़का-लड़की को समान दर्जा दिया जाता है. लड़कियों को आजादी दी जाए, तो वे अपना मुकाम हासिल कर सकती है.

ये भी पढ़ेंः Special: गाय के गोबर से लाखों की कमाई करता भरतपुर का ये दंपती, रोजाना 20 हजार की इनकम

यू ट्यूब से ली इंटरव्यू की जानकारीः भागीरथ मीणा ने बताया कि कामाक्षी मीणा सांगानेर जयपुर में सिविल जज हैं. सुमन मीणा चोमू राजस्थान में सिविल जज है. निधीश मीणा द्वारका दिल्ली में सिविल जज हैं. मीनाक्षी मीणा दिल्ली में सिविल जज हैं. इसके अलावा मोहिनी मीणा भी दिल्ली में ही सिविल जज हैं. माता कमलेश मीणा घर संभालती हैं. उन्होंने हमेशा सभी बच्चों को सामान समझा बेटियों को भी अच्छे स्कूल में पढ़ाया बेटों के सामान अधिकार दिए. भागीरथ ने बताया कि वो बच्चों को हमेशा मोटिवेट करते थे. ईटीवी भारत से बात करते हुए हाल ही में सिविल सर्विस के एग्जाम में पास होने वाली मोहनी ने बताया कि उन्होंने 5 साल का बीएएलएलबी का कोर्स किया था. उसके बाद एनएलयू पंजाब से की है. पोस्ट ग्रेजुएशन दिल्ली से करने के साथ ही न्यायिक सेवा की तैयारी भी की. वो कभी कोचिंग नहीं गई. प्रतिदिन लगन से 5-6 घंटे पढ़ाई की व परीक्षा में पास होने के बाद यूट्यूब से इंटरव्यू के बारे में जानकारी ली और तैयारी करके सफल हुईं.

बड़े भाई से मिली प्रेरणाः मोहनी ने बताया कि उनके बड़े भाई उनके प्रेरणा स्रोत हैं. सबसे पहले परिवार में भाई बहनों में बड़े भाई ने ज्यूडिशल सर्विस में अपना कैरियर बनाया. उनको देखकर अन्य भाई-बहन भी जुडिशल सर्विस की तैयारी में जुट गए. माता-पिता का हमेशा सहयोग मिला. परिवार ने बच्चों को स्वतंत्रता दी, तो बच्चों ने भी रात-दिन पढ़ाई करके अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त किया. दो बहनों ने हाल ही में परीक्षा पास की है. उनको जल्द ही ज्वाइनिंग मिलेगी. पूरे परिवार की यह कहानी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. रिश्तेदार भी अपने बच्चों को प्रेरणा के लिए उनसे मिलवाने के लिए लाते हैं, तो क्षेत्र के सभी का सम्मान करते हैं.

अलवर का प्रेरणादायी परिवार, जिसमें हैं पांच जज

अलवर. वैसे तो आप ने युवाओं की कई सक्सेस स्टोरी देखी होंगी और पढ़ी होंगी. आज हम अलवर के एक ऐसी परिवार की स्टोरी आपको दिखाएंगे, जिसमें 5 जज हैं. इनमें भी खास बात यह है कि सभी ने घर में रहकर पढ़ाई की. कभी कोचिंग नहीं गए और लक्ष्य निर्धारित करके सभी ने अपनी मंजिल पाई है. इस परिवार की खूब चर्चा हो रही है. परिवार में बेटा-बेटी को एक समान समझा जाता है. इसलिए सबने अपना लक्ष्य पूरा किया.

गुरु के कहने पर ले लिया वीआरएसः शहर के स्कीम नंबर 8 में रहने वाले भागीरथ मीणा सार्वजनिक उद्योग विभाग में डिप्टी डायरेक्टर थे. गुरु के कहने पर अचानक उन्होंने वीआरएस लेकर समाज की सेवा करनी शुरू कर दी. इसके बाद भागीरथ कभी पीछे नहीं हटे. उन्होंने नौकरी से वीआरएस लिया और लोगों को रोजगार देने के लिए एक पेट्रोल पंप खोला. उसमें कई लोगों को रोजगार दिया और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दी. भागीरथ ने बताया की इनके 7 बच्चों में से 5 बच्चे सिविल जज हैं. एक बेटी बैंक में पीओ पद पर कार्यरत है. भागीरथ ने बताया कि छोटा बेटा लॉ फाइनल ईयर में है. एक लड़का व 2 लड़की दिल्ली न्यायिक सेवा में है. दो लड़की राजस्थान न्यायिक सेवा में कार्यरत हैं. परिवार में लड़का-लड़की को समान दर्जा दिया जाता है. लड़कियों को आजादी दी जाए, तो वे अपना मुकाम हासिल कर सकती है.

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यू ट्यूब से ली इंटरव्यू की जानकारीः भागीरथ मीणा ने बताया कि कामाक्षी मीणा सांगानेर जयपुर में सिविल जज हैं. सुमन मीणा चोमू राजस्थान में सिविल जज है. निधीश मीणा द्वारका दिल्ली में सिविल जज हैं. मीनाक्षी मीणा दिल्ली में सिविल जज हैं. इसके अलावा मोहिनी मीणा भी दिल्ली में ही सिविल जज हैं. माता कमलेश मीणा घर संभालती हैं. उन्होंने हमेशा सभी बच्चों को सामान समझा बेटियों को भी अच्छे स्कूल में पढ़ाया बेटों के सामान अधिकार दिए. भागीरथ ने बताया कि वो बच्चों को हमेशा मोटिवेट करते थे. ईटीवी भारत से बात करते हुए हाल ही में सिविल सर्विस के एग्जाम में पास होने वाली मोहनी ने बताया कि उन्होंने 5 साल का बीएएलएलबी का कोर्स किया था. उसके बाद एनएलयू पंजाब से की है. पोस्ट ग्रेजुएशन दिल्ली से करने के साथ ही न्यायिक सेवा की तैयारी भी की. वो कभी कोचिंग नहीं गई. प्रतिदिन लगन से 5-6 घंटे पढ़ाई की व परीक्षा में पास होने के बाद यूट्यूब से इंटरव्यू के बारे में जानकारी ली और तैयारी करके सफल हुईं.

बड़े भाई से मिली प्रेरणाः मोहनी ने बताया कि उनके बड़े भाई उनके प्रेरणा स्रोत हैं. सबसे पहले परिवार में भाई बहनों में बड़े भाई ने ज्यूडिशल सर्विस में अपना कैरियर बनाया. उनको देखकर अन्य भाई-बहन भी जुडिशल सर्विस की तैयारी में जुट गए. माता-पिता का हमेशा सहयोग मिला. परिवार ने बच्चों को स्वतंत्रता दी, तो बच्चों ने भी रात-दिन पढ़ाई करके अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त किया. दो बहनों ने हाल ही में परीक्षा पास की है. उनको जल्द ही ज्वाइनिंग मिलेगी. पूरे परिवार की यह कहानी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. रिश्तेदार भी अपने बच्चों को प्रेरणा के लिए उनसे मिलवाने के लिए लाते हैं, तो क्षेत्र के सभी का सम्मान करते हैं.

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