ETV Bharat / state

उर्स मेला 2024: कायड़ विश्राम स्थली में दुकानों का किराया बढ़ाया 10 गुना, गाड़िया लोहारों ने किया विरोध

अजमेर में चल रहे उर्स मेला 2024 के तहत कायड़ विश्राम स्थली में अस्थाई दुकानों का किराया 3 हजार से 30 हजार रुपए कर दिया गया है. गाड़िया लोहारों ने इस ​रेट का विरोध किया है और पुरानी रेट लाने की मांग की है.

Gadiya Lohar protest over hiked rate of shops
गाड़िया लोहारों ने किया विरोध
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 12, 2024, 4:47 PM IST

Updated : Jan 12, 2024, 10:35 PM IST

दुकानों का किराए बढ़ाने के विरोध में गाड़िया लोहार

अजमेर. उर्स मेले के दौरान कायड़ विश्राम स्थली में अस्थाई दुकानों की रेट मनमाने तरीके से निर्धारित करने से गाड़िया लोहार समाज आहत है. गरीब गाड़िया लोहारों का आरोप है कि गत वर्ष अस्थाई दुकानों का शुल्क 3 हजार रुपए वसूल किया था. इस बार दरगाह कमेटी ने 30 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया है, जो न्याय उचित नहीं है. गाड़िया लोहारों के लिए यह राशि काफी बड़ी है. प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार ने गाड़िया लोहार समाज के लोगों को रोजगार के लिए पुरानी रेट से अस्थाई दुकानें देने की मांग उठाई है.

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 812 उर्स मेला शुरू हो चुका है. देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में जायरीन अजमेर आने लगे हैं. जायरीन के लिए विश्राम स्थली में ठहरने की व्यवस्था की गई है. यहां पर जायरीन के लिए बाजार भी लगाया जाता है. यहां दरगाह कमेटी की ओर से बड़े और छोटे व्यापारियों को अस्थाई दुकानों के लिए शुल्क लेकर जगह दी जाती है. इनमें छोटे फुटकर व्यापारी के तौर पर घुमंतू जाति के गाड़िया लोहार भी होते हैं, जो अपने हाथों से बनाए औजार और बर्तन बेचते हैं. मगर इस बार गाड़िया लोहारों को दरगाह कमेटी ने जबरदस्त झटका दे दिया है.

पढ़ें: उर्स 2024 : ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारा गया संदल, खुला जन्नती दरवाजा

कमेटी ने गाड़िया लुहारों को इस बार अस्थाई दुकान की जगह की एवज में 3 हजार रुपए की जगह अब 30 हजार रुपए शुल्क मांगा है. दरगाह कमेटी के फरमान से गाड़िया लोहारों में हड़कंप मच गया गया है. प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार का आरोप है कि दरगाह कमेटी की ओर से कायड़ विश्रामस्थली में अस्थाई दुकानों के लिए भारी किराया वसूल किया जा रहा है. 10×15 फिट की दुकानों का किराया 30 हजार रुपए की मांग की जा रही है. इतना किराया देने में गरीब गाड़िया लोहार सक्षम नहीं है. उर्स मेले के दौरान अस्थाई दुकानों पर कमाई ज्यादा नहीं होती है.

पढ़ें: उर्स मेला 2024: जायरीन को मिलेगा 40 रुपए में फूड पैकेट, खाना पकाने के लिए 10 रुपए प्रति घंटा मिलेगी गैस और चूल्हा

उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में अस्थाई दुकानों का किराया 3 हजार रुपए था. अधिक किराया होने के कारण गाड़िया लोहार अस्थाई दुकान नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के अनुसार गरीब परिवार से भारी किराया वसूल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने शासन और प्रशासन से मांग की है कि गरीब गाड़िया लोहार परिवारों को रोजगार करने की अनुमति प्रदान करें और पूर्व की भांति ही शुल्क रखा जाए.

पढ़ें: झंडे की रस्म के साथ हुई उर्स की अनौपचारिक शुरुआत, देश-दुनिया से जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू

नहीं तो करेंगे आंदोलन: प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार ने कहा कि दरगाह कमेटी और प्रशासन ने गाड़िया लोहार की मांग को अनसुना किया, तो समस्त गाड़िया लोहार परिवार कलक्ट्रेट पर बच्चों और परिवार के संग आकर धरना देंगे. उन्होंने बताया कि दरगाह कमेटी के मनमाने फरमान से गाड़िया लोहारों के 100 से अधिक परिवार आहत हो रहे हैं.

दुकानों का किराए बढ़ाने के विरोध में गाड़िया लोहार

अजमेर. उर्स मेले के दौरान कायड़ विश्राम स्थली में अस्थाई दुकानों की रेट मनमाने तरीके से निर्धारित करने से गाड़िया लोहार समाज आहत है. गरीब गाड़िया लोहारों का आरोप है कि गत वर्ष अस्थाई दुकानों का शुल्क 3 हजार रुपए वसूल किया था. इस बार दरगाह कमेटी ने 30 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया है, जो न्याय उचित नहीं है. गाड़िया लोहारों के लिए यह राशि काफी बड़ी है. प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार ने गाड़िया लोहार समाज के लोगों को रोजगार के लिए पुरानी रेट से अस्थाई दुकानें देने की मांग उठाई है.

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 812 उर्स मेला शुरू हो चुका है. देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में जायरीन अजमेर आने लगे हैं. जायरीन के लिए विश्राम स्थली में ठहरने की व्यवस्था की गई है. यहां पर जायरीन के लिए बाजार भी लगाया जाता है. यहां दरगाह कमेटी की ओर से बड़े और छोटे व्यापारियों को अस्थाई दुकानों के लिए शुल्क लेकर जगह दी जाती है. इनमें छोटे फुटकर व्यापारी के तौर पर घुमंतू जाति के गाड़िया लोहार भी होते हैं, जो अपने हाथों से बनाए औजार और बर्तन बेचते हैं. मगर इस बार गाड़िया लोहारों को दरगाह कमेटी ने जबरदस्त झटका दे दिया है.

पढ़ें: उर्स 2024 : ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारा गया संदल, खुला जन्नती दरवाजा

कमेटी ने गाड़िया लुहारों को इस बार अस्थाई दुकान की जगह की एवज में 3 हजार रुपए की जगह अब 30 हजार रुपए शुल्क मांगा है. दरगाह कमेटी के फरमान से गाड़िया लोहारों में हड़कंप मच गया गया है. प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार का आरोप है कि दरगाह कमेटी की ओर से कायड़ विश्रामस्थली में अस्थाई दुकानों के लिए भारी किराया वसूल किया जा रहा है. 10×15 फिट की दुकानों का किराया 30 हजार रुपए की मांग की जा रही है. इतना किराया देने में गरीब गाड़िया लोहार सक्षम नहीं है. उर्स मेले के दौरान अस्थाई दुकानों पर कमाई ज्यादा नहीं होती है.

पढ़ें: उर्स मेला 2024: जायरीन को मिलेगा 40 रुपए में फूड पैकेट, खाना पकाने के लिए 10 रुपए प्रति घंटा मिलेगी गैस और चूल्हा

उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में अस्थाई दुकानों का किराया 3 हजार रुपए था. अधिक किराया होने के कारण गाड़िया लोहार अस्थाई दुकान नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के अनुसार गरीब परिवार से भारी किराया वसूल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने शासन और प्रशासन से मांग की है कि गरीब गाड़िया लोहार परिवारों को रोजगार करने की अनुमति प्रदान करें और पूर्व की भांति ही शुल्क रखा जाए.

पढ़ें: झंडे की रस्म के साथ हुई उर्स की अनौपचारिक शुरुआत, देश-दुनिया से जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू

नहीं तो करेंगे आंदोलन: प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार ने कहा कि दरगाह कमेटी और प्रशासन ने गाड़िया लोहार की मांग को अनसुना किया, तो समस्त गाड़िया लोहार परिवार कलक्ट्रेट पर बच्चों और परिवार के संग आकर धरना देंगे. उन्होंने बताया कि दरगाह कमेटी के मनमाने फरमान से गाड़िया लोहारों के 100 से अधिक परिवार आहत हो रहे हैं.

Last Updated : Jan 12, 2024, 10:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.