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Alwar Water Crisis: रिपोर्ट में खुलासा...अलवर में जितना पानी जमीन में रिचार्ज हो रहा है...उससे दोगुना है खपत

अलवर को हर साल गर्मी के मौसम में जल संकट का सामना (Ground water level Depleting in Alwar) करना पड़ता है. जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ़ इंडिया 2020 की रिपोर्ट के अनुसार जिले में जमीन में पानी रिचार्ज होने से दोगुना खर्च किया जा रहा है.

Alwar Water Crisis
अलवर में रिचार्ज के दोगुना खपत हो रहा भूजल
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Published : Jun 21, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Jun 22, 2022, 1:03 AM IST

अलवर. हर साल की तरह इस साल भी गर्मी के मौसम में जिले को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिले में हर साल (Alwar Water Crisis) जितना पानी जमीन में रिचार्ज हो रहा है, उससे दोगुना जमीन से निकाला जा रहा है. इसका खुलासा केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ़ इंडिया 2020 की रिपोर्ट में हुआ है.

हाल ही में जारी इस रिपोर्ट में सामने आया है कि अलवर जिले में प्रतिवर्ष 680.734 अरब लीटर पानी रिचार्ज होता है. वहीं उससे दोगुना 1294 अरब लीटर पानी जमीन से निकाला जाता है. इनमें सबसे ज्यादा 1116 अरब लीटर से अधिक पानी खेती के लिए निकाला जाता है. इसके बाद घरेलू कार्यों के लिए 127 अरब और उद्योगों के लिए 50 अरब लीटर पानी हर साल जमीन से निकाला जा रहा है. इस तरह कुल मिलाकर धरती से 1294 अरब लीटर पानी निकाला जा रहा है.

अलवर में रिचार्ज के दोगुना खपत हो रहा भूजल

सबसे ज्यादा पानी खपत कर रहा अलवर: जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अलवर जिले को भूजल एकत्रित करने के लिए प्रतिवर्ष करीब 618 अरब लीटर भूजल ही निकालना चाहिए. लेकिन हम दोगुना पानी जमीन से निकाल रहे हैं. प्रदेश के अन्य जिलों से तुलना की जाए तो प्रदेश में जयपुर के बाद अलवर में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है. केवल खेती के लिए निकाले जाने वाले पानी की बात करें तो अलवर जिले में प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी निकाल रहा है.

पढ़ें. Water Crisis in Marwar : 10 दिन संकट के...CM गहलोत के गृह जिले सहित पूरे मारवाड़ में जल संकट, तीन दिन में एक बार मिल रहा पानी

उद्योगों के लिए प्रदेश के 32 जिले मिलाकर एक साल में 45 अरब लीटर पानी निकालते हैं. वहीं अलवर जिले में उद्योगों में 50 अरब लीटर से ज्यादा पानी जमीन से निकाला जाता है. रिपोर्ट के अनुसार अलवर जिला भूजल का अति दोहन कर रहा है. सभी उपखण्ड क्षेत्रों में औसत क्षमता के 100 प्रतिशत से अधिक भूजल निकाला जा रहा है. लेकिन जिले में 7 हजार 201 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र ही भूजल रिचार्ज के लिए है.

बीते दशक की तुलना में सबसे कम बारिश: अलवर जिले में प्रतिवर्ष औसतन 680.734 अरब लीटर पानी रिचार्ज होता है. जिसमें मानसून के दौरान बारिश से 603 अरब लीटर, अन्य संसाधनों से 10 अरब लीटर पानी जमीन में रिचार्ज होता है. वहीं गैर मॉनसूनी दिनों में बारिश से 18.64 अरब पानी और अन्य संसाधनों से 48.15 अरब लीटर भूजल एकत्रित होता है. अलवर जिले में बीते एक दशक की तुलना में वर्ष 2020-21 में 23.1 फीसदी कम बारिश हुई है.

पढ़ें.Water Crisis in Rajasthan: ज्यादातर बांधों का गला लगा सूखने, मानसून को लेकर बढ़ा इंतजार

प्रदेश के सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा कमी अलवर जिले में ही आई है. अलवर में वर्ष 2011 से 2020 तक औसतन 551.37 मिमी बरसात हुई है. वहीं 2020-21 में 509.47 मिमी बारिश हुई थी. अलवर के अलावा भरतपुर, करौली, बीकानेर और गंगानगर में भी बीते दशक की तुलना में वर्ष 2020-21 में सबसे कम बारिश हुई है. प्रतिवर्ष 3 मीटर भूजलस्तर (Ground water level Depleting in Alwar) कम हो रहा है. अलवर जिले में ये आंकड़े कुल 45 हाइड्रोग्राफ स्टेशन से लिए गए हैं.

अलवर. हर साल की तरह इस साल भी गर्मी के मौसम में जिले को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिले में हर साल (Alwar Water Crisis) जितना पानी जमीन में रिचार्ज हो रहा है, उससे दोगुना जमीन से निकाला जा रहा है. इसका खुलासा केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ़ इंडिया 2020 की रिपोर्ट में हुआ है.

हाल ही में जारी इस रिपोर्ट में सामने आया है कि अलवर जिले में प्रतिवर्ष 680.734 अरब लीटर पानी रिचार्ज होता है. वहीं उससे दोगुना 1294 अरब लीटर पानी जमीन से निकाला जाता है. इनमें सबसे ज्यादा 1116 अरब लीटर से अधिक पानी खेती के लिए निकाला जाता है. इसके बाद घरेलू कार्यों के लिए 127 अरब और उद्योगों के लिए 50 अरब लीटर पानी हर साल जमीन से निकाला जा रहा है. इस तरह कुल मिलाकर धरती से 1294 अरब लीटर पानी निकाला जा रहा है.

अलवर में रिचार्ज के दोगुना खपत हो रहा भूजल

सबसे ज्यादा पानी खपत कर रहा अलवर: जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अलवर जिले को भूजल एकत्रित करने के लिए प्रतिवर्ष करीब 618 अरब लीटर भूजल ही निकालना चाहिए. लेकिन हम दोगुना पानी जमीन से निकाल रहे हैं. प्रदेश के अन्य जिलों से तुलना की जाए तो प्रदेश में जयपुर के बाद अलवर में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है. केवल खेती के लिए निकाले जाने वाले पानी की बात करें तो अलवर जिले में प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी निकाल रहा है.

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उद्योगों के लिए प्रदेश के 32 जिले मिलाकर एक साल में 45 अरब लीटर पानी निकालते हैं. वहीं अलवर जिले में उद्योगों में 50 अरब लीटर से ज्यादा पानी जमीन से निकाला जाता है. रिपोर्ट के अनुसार अलवर जिला भूजल का अति दोहन कर रहा है. सभी उपखण्ड क्षेत्रों में औसत क्षमता के 100 प्रतिशत से अधिक भूजल निकाला जा रहा है. लेकिन जिले में 7 हजार 201 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र ही भूजल रिचार्ज के लिए है.

बीते दशक की तुलना में सबसे कम बारिश: अलवर जिले में प्रतिवर्ष औसतन 680.734 अरब लीटर पानी रिचार्ज होता है. जिसमें मानसून के दौरान बारिश से 603 अरब लीटर, अन्य संसाधनों से 10 अरब लीटर पानी जमीन में रिचार्ज होता है. वहीं गैर मॉनसूनी दिनों में बारिश से 18.64 अरब पानी और अन्य संसाधनों से 48.15 अरब लीटर भूजल एकत्रित होता है. अलवर जिले में बीते एक दशक की तुलना में वर्ष 2020-21 में 23.1 फीसदी कम बारिश हुई है.

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प्रदेश के सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा कमी अलवर जिले में ही आई है. अलवर में वर्ष 2011 से 2020 तक औसतन 551.37 मिमी बरसात हुई है. वहीं 2020-21 में 509.47 मिमी बारिश हुई थी. अलवर के अलावा भरतपुर, करौली, बीकानेर और गंगानगर में भी बीते दशक की तुलना में वर्ष 2020-21 में सबसे कम बारिश हुई है. प्रतिवर्ष 3 मीटर भूजलस्तर (Ground water level Depleting in Alwar) कम हो रहा है. अलवर जिले में ये आंकड़े कुल 45 हाइड्रोग्राफ स्टेशन से लिए गए हैं.

Last Updated : Jun 22, 2022, 1:03 AM IST
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