भरतपुर : जिले के विजयपुरा गांव के प्रगतिशील किसान तेजवीर सिंह ने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक और वैज्ञानिक खेती की ओर कदम बढ़ाया है. इस बार उन्होंने 20 बीघा खेत में तरबूज की बुवाई की है. तेजवीर को इस फसल से करीब 12 लाख रुपए के मुनाफे की उम्मीद है. उनकी यह पहल न केवल उनके लिए लाभदायक साबित हुई है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रही है.
तीन महीने में तैयार होगी फसल : किसान तेजवीर सिंह ने बताया कि तरबूज की बुवाई का सही समय नवंबर से दिसंबर के बीच होता है. उन्होंने इस अवधि में मल्चिंग और लो टनल तकनीक का उपयोग करके बुवाई की. इन आधुनिक तकनीकों से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि फसल की उत्पादकता भी बढ़ती है. उन्होंने बताया कि फरवरी-मार्च तक फसल तैयार होने की संभावना है, जिसके बाद इसे भरतपुर और दिल्ली की मंडियों में बेचा जाएगा.
इसे भी पढ़ें- MBA कर चुकी पूर्वा जिंदल ने छोड़ा कपड़े का बिजनेस, अब जैविक खेती से कमा रही हैं लाखों
लागत और मुनाफा : तेजवीर ने बातया कि 20 बीघा खेत में तरबूज की खेती पर उन्होंने करीब 8 लाख रुपए खर्च किए हैं, जिसमें बीज, खाद, सिंचाई और अन्य तकनीकी खर्च शामिल हैं. उन्होंने बताया कि प्रति बीघा 60 हजार रुपए का लाभ मिलने की संभावना है, जिससे कुल 12 लाख रुपए का मुनाफा होगा. यह परंपरागत खेती की तुलना में कई गुना अधिक है.
तरबूज बना सहारा : तेजवीर ने पहले 10 बीघा में रेड लेडी पपीता की खेती की थी, जो लाभदायक साबित हो रही थी, लेकिन इस साल अधिक बारिश और बाढ़ के कारण उनकी पपीता की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई, जिससे उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा. इसके बाद उन्होंने मुनाफे की उम्मीद में तरबूज की खेती का क्षेत्र बढ़ाकर 20 बीघा कर दिया.
प्रगतिशील खेती का संदेश : तेजवीर पिछले चार वर्षों से तरबूज की खेती कर रहे हैं और हर बार उन्हें अच्छा मुनाफा भी हुआ है. उनका मानना है कि वैज्ञानिक और प्रगतिशील तकनीक अपनाकर किसान अपनी आय तीन से चार गुना तक बढ़ा सकते हैं. मल्चिंग और लो टनल जैसी तकनीकों से लागत नियंत्रित होती है और उत्पादकता में वृद्धि होती है. तेजवीर सिंह ने साबित किया है कि आधुनिक खेती से आर्थिक समृद्धि पाई जा सकती है.