शाहजहांपुर बॉर्डर (अलवर). नए साल की पूर्व संध्या पर शाहजहांपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के बीच हनुमान बेनीवाल भी डटे रहे. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए बेनीवाल ने कहा कि वे किसानों के लिए संघर्ष करते रहते हैं. वसुंधरा राजे जब 2013 की टर्म में सीएम बनीं थीं, तब 42 दिनों तक आंदोलन किया था.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जब भी किसानों का मुद्दा आता है, तब वे सांसद से लेकर हर प्लेटफॉर्म पर मुद्दा उठाते हैं, चाहे वे सरकार के साथ क्यों ना हों. अब मैं नया साल किसान भाइयों के बीच मना रहा हूं. केंद्र सरकार को किसानों की बात मान लेनी चाहिए. इससे एनडीए को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है. मोदी सरकार का जो माहौल बना था, वो भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.
उस दिन संसद में होता तो बिल फाड़ देता
शाहजहांपुर बॉर्डर पर अपने समर्थकों को लेकर अलग से टेंट लगाने के सवाल पर बेनीवाल ने कहा कि हम आपस में सब एक ही हैं. हमारी मांग एक ही है कि तीनों कानून वापस लिए जाएं. जितने भी किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, हम उनकी मदद कर रहे हैं. हम किसानों को लेकर कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले रहे. बेनीवाल ने कहा जब लोकसभा में बिल पास किया जा रहा था, अगर मैं उस दिन वहां होता तो बिल को फाड़कर फेंक देता.
आनन-फानन में लाए गए बिल
बेनीवाल ने कहा जब यह बात चली कि राजस्थान में किसान भागीदार नहीं हो रहे, तब फिर मैंने किसानों को एकजुट किया और आंदोलन को गति दी. केंद्र सरकार किसानों की बात क्यों नहीं सुन रही, इस सवाल पर बेनीवाल ने कहा पहली बात तो किसानों को लेकर इन कानूनों की कोई जरूरत नहीं थी. मुझे तो लगता है अधिकारियों ने आनन-फानन में इस बिल को तैयार किया. अब ये इनके गले की हड्डी बन गया है. अब ये सोच रहे हैं बिल वापस लिया तो हमारी इज्जत खराब हो जाएगी.
सहयोगी दलों से नहीं पूछा
बेनीवाल ने एनडीए पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए ने अपने सहयोगी दलों से कोई राय नहीं ली. यही वजह है कि शिवसेना, अकाली दल से लेकर कई दल अलग हो गए हैं. यही अगर भाजपा के पास कम सीटें होती तो हमारी भी पूछ अलग ही होती. बेनीवाल ने कहा हमें भी लाइन में खड़े रहने की आदत नहीं है. हम जहां भी खड़े होते हैं, मुद्दों की पेरोकारी करते हैं.
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एनडीए से अलग होने का फैसला कितना मुश्किल रहा और कितना नुकसान होगा, इस पर बेनीवाल ने कहा कि भाजपा ने किसी भी सहयोगी दल से राय नहीं ली. जब ऑर्डिनेंस लेकर आए तब तो लोग घरों में दुबके हुए थे. जब भी संसद बुलाई जाती है तो एक दिन पहले एनडीए की मीटिंग रखी जाती रही है लेकिन जब कृषि बिलों को लाया जाना था, तब कोई बैठक नहीं रखी.
बैकफुट पर नहीं आई तो केंद्र को 2024 में गंवानी पड़ेगी सत्ता
बेनीवाल ने कहा कि जब आंदोलन शुरू करना था, तब खुद गृहमंत्री ने वापस लौटने के लिए कहा. तब हमने 6 दिन के लिए आंदोलन रोक दिया. इसके बाद फिर 26 दिसंबर को हमनें ऐलान कर दिया. आंदोलन तो हमें करना ही था, इसमें नफा-नुकसान कुछ भी हो. बेनीवाल ने कहा कि अगर किसानों के मुद्दे पर सरकार बैकफुट पर नहीं आती है तो 2024 में मोदी जी सत्ता में नहीं आ पाएंगे.
प्रदेश के सिंबल वाले नेताओं से नहीं मेरी बराबरी
भाजपा नेताओं द्वारा निशाना साधने को लेकर बेनीवाल ने कहा वो सभी तो कमल के चुनाव चिंह पर जीतने वाले नेता हैं, मेरी बराबरी नहीं कर सकते. मैं निर्दलीय जीतकर आया हूं. अपनी पार्टी के तीन विधायक जितवाए हैं. बयानबाजी करने वाले तो अपनी पार्टी के हिसाब से बोल रहे हैं. वो नेता नहीं हैं, भाजपा अगर आज टिकट काट दे तो किसी को पांच सौ वोट भी नहीं मिलेंगे. बेनीवाल ने कहा एनडीए के साथ मेरा सिर्फ कृषि कानूनों को लेकर झगड़ा है और किसी भी मुद्दे पर मैं एनडीए के खिलाफ नहीं हूं. किसानों का मुद्दा जब भी आएगा, हम आगे की पंक्ति में खड़े रहेंगे.
नए साल पर किसानों की जीत हो
सांसद बेनीवाल ने नए साल की शुभकामना देते हुए कहा कि साल 2021 शुभ हो, यही कामना है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि किसानों की जीत हो. किसानों की मांगों को सरकार स्वीकार करे और कृषि कानूनों को सस्पेंड कर स्वामीनाथन आयोग कि रिपोर्ट लागू करे. बेनीवाल ने कहा जब कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन समाप्त हो जाएगा. तब राजस्थान में किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी, संपूर्ण टोल माफी, बेरोजगारी भत्ता सहित कई मुद्दों पर हम आंदोलन करेंगे. बेनीवाल ने यह भी कहा कि बीजेपी सोच रही है कि सरकार के पांच साल पूरे होते ही 175 सीटों के साथ वह आ जाएगी, लेकिन बीजेपी नेताओं का दिमाग किसान ठीक कर देंगे.