अलवर. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे आम लोगों के लिए शुरू हो चुका है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि एक्सप्रेस वे पर अब चार्जिंग की परेशानी नहीं होगी. अलवर क्षेत्र में निजी कंपनी की ओर से इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए एक चार्जिंग स्टेशन लगाया गया है. इसके साथ ही एनएचएआई की तरफ से भी एक्सप्रेस वे पर चार्जिंग पॉइंट तैयार किए जा रहे हैं.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 फरवरी को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया. दिल्ली से दौसा तक पहले फेज को आम लोगों के लिए शुरू कर दिया गया है. एक्सप्रेस वे पर सफर के दौरान इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को चार्जिंग में परेशानी नहीं हो, इसलिए अलवर क्षेत्र में एक चार्जिंग स्टेशन खुल चुका है. बीते दिनों सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया था कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर 670 जगहों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन तैयार किए जा रहे हैं.
मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए निश्चित दूरी पर चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था की गई है, ताकि इलेक्ट्रिक व्हीकल से लंबी यात्रा बिना परेशानी के पूरा किया जा सके. एक्सप्रेस वे पर लोगों को चार्जिंग स्टेशन, चार्जिंग पॉइंट्स, खराब ईवी गाड़ियों को बैकअप देने की सुविधा, इलेक्ट्रिक, पूरे हाईवे पर इंटरनेट जैसी तमाम सुविधाएं मिलेंगी. साथ ही लोगों को प्रदूषण से भी आजादी मिलेगी.
नितिन गडकरी ने बीते दिनों कहा कि देशभर में तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है. देशभर में 20.8 लाख इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्टर्ड हैं. 2021 की तुलना में 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्टर्ड हैं, इनमें 300 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. 2030 तक इनकी संख्या बढ़कर 2 करोड़ तक पहुंच जाएगी. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 4.5 लाख दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहन हैं. आने वाले समय में इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी होगी. इससे 10 लाख रोजगार भी पैदा होंगे.
उन्होंने बताया कि अभी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री 7.8 लाख करोड़ रुपये की है. इस इंडस्ट्री ने 4 करोड़ रोजगार दिए हैं. भारत सरकार और राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा जीएसटी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से ही मिलता है. इस 7.8 लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री को पांच साल में 15 लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री बनाया जा रहा है. भारत सरकार 10 और 15 साल पुराने 10 लाख वाहन को स्क्रैप कर रही है.
अगर भारत सरकार और राज्य सरकारों के 45 लाख वाहन स्क्रैप होंगे, तो ऑटो कंपोनेंट्स 30 फीसदी सस्ते हो जाएंगे. अभी एल्यूमीनियम इंपोर्ट करते हैं, कॉपर इंपोर्ट करते हैं. दुबई, ऑस्ट्रेलिया, यूएस जैसे देशों से एल्यूमीनियम आता है, जिसकी कीमत 145 रुपये किलो है. अगर स्क्रैप से इसकी पूर्ति होगी तो इसकी कॉस्ट 80 रुपये किलो होगी. दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर इलेक्ट्रिक व्हीकल के चलने से प्रदूषण में कमी आएगी. साथ ही पेट्रोल और डीजल की भी बचत होगी.