अजमेर. भगवान शिव का एक नाम वैद्यनाथ भी है. राजस्थान के पुष्कर में भी वैद्यनाथ धाम है, जहां अन्य ज्योतिर्लिंग की तरह महादेव का शिवलिंग अति प्राचीन है. पुष्कर से 15 किलोमीटर दूर देवनगर से आगे पहाड़ी की तलहटी में बाबा वैद्यनाथ धाम है. मंदिर के तीनों ओर पहाड़ी है. बीच में मंदिर है और मंदिर के पास से ही एक झरना बहता है जो मंदिर के पीछे पहाड़ी से बहता हुआ मंदिर तक आता है. यहां से अलग-अलग कुंडों में होता हुआ पानी आगे चला जाता है. श्रद्धालु इस झरने के पानी को पवित्र मानते हैं और इस झरने के पानी से ही महादेव का जलाभिषेक करते हैं.
मंदिर के भीतर प्रवेश करने पर नीचे की ओर जाते हुए सीढ़ियां नजर आती हैं. चट्टान के नीचे बाबा वैद्यनाथ मंदिर में विराजते हैं. शिवलिंग का स्थान छोटा है, 3 से 4 लोग ही एक बार में पूजा कर सकते हैं. इसलिए श्रद्धालुओं को अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ता है. मंदिर के पुजारी पुनाराम ने बताया कि भगवान वैद्यनाथ महादेव का शिवलिंग अति प्राचीन है. पुष्कर में जगतपिता ब्रह्मा ने जब सृष्टि यज्ञ किया था, उससे पहले यज्ञ की सुरक्षा के लिए पुष्कर के चारों ओर चार शिवलिंग की स्थापना की थी. इनमें से अजयसर में स्थित अजगंधेश्वर महादेव, वैद्यनाथ महादेव, कपालेश्वर महादेव और अटमटेश्वर महादेव हैं. उन्होंने बताया कि वैद्यनाथ महादेव धाम सदियों से जन आस्था का केंद्र रहा है. श्रद्धालुओं की वैद्यनाथ धाम से गहरी आस्था जुड़ी हुई है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
मुंबई से पुष्कर तीर्थ दर्शन के लिए आईं सीमा जोशी ने बताया कि काफी सुना था कि पुष्कर में स्वयं जगतपिता ब्रह्मा ने 4 शिवलिंग स्थापित किए थे. उनमें से एक बाबा वैद्यनाथ धाम है. उन्होंने बताया कि यहां आकर मन को बहुत शांति मिली है. मंदिर के आसपास का प्राकृतिक नजारा भी बहुत सुंदर है. सावन के महीने में यहां आकर भगवान शिव की पूजा करने का मुझे अब अवसर मिला, यह मेरा सौभाग्य है.
पुष्कर तीर्थ पुरोहित पंडित विकास पाराशर बताते हैं कि पुष्कर के अति प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक बाबा वैद्यनाथ धाम है. पदम पुराण के अनुसार जगतपिता ब्रह्मा ने सृष्टि यज्ञ करने से पहले पुष्कर अरण्य क्षेत्र में 4 शिवलिंग की स्थापना की थी, ताकि महादेव की उपस्थिति से कोई नकारात्मक शक्ति सृष्टि यज्ञ में विघ्न न डाले. उन्होंने बताया कि वह और उनके परिवार के हर सदस्य में वैद्यनाथ धाम के प्रति गहरी आस्था है.
महादेव की कृपा से ही परिवार खुशहाल है. समीप गांव होकरा निवासी कमला पाराशर बताती है कि 50 वर्षों से वह बाबा वैद्यनाथ धाम आ रही हैं. हर सावन में वह अपने पति के साथ यहीं रह कर बाबा की आराधना करती हैं. उन्होंने कहा कि महादेव से जो कुछ भी मांगा वह सब मिला. उन्होंने बताया कि मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. खासकर सावन में सोमवार और प्रदोष के दिन मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. महादेव हर श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण करते है.
बताया जाता है कि जगतपिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना से पहले पुष्कर की उत्पत्ति की थी. ऐसे में पुष्कर सबसे प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है. पुष्कर तीर्थ दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु पुष्कर में जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन और सरोवर की पूजा-अर्चना घर लौट जाते हैं, लेकिन पुष्कर में ऐसे कई बड़े धार्मिक स्थल जो अति प्राचीन है. जिनकी चर्चा पुराणों में भी है, लेकिन इन स्थानों पर कुछ श्रद्धालु ही जा पाते हैं. दरसअल, तीर्थ यात्रियों को इन अति प्राचीन स्थानों के बारे में पता नहीं चल पाता है. बाबा वैद्यनाथ धाम भी उनमें से एक हैं.