अलवर. दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण (Delhi Pollution Effect in Alwar) अलवर में करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. इससे सरकार को मिलने वाले करोड़ों रुपये के टैक्स में भी कमी आएगी. साथ ही लोग बेरोजगार हो रहे हैं. व्यापारी, कारोबारी व आम लोग अलवर को एनसीआर से बाहर निकालने की मांग करने लगे हैं.
एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर की पाबंदियां दिल्ली में होने वाले प्रदूषण पर निर्भर रहती हैं. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक से भी ज्यादा खराब स्थिति में पहुंच गया है. ऐसे में चौथे चरण की गाइडलाइन लागू कर दी गई हैं. अलवर जिले की औद्योगिक इकाइयां 5 दिन संचालित हो रही हैं. ईटं-भट्टों को बंद करा दिया गया है. बड़े निर्माण कार्य रोक दिए गए हैं. खान क्रेशर पर रोक लगा दी गई हैं. सरकारी व अन्य विकास कार्य भी रुक चुके हैं.
इसके अलावा सड़कों की सफाई सहित रेस्टोरेंट होटल जरनेटर सहित अन्य चीजें भी प्रभावित हुई हैं. हजारों लोग परेशान हो रहे हैं. अलवर जिले से छोटे बड़े 10 औद्योगिक क्षेत्रों में 20 हजार से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें करीब 5 लाख श्रमिक काम करते हैं. औद्योगिक इकाइयों में 5 दिन काम हो रहा है. 2 दिन औद्योगिक इकाई बंद हैं. ऐसे में श्रमिकों में कटौती की गई है.
इसके अलावा पूरे जिले में छोटे बड़े 5000 से ज्यादा निर्माण कार्य चल रही हैं. इसमें सरकारी व निजी पड़ेगा निर्माण कार्य शामिल हैं. सभी जगह पर 50 हजार से ज्यादा लेबर काम कर रहे हैं, जो अब बेरोजगार हो चुके हैं. साथ ही ईंट-भट्टों पर काम करने वाले 10 हजार श्रमिक भी बेरोजगार हैं. साथ ही खान क्रेशर पर काम करने वाले चालक ऑपरेटर, श्रमिक, मैकेनिक सहित 22 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं. अलवर जिले में 400 के करीब खानें हैं. इसके अलावा करीब 50 से ज्यादा क्रेशर हैं. प्रत्येक खान में 15 से 20 श्रमिक काम करते हैं. इसके अलावा डंपर, ट्रेलर, बड़े ट्रकों पर बड़ी संख्या में श्रमिक काम करते हैं. इसके अलावा भी कई अन्य गतिविधियां हैं, जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रही हैं. सभी लोगों से अलवर की अर्थव्यवस्था चलती है. कामकाज बंद होने के कारण अलवर जिले की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ेगा.
इसके अलावा खान विभाग से राज्य सरकार को हर माह 300 करोड़ का राजस्व मिलता है. वाणिज्य कर विभाग से, 100 करोड़ रुपये आबकारी विभाग से और 100 करोड़ रुपये परिवहन विभाग से राजस्व मिलता है. इसके अलावा रजिस्ट्री, यूआईटी, नगर परिषद सहित अन्य विभागों से भी करोड़ों रुपये का राजस्व प्रदेश सरकार को मिलता है. कामकाज बंद होने के कारण लोग परेशान हो रहे हैं व सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी कमी आएगी.
3 से 4 महीने रहते हैं इसी तरह के हालात : अलवर सहित पूरे एनसीआर में 3 से 4 महीने तक इसी तरह के हालात रहते हैं. इस दौरान लोग परेशान होते हैं तो वहीं बेरोजगारी के चलते लोगों को जीवन-यापन करने में भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इससे सभी वर्ग प्रभावित है. लोगों के पास पैसा नहीं आने के कारण बाजार भी मंदा रहता है. लोग खरीदारी करने के लिए बाजार में नहीं पहुंचते. ऐसे में व्यापारियों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है.
एनसीआर से बाहर करने की उठाई मांग : अलवर में व्यापारी, कारोबारी अलवर जिले को एनसीआर से बाहर करने की मांग करने लगे हैं. व्यापारियों ने कहा कि अलवर में प्रदूषण का स्तर कम रहता है, लेकिन उसके बाद भी अलवर एनसीआर में आता है. इसलिए दिल्ली की गाइडलाइन NCR Facility in Alwar) अलवर पर लागू की जाती है. अलवर दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर है. ऐसे में सरकार को अलवर को एशिया से बाहर कर देना चाहिए.