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अलवर में सरकार के फैसले की उड़ रही धज्जियां, खुलेआम बिक रहा गुटखा

अलवर में राज्य सरकार की रोक के बाद भी खुलेआम गुटखा बिक रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार के सभी दावों की पोल खुल गई है. सरकार जिस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए खुद की पीठ थपथपा रही थी, उसी फैसले की अलवर में धज्जियां उड़ रही हैं.

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Published : Oct 16, 2019, 3:12 AM IST

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अलवर. राजस्थान के अलवर में 10 से अधिक गुटखे के ब्रांड बनते हैं तो वहीं कुछ ब्रांड ऐसे हैं जो पूरे देशभर में सप्लाई होते हैं. अलवर के लोग अन्य जगहों की तुलना में गुटखा भी ज्यादा खाते हैं. प्रतिदिन लाखों रुपए का गुटखा अलवर के लोग खा जाते हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार ने कुछ दिनों पहले अलवर सहित पूरे प्रदेश में गुटखे पर बैन लगाते हुए, मीठी सुपारी सहित कई तरह के खाद्य पदार्थों पर रोक लगाई थी.

अलवर में खुलेआम बिक रहा गुटखा

इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा था कि गुटखा पूरी तरीके से प्रदेश में बंद होगा. इतना ही नहीं इस को लागू कराने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुटखे पर बैन लगाते हुए इसको ऐतिहासिक कदम बताया और खुद की पीठ थपथपाई. लेकिन कुछ दिनों में इस ऐतिहासिक फैसले की पोल खोलती हुई नजर आ रही है.

उसके बाद से लगातार अलवर में खुलेआम गुटखा बिक रहा है तो वहीं इसी तरह के हालात अन्य जिलों के नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार की रोक का दुकानदार व्यापारी खुलेआम फायदा उठा रहे हैं तथा गुटखे की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है. 5 रुपए की चीज 7-8 रुपए में बिक रही है तो वहीं सभी फैक्ट्रियों में गुटखे बनाने का काम भी लगातार जारी है.

यह भी पढ़ें- अलवर: जिला कलेक्टर ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले को किया सम्मानित

लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और सरकार इस पर आंख बंद करके बैठी हुई है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने तो गुटखे को अपनी जांच में पास भी कर दिया है. उनकी मानें तो गुटखा पूरी तरीके से जांच में ठीक मिला है और सरकार के नियमों के हिसाब से अलवर में कोई गुटखा नहीं बिक रहा है. ऐसे में साफ है कि सरकार ने लोगों के साथ खिलवाड़ किया हैं.

पहले से लगी हुई थी रोक

कांग्रेस सरकार ने गुटखे पर नई रोक नहीं लगाई है. प्रदेशभर में गुटखे पर तो पहले से ही रोक लगी हुई थी. इसीलिए सुपारी और जर्दा अलग-अलग बाजार में बिकता है. जो लोग गुटखा खाते हैं. उनको सुपारी तथा जर्दा अलग-अलग लेना पड़ता है. उसके बाद मिलाकर वो खाते हैं. ऐसे में साफ है कि प्रदेश सरकार ने गुटखा बंद करने के नाम पर केवल दिखावा किया हैं.

अलवर. राजस्थान के अलवर में 10 से अधिक गुटखे के ब्रांड बनते हैं तो वहीं कुछ ब्रांड ऐसे हैं जो पूरे देशभर में सप्लाई होते हैं. अलवर के लोग अन्य जगहों की तुलना में गुटखा भी ज्यादा खाते हैं. प्रतिदिन लाखों रुपए का गुटखा अलवर के लोग खा जाते हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार ने कुछ दिनों पहले अलवर सहित पूरे प्रदेश में गुटखे पर बैन लगाते हुए, मीठी सुपारी सहित कई तरह के खाद्य पदार्थों पर रोक लगाई थी.

अलवर में खुलेआम बिक रहा गुटखा

इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा था कि गुटखा पूरी तरीके से प्रदेश में बंद होगा. इतना ही नहीं इस को लागू कराने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुटखे पर बैन लगाते हुए इसको ऐतिहासिक कदम बताया और खुद की पीठ थपथपाई. लेकिन कुछ दिनों में इस ऐतिहासिक फैसले की पोल खोलती हुई नजर आ रही है.

उसके बाद से लगातार अलवर में खुलेआम गुटखा बिक रहा है तो वहीं इसी तरह के हालात अन्य जिलों के नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार की रोक का दुकानदार व्यापारी खुलेआम फायदा उठा रहे हैं तथा गुटखे की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है. 5 रुपए की चीज 7-8 रुपए में बिक रही है तो वहीं सभी फैक्ट्रियों में गुटखे बनाने का काम भी लगातार जारी है.

यह भी पढ़ें- अलवर: जिला कलेक्टर ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले को किया सम्मानित

लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और सरकार इस पर आंख बंद करके बैठी हुई है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने तो गुटखे को अपनी जांच में पास भी कर दिया है. उनकी मानें तो गुटखा पूरी तरीके से जांच में ठीक मिला है और सरकार के नियमों के हिसाब से अलवर में कोई गुटखा नहीं बिक रहा है. ऐसे में साफ है कि सरकार ने लोगों के साथ खिलवाड़ किया हैं.

पहले से लगी हुई थी रोक

कांग्रेस सरकार ने गुटखे पर नई रोक नहीं लगाई है. प्रदेशभर में गुटखे पर तो पहले से ही रोक लगी हुई थी. इसीलिए सुपारी और जर्दा अलग-अलग बाजार में बिकता है. जो लोग गुटखा खाते हैं. उनको सुपारी तथा जर्दा अलग-अलग लेना पड़ता है. उसके बाद मिलाकर वो खाते हैं. ऐसे में साफ है कि प्रदेश सरकार ने गुटखा बंद करने के नाम पर केवल दिखावा किया हैं.

Intro:अलवर
गुटखे की राजधानी कहे जाने वाले अलवर में प्रदेश सरकार की रोक के बाद भी खुलेआम गुटखा बिक रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार के सभी दावों की पोल खुल गई है। सरकार जिस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए खुद की पीठ थपथपा रही थी। उस फैसले की अलवर में धज्जियां उड़ रही हैं।


Body:अलवर को गुटखे की राजधानी कहा जाता है। यहां 10 से अधिक गुटखे के ब्रांड बनते हैं। तो वहीं कुछ ब्रांड ऐसे हैं जो पूरे देश भर में सप्लाई होते हैं। अलवर के लोग अन्य जगहों की तुलना में गुटका भी ज्यादा खाते हैं। प्रतिदिन लाखों रुपए का गुटखा अलवर के लोग खा जाते हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने कुछ दिनों पहले अलवर सहित पूरे प्रदेश में गुटखे पर बैन लगाते हुए। मीठी सुपारी सहित कई तरह के खाद्य पदार्थों पर रोक लगाई थी। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा था कि गुटखा पूरी तरीके से प्रदेश में बंद होगा। इतना ही नहीं इस को लागू कराने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दे गुटखे पर बैन लगाते हुए इसको ऐतिहासिक कदम बताया वह खुद की पीठ थपथपाई। लेकिन कुछ दिनों में इस ऐतिहासिक फैसले की पोल खोलती हुई नजर आ रही है।


Conclusion:उसके बाद से लगातार अलवर में खुलेआम गुटखा बिक रहा है। तो वहीं इसी तरह के हालात अन्य जिलों के नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार की रोक का दुकानदार व्यापारी खुलेआम फायदा उठा रहे हैं व गुटखे की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है। 5 रुपए की चीज 7 व 8 रुपए में बिक रही है। तो वहीं सभी फैक्ट्रियों में गुटके बनाने का काम भी लगातार जारी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व सरकार इस पर आंख बंद करके बैठी हुई है। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने तो गुटखे को अपनी जांच में पास भी कर दिया है। उनकी माने तो गुटखा पूरी तरीके से जांच में ठीक मिला है व सरकार के नियमों के हिसाब से अलवर में कोई गुटका नहीं बिक रहा है। ऐसे में साफ है की सरकार ने लोगों के साथ खिलवाड़ किया है।


पहले से लगी हुई थी रोक
कांग्रेस सरकार ने गुटखे पर नई रोक नहीं लगाई है। प्रदेशभर में गुटखे पर तो पहले से ही रोक लगी हुई थी। इसीलिए सुपारी व जर्दा अलग-अलग बाजार में बिकता है। जो लोग गुटखा खाते हैं। उनको सुपारी व जर्दा अलग-अलग लेना पड़ता है। उसके बाद मिलाकर वो खाते हैं। ऐसे में साफ है कि प्रदेश सरकार ने गुटखा बंद करने के नाम पर केवल दिखावा किया है।
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