अलवर. नगर परिषद में सभापति और उप सभापति के खिलाफ कांग्रेस की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को खारिज हो गया. जिला कलेक्टर के निर्देश पर शुक्रवार को बोर्ड की बैठक हुई. जिसमें केवल पांच पार्षद सदन में पहुंचे. वहीं,12 बजे तक अन्य पार्षदों के नहीं आने पर एडीएम ओपी जैन ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया.
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस ने अलवर नगर परिषद सभापति और उपसभापति के लिए अविश्वास प्रस्ताव जिला कलेक्टर को दिया था. उसमें 40 पार्षदों के नाम शामिल थे. जिला कलेक्टर ने 22 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव लाने की तारीख तय की थी. जिसमें शुक्रवार को सभी 40 पार्षदों को मौजूद होकर अविश्वास प्रस्ताव के लिए सहमति देनी थी, लेकिन तय समय के हिसाब से नगर परिषद के सभागार में एडीएम प्रथम ओपी जैन जिला प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू की गई. ऐसे में सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह थी कि पूरी प्रक्रिया के दौरान केवल पांच पार्षद मौजूद रहे.
अलवर नगर परिषद में 11 कांग्रेस, 23 भाजपा और 16 निर्दलीय पार्षद हैं. अविश्वास प्रस्ताव के लिए कांग्रेस को 39 पार्षदों का समर्थन चाहिए था. जिसमें कांग्रेस की तरफ से 40 पार्षदों की सूची जिला कलेक्टर को दी गई थी. इस पर जिला कलेक्टर के निर्धारित तारीख 22 फरवरी को जब बैछक हुई तो कांग्रेस के चार और आप पार्टी के एक पार्षद अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में शामिल हुए.
12 बजे तक अन्य पार्षदों के नहीं आने पर एडीएम प्रथम ओपी जैन ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया. जिसके बाद कांग्रेस पार्षद मुकेश सैनी और कपिल राज शर्मा ने नेता प्रतिपक्ष नरेंद्र मीणा पर पैसे लेने और सभापति पर अन्य पार्षदों को पैसे में खरीदने का आरोप लगाया है.
अब कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि पूरा शहर गर्त में जा रहा है. नगर परिषद में करोड़ों का घोटाला हो रहा है. सफाई के ठेके से लेकर सभी कार्यों में गड़बड़ी चल रही है. शहर के विकास को देखते हुए कांग्रेस की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन कांग्रेसी पार्षदों की खरीद-फरोख्त के चलते पार्षद नहीं आ पाए. जिसके चलते कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.