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गुर्जर समाज की अनोखी परंपरा, पहले पूर्वजों को करते हैं याद फिर मनाते हैं दीपावली

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Published : Oct 24, 2022, 12:12 PM IST

आज हम आपको गुर्जर समाज से जुड़ी एक ऐसी परंपरा के बारे में बताएंगे, जो एकदम से जुदा (Unique tradition of Gurjar society in Rajasthan) है. जिसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे. असल में गुर्जर समाज के लोग दीपावली के दिन घर पर दीया जलाने से पहले अपने पूर्वजों को याद (Remembering ancestors on Diwali) करते हैं. इस दौरान समाज के लोग समूह में जल स्त्रोतों तक पहुंच सामूहिक तर्पण करने के उपरांत दीपावली का पर्व मनाते हैं.

Unique tradition of Gurjar society
गुर्जर समाज की अनोखी परंपरा

अजमेर. जिले के केकड़ी में दीपावली की खुशियों के बीच गुर्जर समाज ने एक अनूठी परंपरा का निवर्हन (Unique tradition of Gurjar society in Rajasthan) किया. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के दिन गुर्जर समाज के लोग अपने एक निश्चित स्थान पर जाकर तालाब में छांट भरकर अपने पितरों की तृप्ति के लिए धूप लगाते हैं. ऐसे तो हर समाज में श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों को धूप लगाने की प्रथा है, लेकिन गुर्जर समाज के लोग अपने पूर्वजों को याद (Remembering ancestors on Diwali) करने के बाद ही दीपावली का दीया जलाते हैं. वहीं, पितरों को याद करने के दौरान समाज के लोग छांट भरते हैं और फिर हाथों में जल लेकर तर्पण करते हैं.

इससे जहां तालाबों, एनिकटों व अन्य जल स्रोतों को शुद्ध रखने की सीख मिलती है तो वहीं इस परंपरा से भाईचारा भी बढ़ता है. इस परंपरा पर समाज के गोपाल गुर्जर मोलकिया ने कहा कि छांट भरने के बाद ही समाज के लोग दीपावली की खुशियां मनाते हैं. इस मौके पर समाज के लोग एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अपने पितरों को खीर व चूरमे का भोग लगाते हैं. छांट भरने के बाद सभी खाना खाते हैं.

इसे भी पढ़ें - City Lifeline: करौली का लाल पत्थर न तो जल्दी ठंडा होता है और न ही गर्म, पानी पड़ने पर आता है निखार

दीपावली के दिन सुबह 11 बजे के करीब गुर्जर समाज के लोग अपने परिवार के साथ थाली में फल व खीर लेकर तालाब के किनारे पहुंच पूरे विधि-विधान से तर्पण किए. इस दौरान समाज के लोग अपने पंरपरागत वेशभूषा में नजर आए. वहीं, समाज के शैतान गुर्जर एकलसिंहा ने बताया कि जिस तालाब पर छांट भरा जाता है, वहां से पानी लाने की भी परंपरा है. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि घरों में छांट देने से घर पवित्र होता है.

बच्चे पैदा होने की खुशी में बांटते हैं गुड़: खुशी के इस पर्व पर समाज के लोग अपने पूर्वजों को याद करने के साथ ही अनोखे अंंदाज में जन्मे बच्चे का स्वागत करते हैं. वहीं, इस दौरान छांट भरने के बाद जन्में बच्चे के जश्न में एक-दूसरे को गुड़ बांटते हैं.

अजमेर. जिले के केकड़ी में दीपावली की खुशियों के बीच गुर्जर समाज ने एक अनूठी परंपरा का निवर्हन (Unique tradition of Gurjar society in Rajasthan) किया. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के दिन गुर्जर समाज के लोग अपने एक निश्चित स्थान पर जाकर तालाब में छांट भरकर अपने पितरों की तृप्ति के लिए धूप लगाते हैं. ऐसे तो हर समाज में श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों को धूप लगाने की प्रथा है, लेकिन गुर्जर समाज के लोग अपने पूर्वजों को याद (Remembering ancestors on Diwali) करने के बाद ही दीपावली का दीया जलाते हैं. वहीं, पितरों को याद करने के दौरान समाज के लोग छांट भरते हैं और फिर हाथों में जल लेकर तर्पण करते हैं.

इससे जहां तालाबों, एनिकटों व अन्य जल स्रोतों को शुद्ध रखने की सीख मिलती है तो वहीं इस परंपरा से भाईचारा भी बढ़ता है. इस परंपरा पर समाज के गोपाल गुर्जर मोलकिया ने कहा कि छांट भरने के बाद ही समाज के लोग दीपावली की खुशियां मनाते हैं. इस मौके पर समाज के लोग एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अपने पितरों को खीर व चूरमे का भोग लगाते हैं. छांट भरने के बाद सभी खाना खाते हैं.

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दीपावली के दिन सुबह 11 बजे के करीब गुर्जर समाज के लोग अपने परिवार के साथ थाली में फल व खीर लेकर तालाब के किनारे पहुंच पूरे विधि-विधान से तर्पण किए. इस दौरान समाज के लोग अपने पंरपरागत वेशभूषा में नजर आए. वहीं, समाज के शैतान गुर्जर एकलसिंहा ने बताया कि जिस तालाब पर छांट भरा जाता है, वहां से पानी लाने की भी परंपरा है. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि घरों में छांट देने से घर पवित्र होता है.

बच्चे पैदा होने की खुशी में बांटते हैं गुड़: खुशी के इस पर्व पर समाज के लोग अपने पूर्वजों को याद करने के साथ ही अनोखे अंंदाज में जन्मे बच्चे का स्वागत करते हैं. वहीं, इस दौरान छांट भरने के बाद जन्में बच्चे के जश्न में एक-दूसरे को गुड़ बांटते हैं.

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