अलवर.जेल की काल कोठरी की सजा का नाम सुनते ही जहां लोग कांपने लगते हैं.वहीं जिले के केंद्रीय कारागार में इसका रूप बदल रहा है.काल कोठरी में कैदी किताबें पढ़ रहे हैं व समय गुजारने के लिए खुद को शिक्षित बना रहे हैं. तो वहीं टीवी देख कर, चेस खेल कर, लूडो, कैरम बोर्ड खेल कर भी मनोरंजन कर रहे हैं. अलवर केंद्रीय कारागार की कोठियां अब कैदियों के लिए भविष्य बनाने का काम कर रही हैं.
अलवर केंद्रीय कारागार के आंकड़ों पर नजर डालें तो, अब तक 230 बंदी विभिन्न कोर्स की पढ़ाई कर चुके हैं. जून 2018 में हुई परीक्षा में एमए समाजशास्त्र में एक बंदी ने परीक्षा दी थी, वो पास हो गया.इसी तरह से बीए प्रथम वर्ष में 39 बंदी परीक्षा में बैठे इसमें से 7 उत्तीर्ण हुए.
पीजीसीसीएल कोर्स में एक बंदे ने परीक्षा दी और वो पास हो गया. इस तरह से सीएनसीसी, सीएचआर, सीडीएम कोर्स में 17, 12 व चार बंधुओं ने परीक्षा दी. इसमें सभी पास हो गए। सीडीएस परीक्षा में 7 परीक्षार्थी बैठे। इसमें से पांच उत्तीर्ण हुए, तो बी बीपीपी परीक्षा में 28 परीक्षार्थी बैठे व इसमें से 16 उत्तीर्ण हुए.
इसी तरह से दिसंबर 2018 में हुई परीक्षा में अंग्रेजी विषय से एमए में 1 परीक्षार्थी बैठे, एमए इतिहास में एक, बीए प्रथम वर्ष में 35, बीए प्रथम वर्ष बैक पेपर में 23, यूपीपी परीक्षा में 26, बीपीपी बैक पेपर में 15 और सीडीएम आपदा प्रबंधन प्रमाण पत्र कोर्स में 8 परीक्षार्थी बैठे.
जून 2019 में होने वाली परीक्षाओं में पीजीडीटी अनुवाद में स्नाकोत्तर डिप्लोमा में 1 परीक्षार्थी, पीजीसीसीएल साइबर कानून में स्नाकोत्तर प्रमाण पत्र में 1 परीक्षार्थी, बीए प्रथम वर्ष 9 व बीए प्रथम वर्ष पेपर में 36 बंदी परीक्षार्थी बैठेंगे.
जेल प्रशासन की तरफ से बंदियों को हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसलिए ज्यादा से ज्यादा बंदी परीक्षा में बैठ रहे हैं. तो वहीं पढ़ाई में मन लगा रहे हैं. लगातार परीक्षा में बैठने वाले बंदियों की संख्याओं में भी बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में इस नई व्यवस्था ने अलवर जेल को अन्य केंद्रीय कारागार से अलग कर दिया है व बंदियों को नया जीवन मिल रहा है.