अलवर. दिवाली की रात अलवर शहर में व्यापारियों के लिए काली रात साबित हुई. शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले बाजार चूड़ी मार्केट में दिवाली की शाम लगभग 7 बजे अचानक आग लग गई. देखते ही देखते आग आसपास की 25 से अधिक दुकानों में फैल गई. दमकल और पुलिस अधिकारियों को आग पर काबू पाने में 12 घंटे से अधिक का समय लग गया. इस घटना में करोड़ों रुपए का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.
25 दुकान और एक कॉम्पलेक्स को नुकसान
दिवाली का त्योहार खुशियों और रोशनी का त्योहार है. अलवर में खुशी का यह पर्व कुछ व्यापारियों के लिए दुख की वजह बन गया. अलवर के व्यस्त इलाके चूड़ी मार्केट में रविवार की शाम अचानक आग की लपटें उठने लगी. देखते ही देखते ही बाजार की 25 से अधिक दुकानें आग की चपेट में आ गई. जो व्यापारी आसपास रहने वाले थे वे जल्दबाजी में दुकानों से अपना सामान निकालने में जुट गए. प्रशासन और पुलिस की तरफ से आग पर काबू पाने की मशक्कत की गई. करीब 12 घंटे की कोशिशों के बाद आग पर काबू पाया जा सका. आग इतनी भीषण थी कि बाजार का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया.
सुबह तक उठती रही लपटें और धुआं
चूड़ी मार्केट से सुबह 8 बजे तक आग की लपटें और धुआं उठता दिखाई दिया. वहां मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि दिवाली के पूजन के बाद एक दुकान में दीपक जल रहा था. इस दौरान दीपक से कपड़े ने आग पकड़ ली और आग फैलती चली गई. हालांकि कुछ लोग शार्ट सर्किट होने की बात भी कह रहे हैं. फिलहाल पुलिस आग लगने की असल वजहों की पड़ताल कर रही है.
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि घटना दुखद है. आग से सबसे ज्यादा प्रभावित एक कॉम्प्लेक्स हुआ है. कॉम्प्लेक्स संचालक सुभाष अग्रवाल कोरोना पॉजिटिव हैं जिनका इलाज जयपुर में चल रहा है. कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते आग फैली. उनका कहना है कि आग लगते ही प्रशासन को इसकी सूचना दे दी गई थी. लेकिन प्रशासन की लेटलतीफी और लापरवाही के कारण आग भीषण रूप से भड़क गई. आग बुझाने के दौरान बार-बार फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का पानी भी खत्म हो गया जिसके वजह से आग बुझाने का काम कई बार रुका.
पढ़ें - देश में रही दीपावली की धूम, लोगों ने सैनिकों के सम्मान में जलाए दीये
कोरोना के कारण अलवर के मंदिर अन्नकूट पर सूने
अलवर में कोरोना महामारी का असर त्योहार पर भी नजर आया. यहां दिवाली के बाद मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. जिसमें मंदिर में प्रसाद के लिए भीड़ नजर आती है, लेकिन इस बार मंदिर सूने दिखाई दिए. मंदिर समिति और मंदिर प्रबंधन द्वारा केवल भगवान के भोग के लिए प्रसाद बनाया गया. ऐसे में लोग भी प्रसाद के लिए एक से दूसरे मंदिर चक्कर लगाते हुए दिखाई दिए.
अन्नकूट पर मंदिरों में बाजरा मूंग चावल कढ़ी खीर का प्रसाद बनता है. भगवान को भोग लगाने के बाद लोगों को यह प्रसाद वितरित किया जाता है. इसके लिए मंदिरों में दिवाली की रात से ही तैयारी शुरू हो जाती है. लोग मिलकर प्रसाद तैयार करते हैं और अगले दिन उसका वितरण करते हैं. दिवाली के अगले दिन मंदिरों में खासी चहल-पहल रहती है. अन्नकूट महोत्सव का खास महत्व है. लोग एक दूसरे से मिलते हैं, लेकिन इस बार अन्नकूट महोत्सव फीका नजर आया.
कुछ लोगों ने घरों में रहकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से त्यौहार मनाया. कोरोना के चलते इस बार एक दूसरे के घरों में जाकर बधाई देने का सिलसिला भी नहीं रहा. प्रशासन में पुलिस की तरफ से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. तो वहीं सावधानी बरतने के लिए भी कहा जा रहा है.