अलवर. जिले में 11 साल से मिनी सचिवालय के निर्माण का काम चल रहा है. जिला प्रशासन ने बिना तैयारी के मिनी सचिवालय में तहसील और सब रजिस्ट्रार कार्यालय को शिफ्ट कर दिया है. सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बिजली कनेक्शन तक नहीं है. ऐसे में कर्मचारियों को घर से लैपटॉप, कंप्यूटर और इनके चलाने के लिए इनवर्टर घर से लाना पड़ता है.
अलवर तहसील कार्यालय का काम सालों से चल रहा है. इस भवन का निर्माण कई बार अटका. पहले यह भवन सात मंजिला बनना था लेकिन बजट की कमी के चलते इसे पांच मंजिला बनाने का निर्णय लिया गया. गहलोत सरकार में शुरू हुए भवन का कार्य वसुंधरा सरकार के दौरान ठप रहा. फिर से गहलोत सरकार के आने पर मिनी सचिवालय का काम शुरू हुआ. आनन-फानन में जिला प्रशासन ने राजीनितिक दबाव में इस भवन में तहसील और सब रजिस्ट्रार कार्यालय को शिफ्ट कर दिया लेकिन यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.
खुले आसमान के नीचे काम करने को मजबूर
डेढ़ सौ से ज्यादा लोग खुले आसमान के नीचे काम करने को मजबूर हैं. बैठने की व्यवस्था सही नहीं है, जिससे काम करवाने आने वाले लोग आकर काम करवा सके. बिजली का कनेक्शन नहीं मिलने से कामकाज प्रभावित हो रहा है. तहसील कार्यालय को मिले सिंगल फेज कनेक्शन से सब रजिस्ट्रार कार्यालय को बिजली सप्लाई दी जा रही है.
बिजली कनेक्शन नहीं, घर से लाते हैं इंवर्टर
इसके अलावा यहां सब रजिस्टार प्रथम व द्वितीय कार्यालय के साथ कुछ दिन पहले शिफ्ट हुआ था. उस समय डीड राइटर्स स्टॉप वंडर, नोटरी, नक्शा बनाने वालों ने अपने सिस्टम को मिनी सचिवालय में शिफ्ट कर लिया. सब रजिस्ट्रार कार्यालयों को जगह कम पड़ गई और ऐसे में पूरा रिकॉर्ड भी व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पाया. यहां आने पर सब रजिस्ट्रार कार्यालय के लिए बिजली कनेक्शन भी नहीं मिला. इन व्यवस्थाओं के चलते कई दिनों तक लोग परेशान रहे रजिस्ट्री का कामकाज बंद रहा. बिजली कनेक्शन के सारे दांवपेच कमजोर पड़ गए.
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बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये मल्टी स्टोरी भवन है. इसलिए मिनी सचिवालय में 33 केवी का सब स्टेशन बनाया जाएगा. उसके बाद कनेक्शन जारी होंगे. साथ ही ऐसी स्थिति में डीड राइटर घर से रोजाना इनवर्टर लाकर लैपटॉप पर रजिस्ट्री एग्रीमेंट लिस्ट लिखने आदि का काम करते हैं. इन्वेंटर रिचार्ज करने के लिए रोजाना घर ले जाना पड़ता है. इसके अलावा नोटरी स्टांप विक्रेता सहित डेढ़ सौ से ज्यादा लोग अस्थाई तौर पर खुले आसमान के नीचे काम कर रहे हैं.
दिन भर सड़कों की धूल से परेशान
मिनी सचिवालय में सड़क का काम भी पूरा नहीं हुआ है. ग्रेवल सड़क होने के कारण दिनभर धूल उड़ती है. ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. बारिश व तूफान के दौरान सभी को मुख्य भवन के अंदर शरण लेनी पड़ती है. इस दौरान दस्तावेज खराब हो जाते हैं. सरकारी स्तर पर इनके बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में यह लोग खुद अपने स्तर पर एक प्लेटफार्म व शेड तैयार करवा रहे हैं. 10 दिन में यह बनकर तैयार होगा. इसके लिए सभी ने मिलकर करीब 10 लाख रुपए इकट्ठा किए हैं.
कर्मचारियों का आरोप- प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किए
यहां काम करने वाले लोगों का आरोप है कि इस सरकार ने प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. राजनीतिक दबाव के चलते तहसील परिसर को मिनी सचिवालय भवन में शिफ्ट कर दिया गया. अभी मिनी सचिवालय भवन का काम भी पूरा नहीं हुआ है. दिन भर भवन में बंधी हुई वलियों पर बंदर झूलते हैं. ऐसे में किसी भी समय कोई हादसा हो सकता है.
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वहीं सभी लोगों को अपने स्तर पर व्यवस्था करनी पड़ती है. यहां काम करने वाले लोग प्रतिदिन गाड़ी में रख कर सामान साथ लाते हैं व साथ लेकर जाते हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि कम से कम मूलभूत सुविधा बैठने की जगह, पानी और बिजली की व्यवस्था की जाए.
बातचीत में सभी ने कहा कि सरकारी अधिकारियों से इस संबंद में कई बार शिकायत की गई लेकिन हर बार मामले को टाल दिया जाता है. ऐसे में कामकाज भी खासा प्रभावित हो रहा है. क्योंकि अभी तक रिकॉर्ड शिफ्ट होने का काम नहीं हुआ है. दूरदराज से आने वाले लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.