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Special: अलवर की अंजू ने दिखाई राह...कैंटीन शुरू कर खुद के साथ अन्य महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर - canteen in Alwar

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत...सच ही कहा कि मन से हार मान लेने वाला जीवन की लड़ाई पहले ही हार जाता है और जो फाइटर होता है वह मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ जाता है. अलवर में जिला परिषद की मदद से कैंटीन चला रही (Alwar woman Anju started canteen) महिलाओं पर यह सटीक बैठती है. अलवर की अंजू ने मुश्किलों से जूझकर खुद की जिंदगी की तो संवारी ही अपने जैसी कई गरीब महिलाओं को भी जीने की राह दिखा दी. पढ़ें पूरी खबर...

महिलाएं चला रही कैंटीन
महिलाएं चला रही कैंटीन
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Published : Nov 2, 2022, 7:54 PM IST

अलवर. शहरी क्षेत्र के साथ अब ग्रामीण इलाके की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं. जीवन की परेशानियों के सामने घुटने टेकने की बजाए जिले की महिलाएं उनका सामना कर रही हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रही महिलाओं के लिए पहले जहां घर चलाना मुश्किल था वहीं अब वे परिवार का खर्च उठाने के साथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी वहन कर रही हैं.

प्रशासन की मदद से जिले की कुछ महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. अलवर के एक सरकारी कार्यालय में महिलाओं के एक समूह ने कैंटीन खोली (Alwar woman Anju started canteen) है. इन महिलाओं का जीवन पहले काफी मुश्किलों भरा था. घर चलाना बड़ी परेशानी था. लेकिन प्रशासन के मदद और खुद की मेहनत से आज वे आत्म निर्भर बन चुकी हैं. यह महिलाएं उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो परिस्थितियों के आगे हार मान लेते हैं.

अलवर की अंजू ने दिखाई राह

पढ़ें. कोटा की अनूठी पशुपालक कॉलोनी: पशुबाड़े की किस्त से 4 गुना ज्यादा गोबर से आय... हजारों रुपए मिलेगा भुगतान

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का जीवन आमतौर पर चूल्हा चौके में निकलता है. घर के हालात खराब होने के कारण कुछ महिलाओं का जीवन बदतर हो गया था. सामान्यत: इन परिस्थितियों में कई महिलाएं हार मान जाती हैं लेकिन जो जीवन की चुनौतियों से (Alwar Anju became inspiration of poor women) लड़ती हैं वही मंजिल पाती हैं और जीवन को नया आयाम देती हैं. ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं जिले के देसूला की रहने वाली अंजू जिन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कठिनाइयों का सामना करते हुए अपना और परिवार का जीवन दोबारा पटरी पर लाया.

अंजू के पति प्लंबर का काम करते हैं. ऐसे में घर चलाने में काफी परेशानी होती थी. अंजू पढ़ी-लिखी नहीं हैं. इसलिए उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली. आर्थिक तंगी से परेशान अंजू ने आस-पास के गांव की कुछ महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और रोशनी नाम से एक संस्था बनाई. शुरुआत में अंजू गांव की महिलाओं के साथ मिलकर कुछ सामान बनाने लगी, लेकिन कुछ समय बाद उसको जिला परिषद में जिला प्रशासन की मदद से कैंटीन चलाने का मौका मिला. अंजू को कैंटीन में मुनाफा हुआ.

पढ़ें. गाय का गोबर महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर, तैयार कर रहीं दीपक से लेकर घड़ी तक 101 प्रकार के उत्पाद

अंजू ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनकी संस्था से 12 महिलाएं मीरा, सरोज, अनु, दीपमाला, कांता, सुमित्रा, ललिता, सावित्री, संगीता, गीता और माला जुड़ी हुई हैं. कैंटीन में चाय नाश्ता खाना सभी की सुविधाएं हैं. कैंटीन में जिस दूध से चाय बनती है, वह दूध भी संस्था से जुड़ी महिलाओं के घर से आता है. महिलाएं घर में गाय व भैंस रखती हैं. वह दूध बेचकर जीवन यापन करती हैं. इसके अलावा सब्जियां व अन्य सामान भी महिलाएं गांव से लेकर आती हैं.

अप्रैल 2022 में जिला परिषद में राजीविका कैन्टीन का शुभारम्भ हुआ. इस कैन्टीन को चलाने के लिए अंजू देवी को अभियान सीएलएफ की ओर से चुना गया. जिसमें अंजू की ओर से अब तक अपने समूह से विभिन्न कार्य के लिए एक लाख रुपये का लोन मिला है तथा 50 हजार रुपए का लोन लेकर जिला परिषद में राजीविका कैन्टीन खोली है. उसके बाद तो मानो अंजू का जीवन बदल गया.

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषः यहां महिलाएं ही रोशन कर रहीं आधी आबादी...आत्मनिर्भर बनकर रोशन कर रही दूसरों के घर

कैंटीन से होने वाली कमाई से वह अपने समूह की महिलाओं की मदद करने लगी अपने घर चलाने में सहायक हुई बच्चों का दाखिला भी अच्छे स्कूल में करवाया. अंजू आज अपने साथ की महिलाओं की जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करती हैं. इसी तरह से कृषि, पशुधन, बागवानी, किचन गार्डन, होटल, रेस्टोरेंट, ब्यूटी पार्लर जेसै तमाम कार्य महिलाएं कर रही हैं. इन कार्यों के माध्यम से महिलाएं समाज में आगे आकर अपनी भागीदारी निभा रही हैं.

अलवर. शहरी क्षेत्र के साथ अब ग्रामीण इलाके की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं. जीवन की परेशानियों के सामने घुटने टेकने की बजाए जिले की महिलाएं उनका सामना कर रही हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रही महिलाओं के लिए पहले जहां घर चलाना मुश्किल था वहीं अब वे परिवार का खर्च उठाने के साथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी वहन कर रही हैं.

प्रशासन की मदद से जिले की कुछ महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. अलवर के एक सरकारी कार्यालय में महिलाओं के एक समूह ने कैंटीन खोली (Alwar woman Anju started canteen) है. इन महिलाओं का जीवन पहले काफी मुश्किलों भरा था. घर चलाना बड़ी परेशानी था. लेकिन प्रशासन के मदद और खुद की मेहनत से आज वे आत्म निर्भर बन चुकी हैं. यह महिलाएं उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो परिस्थितियों के आगे हार मान लेते हैं.

अलवर की अंजू ने दिखाई राह

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ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का जीवन आमतौर पर चूल्हा चौके में निकलता है. घर के हालात खराब होने के कारण कुछ महिलाओं का जीवन बदतर हो गया था. सामान्यत: इन परिस्थितियों में कई महिलाएं हार मान जाती हैं लेकिन जो जीवन की चुनौतियों से (Alwar Anju became inspiration of poor women) लड़ती हैं वही मंजिल पाती हैं और जीवन को नया आयाम देती हैं. ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं जिले के देसूला की रहने वाली अंजू जिन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कठिनाइयों का सामना करते हुए अपना और परिवार का जीवन दोबारा पटरी पर लाया.

अंजू के पति प्लंबर का काम करते हैं. ऐसे में घर चलाने में काफी परेशानी होती थी. अंजू पढ़ी-लिखी नहीं हैं. इसलिए उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली. आर्थिक तंगी से परेशान अंजू ने आस-पास के गांव की कुछ महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और रोशनी नाम से एक संस्था बनाई. शुरुआत में अंजू गांव की महिलाओं के साथ मिलकर कुछ सामान बनाने लगी, लेकिन कुछ समय बाद उसको जिला परिषद में जिला प्रशासन की मदद से कैंटीन चलाने का मौका मिला. अंजू को कैंटीन में मुनाफा हुआ.

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अंजू ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनकी संस्था से 12 महिलाएं मीरा, सरोज, अनु, दीपमाला, कांता, सुमित्रा, ललिता, सावित्री, संगीता, गीता और माला जुड़ी हुई हैं. कैंटीन में चाय नाश्ता खाना सभी की सुविधाएं हैं. कैंटीन में जिस दूध से चाय बनती है, वह दूध भी संस्था से जुड़ी महिलाओं के घर से आता है. महिलाएं घर में गाय व भैंस रखती हैं. वह दूध बेचकर जीवन यापन करती हैं. इसके अलावा सब्जियां व अन्य सामान भी महिलाएं गांव से लेकर आती हैं.

अप्रैल 2022 में जिला परिषद में राजीविका कैन्टीन का शुभारम्भ हुआ. इस कैन्टीन को चलाने के लिए अंजू देवी को अभियान सीएलएफ की ओर से चुना गया. जिसमें अंजू की ओर से अब तक अपने समूह से विभिन्न कार्य के लिए एक लाख रुपये का लोन मिला है तथा 50 हजार रुपए का लोन लेकर जिला परिषद में राजीविका कैन्टीन खोली है. उसके बाद तो मानो अंजू का जीवन बदल गया.

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कैंटीन से होने वाली कमाई से वह अपने समूह की महिलाओं की मदद करने लगी अपने घर चलाने में सहायक हुई बच्चों का दाखिला भी अच्छे स्कूल में करवाया. अंजू आज अपने साथ की महिलाओं की जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करती हैं. इसी तरह से कृषि, पशुधन, बागवानी, किचन गार्डन, होटल, रेस्टोरेंट, ब्यूटी पार्लर जेसै तमाम कार्य महिलाएं कर रही हैं. इन कार्यों के माध्यम से महिलाएं समाज में आगे आकर अपनी भागीदारी निभा रही हैं.

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