अलवर. त्यौहार से पहले स्वास्थ्य विभाग की तरफ से खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए जाते हैं, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया केवल खानापूर्ति बनकर रह गई है. त्यौहार से कुछ दिन पहले सैंपल लेने की प्रक्रिया शुरू होती है. सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए जाते हैं. इनकी रिपोर्ट एक माह में आती है, जब तक बाजार से सारा सामान बिक जाता है. उसके बाद इनकी रिपोर्ट आती है. इतना ही नहीं है, सैंपल फेल होने के बाद भी मिलावटखोरों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए जाते हैं. इसलिए लगातार मिलावट का खेल जारी है और मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.
अलवर मिलावट का अड्डा बन रहा है. अलवर के मेवात में पनीर, दूध, मावा, मिठाई में खुलेआम मिलावट होती है. इसके अलावा मसाले तेल व अन्य खाद्य पदार्थों में भी आए दिन मिलावट के मामले सामने आते हैं. अलवर एनसीआर का हिस्सा है. अलवर से प्रतिदिन हजारों की टर्न में मिठाई, मावा, पनीर दिल्ली व एनसीआर में सप्लाई होता है. इसके अलावा प्रतिदिन लाखों लीटर दूध एनसीआर के विभिन्न शहरों में जाता है. एनसीआर के शहरों में खाद्य पदार्थ की डिमांड ज्यादा रहती है. इसलिए मिलावट खोर खुलेआम मिलावट करके डिमांड पूरी करने के लिए खाद्य सामग्री सप्लाई करते हैं. त्यौहार के मौके पर डिमांड कई गुना बढ़ जाती है.
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिलावट रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. त्यौहार से पहले सैंपल लेने की प्रक्रिया होती है, लेकिन यह प्रक्रिया केवल खानापूर्ति बनकर रह गई है. क्योंकि व्यवहार से 2 से 3 दिन पहले सैंपल लेने की प्रक्रिया होती है. इन सैंपल की रिपोर्ट एक से डेढ़ माह में आती है. जब तक खाद्य पदार्थ की रिपोर्ट आती है, उस समय तक खाद्य सामग्री बाजार में बिक जाती है.
अलवर सरसों के तेल मसाले का केंद्र है. यहां बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयां हैं. स्वास्थ विभाग के अधिकारी मिलावट रोकने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन यह दावे बेकार साबित हो रहे हैं. खाद्य पदार्थों में खुलेआम मिलावट का खेल जारी है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से त्योहार के सीजन में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के दावे किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी मिलावट का खेल जारी है. ऐसे में साफ है कि सरकार के निर्देश व खाद्द विभाग के दावे केवल खानापूर्ति बन गए हैं. मिलावट खोर खुलेआम मिलावट करते हैं व माल बेचते हैं. दरअसल मिलावटखोरों को किसी का डर नहीं है. इसलिए यह खेल लगातार जारी है.