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अलवर में दस्तावेजों के अभाव में स्कूल की दहलीज से दूर बच्चे, श्रम मंत्री बोले- शिक्षा से जोड़ेंगे - अलवर स्कूल

एक तरफ प्रदेश में सरकार व सरकारी विभाग सभी बच्चों को स्कूल से जोड़ने के प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी ओर अलवर में रेलवे स्टेशन के पास झुग्गी में रहने वाले 70 से 80 बच्चे स्कूल में प्रवेश के लिए 2 साल से चक्कर लगा रहे हैं. इसके बावजूद सरकारी स्कूल में बिना दस्तावेज के उनको प्रवेश नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में ये बच्चे चाह कर भी स्कूल में अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

दस्तावेजों के अभाव में स्कूल से दूर है कई बच्चे
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Published : Jul 2, 2019, 8:41 PM IST

अलवर. स्कूलों से दूर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है. इसके लिए सर्वे सहित कई कार्ययोजना भी तैयार की गई, लेकिन अलवर में एक अलग तरह का मामला सामने आया है. दरअसल, यहां अलवर के रेलवे स्टेशन के पास कच्ची झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले करीब 70 से 80 बच्चे स्कूल में प्रवेश के लिए भटक रहे हैं.

दस्तावेजों के अभाव में स्कूल से दूर है कई बच्चे

बचपन बचाओ, आप साथ दो अभियान के तहत समिति के युवाओं ने पहल करते हुए बीते साल झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था. करीब एक साल तक झुग्गी झोपड़ियों में शिविर लगाकर युवाओं ने बच्चों को निशुल्क पढ़ाई की. लेकिन बच्चों को आगे की शिक्षा के लिए बीते साल युवाओं ने उनको सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलवाने का प्रयास किया, लेकिन बच्चों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण उनका स्कूल में प्रवेश नहीं हो सका है.

इस साल भी स्कूल में प्रवेश के लिए झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 70 से 80 बच्चे स्कूलों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनको स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पाया है. स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चों के डॉक्यूमेंट जमा कराने के बाद उनको प्रवेश दे दिया जाएगा.

वहीं अभियान संस्था के युवाओं का कहना है कि सरकारी स्कूल में प्रवेश के लिए कोई दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन उसके बाद भी स्कूल प्रशासन बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहा है. वहीं इस संबंध में श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.

उनका कहना रहा कि अगर किसी बच्चे के पास कोई दस्तावेज नहीं है तो उसकी भी दस्तावेजों के अभाव में प्रवेश प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए. पढ़ाई करने का अधिकार सभी का है. उन्हें पढ़ाने की व्यवस्था कराई जाएगी.

अलवर. स्कूलों से दूर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है. इसके लिए सर्वे सहित कई कार्ययोजना भी तैयार की गई, लेकिन अलवर में एक अलग तरह का मामला सामने आया है. दरअसल, यहां अलवर के रेलवे स्टेशन के पास कच्ची झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले करीब 70 से 80 बच्चे स्कूल में प्रवेश के लिए भटक रहे हैं.

दस्तावेजों के अभाव में स्कूल से दूर है कई बच्चे

बचपन बचाओ, आप साथ दो अभियान के तहत समिति के युवाओं ने पहल करते हुए बीते साल झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था. करीब एक साल तक झुग्गी झोपड़ियों में शिविर लगाकर युवाओं ने बच्चों को निशुल्क पढ़ाई की. लेकिन बच्चों को आगे की शिक्षा के लिए बीते साल युवाओं ने उनको सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलवाने का प्रयास किया, लेकिन बच्चों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण उनका स्कूल में प्रवेश नहीं हो सका है.

इस साल भी स्कूल में प्रवेश के लिए झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 70 से 80 बच्चे स्कूलों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनको स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पाया है. स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चों के डॉक्यूमेंट जमा कराने के बाद उनको प्रवेश दे दिया जाएगा.

वहीं अभियान संस्था के युवाओं का कहना है कि सरकारी स्कूल में प्रवेश के लिए कोई दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन उसके बाद भी स्कूल प्रशासन बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहा है. वहीं इस संबंध में श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.

उनका कहना रहा कि अगर किसी बच्चे के पास कोई दस्तावेज नहीं है तो उसकी भी दस्तावेजों के अभाव में प्रवेश प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए. पढ़ाई करने का अधिकार सभी का है. उन्हें पढ़ाने की व्यवस्था कराई जाएगी.

Intro: अलवर। एक तरफ प्रदेश में सरकार व सरकारी विभाग सभी बच्चों को स्कूल से जोड़ने व सभी को साक्षर बनाने के प्रयास कर रही है। तो दूसरी तरफ अलवर में रेलवे स्टेशन के पास झुग्गी में रहने वाले 70 से 80 बच्चे स्कूल में प्रवेश के लिए 2 साल से चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन सरकारी स्कूल में बिना दस्तावेज के उनको प्रवेश नहीं मिल रहा। ऐसे में इन बच्चों का भविष्य अंधकार में लटका हुआ है।


Body:बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए कई सरकारी कार्यक्रम चल रहे हैं। तो वही सरकार व सरकारी विभागों के अधिकारी शत-प्रतिशत साक्षर के लिए लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं। लेकिन अलवर में एक अलग तरह का मामला सामने आया है। अलवर के रेलवे स्टेशन के पास कच्ची झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले करीब 70 से 80 बच्चे शिक्षा के लिए भटक रहे हैं। बचपन बचाओ अभियान के तहत आप साथ दो समिति के युवाओं ने पहल करते हुए बीते साल झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया। 1 साल तक झुग्गी झोपड़ियों में शिविर लगाकर युवाओं ने बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी। लेकिन बच्चों को आगे की शिक्षा के लिए बीते साल युवाओं ने उनको सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलवाने का प्रयास किया। लेकिन बच्चों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण उनका स्कूल में प्रवेश नहीं हो सका।


Conclusion:इस साल भी स्कूल में प्रवेश के लिए झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 70 से 80 बच्चे धक्के खा रहे हैं। लेकिन उनको स्कूल में प्रवेश नहीं मिल रहा। स्कूल प्राचार्य व प्रबंधन का कहना है कि दस्तावेजों के अभाव में उनको प्रवेश नहीं दिया गया। तो वही बच्चों को पढ़ाने वाले व उनका प्रवेश कराने वाले समिति के युवाओं का कहना है कि सरकार एक तरफ बड़े-बड़े दावे करती है। तो वहीं दूसरी तरफ बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं मिल रहा। सरकारी स्कूल में प्रवेश के लिए कोई दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन उसके बाद भी स्कूल प्रशासन बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहा है। तो वही इस पर अलवर के श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा की इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। व अगर किसी के बच्चे के पास कोई दस्तावेज नहीं है। तो उसको दस्तावेजों के अभाव में प्रवेश प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए। पढ़ाई करने का अधिकार सभी का है स्कूल में प्रवेश के लिए दस्तावेज जरूरी नहीं है। बाईट1- दिनेश संस्था का अध्यापक बाईट2- तुलाराम गुप्ता सरकारी स्कूल प्रिंसिपल बाईट3- टीकाराम जूली मंत्री राजस्थान सरकार
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